राष्ट्रीय गंगा परिषद | 16 Dec 2019
प्रीलिम्स के लिये:
राष्ट्रीय गंगा परिषद, नमामि गंगे परियोजना
मेन्स के लिये:
राष्ट्रीय गंगा परिषद तथा संबंधित तथ्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की।
मुख्य बिंदु:
- इस बैठक में विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों और उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
- पश्चिम बंगाल से कोई प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित नहीं था, जबकि झारखंड राज्य में जारी चुनाव और आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण किसी प्रतिनिधि ने इसमें भाग नहीं लिया।
- प्रधानमंत्री के अनुसार, गंगा का कायाकल्प देश के लिये दीर्घकाल से लंबित चुनौती है।
बैठक से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- इस बैठक में ’स्वच्छता’, ‘अविरलता’ और ‘निर्मलता’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए गंगा नदी की स्वच्छता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर कार्यों की प्रगति की समीक्षा की गई।
- इस बैठक में गंगा के कायाकल्प के लिये ‘सहयोगात्मक संघवाद’ पर अधिक ज़ोर दिया गया।
- इस बैठक में ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ के अंतर्गत किये गए कार्यों जैसे- प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण और कायाकल्प, कागज़ मिलों की रद्दी को पूर्ण रूप से समाप्त करने तथा चमड़े के कारखानों से होने वाले प्रदूषण में कमी लाने आदि लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से किये गए विभिन्न सरकारी प्रयासों की एकीकृत गतिविधियों की चर्चा की गई।
- इस बैठक में प्रधानमंत्री ने गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ‘नमामि गंगे’ को ‘अर्थ गंगा’ जैसे एक सतत् विकास मॉडल में परिवर्तित करने का आग्रह किया।
अर्थ गंगा: एक सतत् विकास मॉडल
(Arth Ganga)
- इस प्रक्रिया में किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें शून्य बजट खेती, फलदार वृक्ष लगाना और गंगा के किनारों पर पौध नर्सरी का निर्माण शामिल है।
- इन कार्यों के लिये महिला स्व-सहायता समूहों और पूर्व सैनिक संगठनों को प्राथमिकता दी जा सकती है।
- जल से संबंधित खेलों के लिये बुनियादी ढाँचे के विकास और शिविर स्थलों के निर्माण, साइकिलिंग एवं टहलने के लिये ट्रैकों आदि के विकास से नदी बेसिन क्षेत्रों में धार्मिक तथा साहसिक पर्यटन जैसी महत्त्वपूर्ण पर्यटन क्षमता बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
- पारिस्थितिक पर्यटन और गंगा वन्यजीव संरक्षण एवं क्रूज पर्यटन आदि के प्रोत्साहन से होने वाली आय को गंगा स्वच्छता के लिये आय का स्थायी स्रोत बनाने में सहायता मिलेगी।
- नमामि गंगे और अर्थ गंगा के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं तथा पहलों की कार्य प्रगति एवं गतिविधियों की निगरानी के लिये प्रधानमंत्री ने एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिये।
- इसके माध्यम से नीति आयोग और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दैनिक रूप से गाँवों और शहरी निकायों की कार्य प्रगति और गतिविधि संबंधित डेटा की निगरानी की जाएगी।
गंगा प्रदूषण रोकने के लिये किये गए क्रमवार प्रयास:
- गंगा एक्शन प्लान: यह पहली नदी कार्ययोजना थी जो 1985 में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा लाई गई थी। इसका उद्देश्य जल अवरोधन, डायवर्ज़न और घरेलू सीवेज के उपचार द्वारा पानी की गुणवत्ता में सुधार करना तथा विषाक्त एवं औद्योगिक रासायनिक कचरे (पहचानी गई प्रदूषणकारी इकाइयों से) को नदी में प्रवेश करने से रोकना था।
- राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण: इसका गठन भारत सरकार ने वर्ष 2009 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा -3 के तहत किया था। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। इसने गंगा को भारत की 'राष्ट्रीय नदी' घोषित किया।
- वर्ष 2010 में सरकार द्वारा ‘सफाई अभियान' को यह सुनिश्चित करने के लिये प्रारंभ किया गया था कि वर्ष 2020 तक कोई भी अनुपचारित नगरपालिका सीवेज या औद्योगिक अपवाह नदी में प्रवेश न करे।
- वर्ष 2014 में, ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ को राष्ट्रीय नदी ‘गंगा’ के संरक्षण और कायाकल्प तथा प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिये एक एकीकृत संरक्षण मिशन के रूप में प्रारंभ किया गया था।
- राष्ट्रीय गंगा परिषद: राष्ट्रीय गंगा परिषद की स्थापना वर्ष 2016 में हुई थी। इसने राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण को प्रतिस्थापित किया है। इसे गंगा नदी के कायाकल्प, संरक्षण, और प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय कार्यान्वयन परिषद के रूप में भी जाना जाता है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
- हाल ही में कानपुर में संपन्न हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक इसकी पहली बैठक है।