राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण | 28 Jul 2017
संदर्भ
उच्चतम न्यायालय ने दहेज़ उत्पीड़न मामलों की जाँच के लिये राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के अधीन सभी ज़िलों में तीन सदस्यीय ‘परिवार कल्याण समितियाँ’ गठित करने का आदेश दिया है। इससे स्थानीय स्तर पर दहेज़ के झूठे मामलों पर लगाम लगेगी। ये समितियाँ वास्तविक मामलों को आगे स्थानांतरित करेंगी।
प्रमुख बिंदु
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, गृहकर्मियों, सेवानिवृत्त व्यक्तियों और अन्य जागरूक नागरिकों से बनी समितियाँ अपने इलाकों में दहेज़ उत्पीड़न की तुच्छ शिकायतों के खिलाफ अगुवाई करेंगी।
- अदालत ने कहा कि पुलिस और मजिस्ट्रेट द्वारा प्राप्त हर शिकायत को स्थानीय समिति को सौंप दिया जाएगा, जो शिकायत की वास्तविकता की जाँच करेगा और एक महीने के भीतर संबंधित पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट के समक्ष एक रिपोर्ट दर्ज़ करेगा।
- पुलिस और अदालत को समिति की जाँच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ेगा। जब तक समिति की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होगी, तब तक कोई गिरफ्तारी नहीं होगी।
- गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (दहेज़ उत्पीड़न) का दुरुपयोग किया जा रहा था। कई बार छोटे-छोटे मुद्दों पर क्षण भर के विवाद में दहेज़ की शिकायत दर्ज़ करा दी जाती थी। ऐसे ही मामलों को रोकने के लिये न्यायालय ने यह कदम उठाया है।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) क्या है ?
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 (क) में सभी के लिये न्याय सुनिश्चित किया गया है और गरीबों तथा समाज के कमज़ोर वर्गों के लिये राज्य द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करने को कहा गया है।
- इसी के मद्देनज़र वर्ष 1987 में पारित विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत ‘राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण’ (नालसा) का गठन किया गया है।
- इसका कार्य कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्याँकन एवं निगरानी करना है। साथ ही, इस अधिनियम के अंतर्गत कानूनी सेवाएँ उपलब्ध कराना है।
- नालसा ने एक रणनीति बनाई है, जिससे कि संभावित ज़रूरतमंदों को बुनियादी जानकारी दी जाए, ताकि वे अपने कानूनी अधिकारों को समझ सकें और ज़रूरत के समय उपयुक्त कार्रवाई करने, अपनी सामाजिक हैसियत बढ़ाने और सामाजिक परिवर्तन लाने में उन अधिकारों का उपयोग कर सकें।
- नालसा देश भर में कानूनी सहायता कार्यक्रम और योजनाएँ लागू करने के लिये राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दिशा-निर्देश ज़ारी करता है।
- यह सुपात्र लोगों को नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान करता है तथा विवादों को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से निपटाने के लिये लोक अदालतों का संचालन करता है।
- नालसा कमज़ोर वर्गों को अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित करने और एडीआर प्रणाली के ज़रिये अपने विवाद निपटाने के लिये ग्रामीण तथा मलिन क्षेत्रों में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों, तालुक विधिक सेवा समितियों, गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से कानूनी सहायता कैंप आयोजित करता है।
- नालसा देश के विभिन्न हिस्सों में कानूनी सेवा कार्यक्रमों से जुड़ी बैठकें, सेमिनार और कार्यशालाएँ भी आयोजित करता है।