ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे एवं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे राष्ट्र को समर्पित | 28 May 2018

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दो नवनिर्मित्त एक्सप्रेस-वे राष्ट्र को समर्पित किये। इनमें से पहला दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का 14 लेन, एक्सेस नियंत्रित प्रथम चरण है जो निज़ामुद्दीन पुल से दिल्ली यूपी सीमा तक फैला हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग का 8.360 किमी. का यह हिस्सा लगभग 841.50 करोड़ रुपए की लागत से 30 महीनों की अपेक्षित निर्माण अवधि के मुकाबले 18 महीनों के रिकॉर्ड समय में तैयार हुआ है। इसमें 6 लेन का एक्सप्रेस-वे और 4 + 4 की सर्विस लेन शामिल हैं।

  • इस परियोजना का शिलान्यास माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 31 दिसंबर, 2015 को किया गया था।

लक्ष्य

  • दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे परियोजना का लक्ष्य दिल्ली एवं मेरठ के बीच तथा इससे और आगे, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के साथ तेज़ एवं सुरक्षित संपर्क उपलब्ध कराना है।

मुख्य विशेषताएँ 

  • इस परियोजना की कुल लंबाई 82 किमी. है जिसमें से शुरुआती 27.74 किमी. की लंबाई 14 लेन की होगी, जबकि शेष 6 लेन का एक्सप्रेस-वे होगा। इस परियोजना पर 4975.17 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
  • यह ऐसा पहला एक्सप्रेस-वे होगा, जिसमें दिल्ली एवं डासना के बीच लगभग 28 किमी. के खंड पर समर्पित बाइसाइक्ल ट्रैक होगा।
  • इस परियोजना में 11 फ्लाईओवरों/इंटरचेंज, 5 बड़े एवं छोटे पुल, तीन रेल ओवरब्रिज, 36 वाहनों के लिये तथा 14 पैदल यात्रियों के लिये अंडरपास होंगे।
  • पूरी परियोजना के संपन्न हो जाने के बाद दिल्ली से मेरठ जाने में केवल 60 मिनट लगेंगे। 

राष्ट्र को समर्पित की जाने वाली दूसरी परियोजना

  • राष्ट्र को समर्पित यह देश की दूसरी परियोजना ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (Eastern Peripheral Expressway - EPE) है जो राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर कोंडली से राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर पलवल तक 135 किमी. लंबा खंड है।
  • प्रधानमंत्री ने इस परियोजना के लिये शिलान्यास 5 नवंबर, 2015 को किया था।
  • पश्चिमी एवं पूर्वी दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 1 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 2 को जोड़ते हुए वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (Western Peripheral Expressway - WPE) एवं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (Eastern Peripheral Expressway - EPE) से निर्मित्त दिल्ली के चारों ओर पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (Peripheral Expressways) की परियोजना की परिकल्पना ऐसे ट्रैफिक को डायवर्ट करने (जिनका गंतव्य दिल्ली नहीं हैं) तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को भीड़-भाड़ एवं प्रदूषण से बचाने के लिये की गई है।
  • EPE के लिये लगभग 5900 करोड़़ रुपए की लागत से कुल 1700 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
  • परियोजना की निर्माण लागत लगभग 4617.87 करोड़ रुपए है। एक्सप्रेस-वे लगभग 500 दिनों के रिकॉर्ड समय में तैयार हो गया है, जबकि निर्धारित लक्ष्य 910 दिनों का था।
  • एक्सप्रेस-वे में 4 बड़े पुल, 46 छोटे पुल, तीन फ्लाईओवर, 7 इंटरचेंज, 221 अंडरपास, 8 आरओबी एवं 114 पुलिया (कल्वर्ट) हैं।
  • इस परियोजना ने लगभग 50 लाख मानव दिवसों के लिये रोज़गार की संभावनाएँ सृजित की हैं।
पैकेज की संख्या पैकेज का विवरण
I.

निज़ामुद्दीन ब्रिज से यूपी सीमा तक

(0.000 किलोमीटर से 8.360 किलोमीटर)

6-लेन एक्सप्रेस-वे और 4 + 4 सर्विस लेन यानी 14-लेन सुविधा

II.

यूपी सीमा से डासना तक

(8.360 किलोमीटर से 27.740 किलोमीटर = 19.28 किलोमीटर)

6 लेन एक्सप्रेस-वे और 4 + 4 सेवा लेन यानी 14-लेन सुविधा

III.

डासना से हापुड़ तक

(27.740 किलोमीटर से 49.346 किलोमीटर = 22.27 किलोमीटर)

6 लेन का एनएच 24, दोनों तरफ 2 लेन का सेवा सड़कों के साथ

IV.

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का ग्रीन-फील्ड संरेखण डासना से मेरठ तक

(27.740 किलोमीटर से 59.983 किलोमीटर = 31.78 किलोमीटर) - 6 लेन का एक्सप्रेस-वे

 सौर बिजली का उपयोग

  • यह देश का ऐसा पहला एक्सप्रेस-वे है जिसमें पूरी 135 किमी. की लंबाई में सौर बिजली का उपयोग किया गया है।
  • अंडरपासों को रौशन रखने, वॉटरिंग प्लांटों के लिये सौर पंपों के परिचालन के लिये इस एक्सप्रेस-वे पर 4000 किलोवॉट (4 मेगावॉट) की क्षमता के आठ सौर बिजली संयंत्र हैं। 
  • EPE पर प्रत्येक 500 मीटर पर वर्षा जल संचयन का प्रावधान किया गया है तथा पूरे EPE पर ड्रिप सिंचाई भी है।
  • भारतीय संस्कृति एवं विरासत को प्रदर्शित करती स्मारकों की 36 प्रतिकृतियाँ भी हैं।