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शासन व्यवस्था

सरदार सरोवर बांध

  • 09 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश और गुजरात के बीच नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध में पानी छोड़ने को लेकर विवाद सामने आया है। मध्य प्रदेश ने गुजरात के साथ अपने अधिशेष पानी को साझा करने से इनकार कर दिया है।

सरदार सरोवर बांध:

  • सरदार सरोवर बांध गुजरात के नवगाम के पास नर्मदा नदी पर बना एक गुरुत्व बांध है। यह बांध चार राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में पानी तथा बिजली की आपूर्ति करते है।
  • यह सरदार वल्लभ भाई पटेल की महत्त्वाकांक्षी परियोजना थी जिसकी संकल्पना को वर्ष 1960 के आसपास जवाहरलाल नेहरू द्वारा मूर्त रूप देने का प्रयास किया, लेकिन इस परियोजना हेतु कोई ठोस कदम नही उठाया जा सका।
  • वर्ष 1980 के आसपास विश्व बैंक की सहायता से इस परियोजना पर ज़मीनी कार्यवाही प्रारंभ की गई।
  • नर्मदा नदी दक्षिण-पश्चिम मालवा पठार के बाद एक लंबे गार्ज का निर्माण करती है। इस गार्ज का विस्तार गुजरात तक है जहाँ सरदार सरोवर बांध का निर्माण किया गया है।
  • बांध के लिये भूमि अधिग्रहण के बाद लोगों के विस्थापन की चिंता को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की भी शुरुआत हुई।

Sardar Sarovar Project

सरदार सरोवर बांध का महत्त्व:

  • बांध से निकली गई नर्मदा नहर के माध्यम से गुजरात के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को सिंचाई और पेयजल हेतु पानी की की आपूर्ति की जाती है।
  • राजस्थान के बाड़मेर और जालौर के शुष्क क्षेत्रों में भी सिंचाई और पेयजल के लिये नर्मदा नहर से पानी की आपूर्ति की जाती है।
  • इस बांध के निर्माण से भरूच आदि ज़िलों में बाढ़ की स्थिति में भी सुधार हुआ है।
  • गुजरात सरकार ने नहर के ऊपर सौर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की योजना की घोषणा की है।

वर्तमान परिदृश्य:

  • सरदार सरोवर परियोजना में रिवर बेड पावर हाउस ( 1,200 MW ) और कैनाल हेड पावर हाउस ( 250 MW ) नामक दो पावर हाउस शामिल हैं। इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात को क्रमशः 57:27:16 के अनुपात में बिजली साझा की जाती है।
  • रिवर बेड पावर हाउस वर्ष 2017 से ही पानी की कमी के कारण बंद है, इस जलाशय की ऊँचाई 138.63 मीटर है।

गुजरात का पक्ष:

  • गुजरात में वर्ष 2017 और 2018 में कम वर्षा हुई इसलिये वह ज़्यादा पानी की मांग कर रहा है।
  • गुजरात की मांग है कि जब तक पानी पूर्ण जलाशय स्तर तक नहीं पहुँचता, तब तक उत्पादन नहीं शुरू किया जाएगा; क्योंकि गुजरात के लिये बिजली से ज़्यादा पेयजल और सिंचाई प्राथमिक हैं।
  • रिवर बेड पावर हाउस बंद होने पर ही जलाशय भरना संभव है क्योंकि बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले पानी का पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता तथा इसे समुद्र में बहा दिया जाता है।

मध्य प्रदेश का पक्ष:

  • मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि वह प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन करने को तैयार है, लेकिन उसने एकतरफा करार पर आपत्ति जताई है।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि पानी का मुख्य उद्देश्य बिजली उत्पादन करना था साथ ही गुजरात पानी का भंडारण भी कर सकता था।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने अधूरे नियमों और विनियमों का हवाला देते हुए कहा कि यदि जलाशय का स्तर बढ़ता है, तो पुनर्वासित लोग और भी प्रभावित होंगे।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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