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ग्रहों का निर्माण करते धूमकेतुओं के संकीर्ण छल्लों का अवलोकन

  • 25 Oct 2017
  • 6 min read

संदर्भ

  • हाल ही में वैज्ञानिकों ने नासा के टेलीस्कोपों का उपयोग कर धूमकेतुओं के ऐसे संकीर्ण व घने छल्लों (narrow dense rings ) का अवलोकन किया है जो तीन दूरस्थ सौर मंडलों के बाह्य स्थल में विशाल ग्रहों के निर्माण के लिये एक-दूसरे के नजदीक आ रहे हैं। विदित हो कि इनसे परावर्तित होने वाले प्रकाश की मात्रा से इनके द्रव्यमान का अनुमान लगाने पर पता चला कि इनसे विकसित होने वाले प्रत्येक ग्रह का आकार कुछ पृथ्वियों के संयुक्त आकार के बराबर होगा।     

प्रमुख बिंदु

  • पिछले कुछ दशकों से नासा की प्रतिष्ठित वेधशालाओं जैसे-हवाई स्थित ‘द इन्फ्रारेड टेलीस्कोप फैसिलिटी’ (The Infrared Telescope Facility) और ‘द स्पिट्ज़र स्पेस टेलीस्कोप’ (Spitzer Space Telescope) की सहायता से वैज्ञानिक धूमकेतुओं से बने इन बाहरी छल्लों में अनेक पतले परन्तु चमकदार ‘युवा डेब्रिस डिस्क सिस्टम्स’(young debris disk systems) का अवलोकन कर रहे थे।  
  • युवा डेब्रिस डिस्क सिस्टम्स’ ऐसे पिंड हैं जो अपने मूल तारों से 75 से 200 खगोलीय इकाई की दूरी पर स्थित हैं। यह दूरी सूर्य से प्लूटो के बीच की दूरी से लगभग दो से सात गुना अधिक है।  
  • इन छल्लों में बर्फ (इन्हें फोमाल्हौट और HD 32297 सिस्टम्स में देखा गया था) से लेकर बर्फ रहित परन्तु कार्बन युक्त (HR 4796A सिस्टम) पदार्थ विद्यमान थे।  
  • दरअसल, वैज्ञानिक HR 4796A को घेरे लाल धूल के छल्ले से बहुत चिंतित हैं।   यह नवजात सौर मंडलों के एक कठोर रूप को दर्शाते हैं।
  • जब धूमकेतु तारे के इतने नजदीक आ जाते हैं कि वे जलने लगते है तो धूमकेतुओं के चट्टानी अवशेषों के जलने से ही लाल रंग के छल्ले दिखाई देते हैं।  
  • यद्यपि शोधकर्त्ताओं ने फोमाल्हौट अथवा HD 32297 में लाल रंग के धूल के छल्ले नहीं देखे थे परन्तु उन्होंने इसमें बर्फ युक्त नीले रंग के धूमकेतुओं की धूल देखी।  इसका कारण यह था कि इस सिस्टम के छल्ले इतने दूर हैं कि उनके धूमकेतु ठंडे और स्थायी हैं।
  • वस्तुतः इन छल्लों का संकीर्ण दायरा अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है, क्योंकि एक  नवजात मंडल में इस प्रकार का दृढ़ अभिविन्यास नहीं देखा जा सकता है।  
  • आम तौर पर, हर तरह का पदार्थ एक एक्जोप्लेनेटरी सिस्टम (exoplanetary system) से पहले ही समाप्त हो जाता है, जिस कारण ग्रह बमुश्किल ही किसी दूसरे ग्रह के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करते हैं जैसे-कि वर्तमान में हमारे सौर मंडल में देखा जाता है।    
  • इन विकसित होते ग्रहों की सतहों पर टूटते धूमकेतु धूल को अपने में समाहित कर लेते हैं जिससे मंडल में धूल के विशाल बादलों का निर्माण होता है।  
  • यह एक उल्लेखनीय बदलाव है क्योंकि एक बड़े तारे से गृह का निर्माण करने के बजाय इसका निर्माण कई छोटे धूमकेतुओं से हो रहा है, जिससे अंततः एक विशाल ग्रह का निर्माण होगा।   
  • शोधकर्त्ताओं ने यह अनुमान लगाया है कि फोमाल्हौट और HD 32297 में यूरेनस और नेप्च्युन जैसे विशाल ग्रहों का निर्माण करने के लिये लाखों धूमकेतु योगदान कर रहे हैं जबकि यहाँ का वायुमंडल यूरेनस और नेप्च्युन के समान सघन नहीं है।   
  • HR 4796A में इसकी गर्म धूल के छल्ले और छल्लों में पाई जाने वाली बर्फ के कारण धूमकेतु पिछले लाखों वर्षों से निरंतर वाष्पित हो रहे हैं और इनसे ऐसे इकाइयों का निर्माण हो रहा है जिनमें कार्बन और चट्टानी पदार्थों की प्रधानता है। 

धूमकेतु क्या हैं?

  • धूमकेतु बर्फीले पिंड होते हैं जिनसे गैस और धूल का उत्सर्जन होता है।  
  • इनकी तुलना प्रायः डर्टी स्नोबॉल (dirty snowball) से की जाती है। हालाँकि कुछ अनुसंधानों के पश्चात् वैज्ञानिक इन्हें बर्फीली डर्टबॉल (snowy dirtballs) के नाम से भी जानने लगे हैं।  
  • धूमकेतु में धूल, बर्फ, कार्बन-डाइऑक्साइड, अमोनिया, मीथेन आदि होते हैं।  धूमकेतु सूर्य के चारों और परिक्रमा तो करते हैं, परन्तु इनमें से अधिकांश धूमकेतु ऐसे स्थानों पर पाए जाते हैं जिन्हें ‘ऊर्ट क्लाउड’ (oort cloud) कहा जाता है। यह ऊर्ट क्लाउड प्लूटो की कक्षा से काफी दूर हैं।
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