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राष्ट्रीय आवश्यक निदान सूची (NEDL)

  • 17 Aug 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

भारतीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद् (Indian Council of Medical Research-ICMR) ने देश की पहली राष्ट्रीय आवश्यक निदान सूची (National Essential Diagnostics List -NEDL) जारी की है

प्रमुख बिंदु 

  • भारत विश्व का पहला देश है जिसने ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों की विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता के अनुसार नैदानिक परीक्षणों की सूची जारी की है।  
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने मई  2018 में आवश्यक नैदानिक सूची (EDL) का पहला संस्करण जारी किया। WHO की इस  सूची ने NEDL के लिये संदर्भ के रूप में कार्य किया। NEDL को भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता की प्राथमिकताओं के आधार तैयार किया  गया है। 
  • भारत में नैदानिकी को चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 ( Medical Device Rules, 2017) के नियामक प्रावधानों के तहत विनियमित किया जाता है।
  • नैदानिकी (चिकित्सा उपकरणों व इन विट्रो नैदानिकी),  ड्रग और कास्मेटिक अधिनियम, 1940 (Drugs and Cosmetics Act, 1940)  तथा ड्रग और कॉस्मेटिक्स नियम, 1945 (Drugs and Cosmetics Rules 1945)  के अधीन ड्रग विनियमन के  फ्रेमवर्क द्वारा नियमित होता है।
    • NEDL को ग्रामीण स्तर के साथ ही प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक  स्वास्थ्य देखभाल के लिये भी तैयार किया गया है।
    • यह सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के अलग-अलग  स्तरों पर परीक्षणों की विस्तृत रेंज प्रदान करने के लिए नि: शुल्क नैदानिक सेवा पहल (Free Diagnostics Service Initiative-FDI) और स्वास्थ्य मंत्रालय की अन्य नैदानिक पहलों का निर्माण करता है।
    • वर्ष 2015 में FDI को शुरू किया गया।
    • इस पहल के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission-NHM) के माध्यम से सभी राज्यों को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये नि:शुल्क आवश्यक नैदानिक  प्रयोगशाला और रेडियोलोजी उपलब्ध करवाई जा रही है।
    • NEDL में  नियमित रोगी देखभाल के परीक्षण करते हुये और संचारी (communicable) और गैर-संचारी (non- communicable) रोगों के निदान के लिए सामान्य प्रयोगशालाओं का एक समूह शामिल है।
    • NEDL विशिष्ट रोगों को उनके रोग बोझ (disease burden) के आधार पर  नैदानिक परीक्षणों को शामिल करता है। इन रोगों में वेक्टर जनित रोग (मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफलाइटिस), लेप्टोस्पाइरोसिस (Leptospirosis), तपेदिक, हेपेटाइटिस ए, बी सी और ई, एचआईवी, सिफलिस (Syphilis) आदि शामिल है।
  • यह प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (Pradhan mantri janarogya yojna) के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWCs) जैसे नए कार्यक्रमों के लिये प्रासंगिक परीक्षण को  शामिल करता है। 
  • परीक्षणों के अलावा इन विट्रो नैदानिक उत्पादों (In Vitro Diagnostics-IVD) के लिए भी सिफारिश की गई है।
  • नैदानिकी, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • ICMR के आकलन के अनुसार राज्यों द्वारा अपनाये जाना, स्थानीय मानक नैदानिक प्रोटोकॉल और उपचार दिशानिर्देशों के साथ सामंजस्य, अपेक्षित अवसंरचना का प्रावधान, प्रक्रिया और मानव संसाधन, External Quality Control System (EQAS) सहित गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित करना आदि NEDL के कार्यान्वयन के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ है।

स्रोत: द हिंदू

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