राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना | 31 Jan 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) ने 1100 करोड़ रुपए की लागत से महत्त्वकांक्षी राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (National Agricultural Higher Education Project-NAHEP) की शुरुआत की है। इस परियोजना का उद्देश्य प्रतिभाओं को आकर्षित करने के साथ ही देश में उच्चतर कृषि शिक्षा को मज़बूत करना है।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (NAHEP) को विश्व बैंक और भारत सरकार द्वारा 50:50 की साझा लागत के आधार पर वित्तपोषित किया जाएगा। इसके अलावा कृषि, बागवानी, मछली पालन और वानिकी में चार वर्षीय डिग्री को व्यावसायिक डिग्री घोषित किया गया है।
- कृषि शिक्षा को उपयोगी बनाने के लिये पाँचवी डीन समिति की सिफारिशों को सभी कृषि विश्वविद्यालयों में लागू करा दिया गया है। इसके तहत कृषि डिग्री के पाठ्यक्रमों को संशोधित कर उसमें जैव प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, बायो इन्फ़ॉर्मेटिक्स, दूरसंवेदी, जैविक खेती, कृषि व्यवसाय प्रबंधन, आदि विषयों को सम्मिलित किया गया है।
- इसमें अनुभवजन्य शिक्षा, कौशल और उद्यमशीलता विकास पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही बी.एस.सी. (समुदाय विज्ञान), बी.एस.सी. (खाद्य पोषण और आहार विद्या) तथा बी.एस.सी. (रेशम उत्पादन) जैसे विषयों को भी शामिल किया गया है।
- कृषि व्यापार में छात्रों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये ‘स्टूडेंट रेडी’ नामक ग्रामीण उद्यमशीलता जागरूकता विकास योजना चलाई जा रही है। इसके तहत परास्नातक छात्रों को कृषि और उद्यमशीलता के लिये व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाता है।
- कृषि के क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिये कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के बीच एक समझौता-दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसके तहत देश के कृषि विज्ञान केंद्रों पर नियमित रूप से कौशल विकास प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि एवं संबंधित विषयों पर आधारित हैं।
पाँचवीं डीन समिति
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि शिक्षा और अनुसंधान विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने डॉ. राम बदन सिंह की अध्यक्षता में पाँचवीं डीन समिति का गठन किया था।
- पाँचवीं डीन समिति का उद्देश्य कृषि स्नातक शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम का पुनर्निर्धारण करना था।