नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय राजनीति

नगालैंड भाषायी दृष्टिकोण से सबसे विविधतापूर्ण राज्य

  • 11 Jul 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

जनगणना 2011 के आँकड़ों के अनुसार नगालैंड भाषा के दृष्टिकोण से भारत का सबसे धनी राज्य है, जबकि केरल सबसे कम विविधतापूर्ण राज्य है। यह विश्लेषण Herfindahl-Hirschman Index – HHI पर आधारित है। यह विश्लेषण दो अक्षों भाषा और बोली के आधार पर किया गया है।

प्रमुख बिंदू:

  • जनगणना 2011 के आँकड़े भाषा के दो स्तरों की चर्चा करते हैं- भाषा (language) और मातृभाषा (mother tongue)। इसे ‘प्रमुख भाषा’ (major languge) और ‘गौण भाषा’ (minor language) या भाषा और बोली के रूप में भी वर्णित किया  जा सकता है।
  • नगालैंड में भाषा और बोली दोनों ही अक्षों पर स्पष्टतौर पर अधिक विविधता देखने को मिलती है।
  • 2011 की जनगणना के आँकड़ों के आधार पर, नगालैंड में प्रभावी रूप से 14 भाषाएँ और 17 बोलियाँ बोली जाती है जिनमें  कोन्याक (konyak) सबसे अधिक बोली जाती है। कोन्याक की भागीदारी राज्य में 46% है। दूसरी ओर, केरल में 1.06 भाषाएँ प्रभावी हैं। वर्ष 2014 के अनुसार, राज्य के लगभग 97 % निवासियों की मातृभाषा मलयालम है।
  • इन आँकड़ों में सबसे रोचक बात हिंदी भाषी राज्यों से संबंधित है, जहाँ लोगों द्वारा प्रभावी रूप से बोली जाने बोलियों की संख्या भाषाओं की संख्या से काफी आगे है। उदाहरण के लिये हिमाचल प्रदेश में 1.03 भाषाएँ प्रभावी हैं और 86% आबादी की मातृभाषा हिंदी है। फिर जब इसे बोलियों में विभाजित करते हैं तो पता चलता है कि यहाँ 6 प्रभावी भाषाएँ हैं, जिसमें पहाड़ी (हिंदी की एक बोली) सबसे अधिक प्रभावी है और यह 32% आबादी द्वारा बोली जाती है।
  • इसी तरह, भाषा के आधार पर मापने से बिहार में 78% लोगों द्वारा हिंदी बोली जाती है, लेकिन जब इसे बोली के आधार पर विभाजित करते हैं तो यह आँकड़ा सिमटकर 26% तक रह जाता है और भोजपुरी राज्य में सबसे प्रमुख बोली के रूप में उभरती है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाषा के स्तर पर हिंदी अधिक प्रभावी है, लेकिन बोली के स्तर पर क्रमशः राजस्थानी और छत्तीसगढ़ी प्रमुख हो जाती है।
  • अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में मुख्य रूप से बोली जाने वाली भाषाओं को छोड़ दें तो उपर्युक्त भाषाओं में हिंदी एकमात्र भाषा है जो कई मुख्य बोलियों में विभाजित हो जाती है, जो प्रश्न उत्पन्न करती है कि “हिंदी क्या है”।

Herfindahl - Hirschman Index – HHI के बारे में:

  • यह एक औद्योगिक अर्थशास्त्र की एक अवधारणा है, जिसे मूलतः एक उद्योग में एकाधिकार या प्रतिस्पर्द्धा की डिग्री को मापने के लिये विकसित किया गया है। HHI को किसी उद्योग में प्रत्येक कंपनी की बाज़ार हिस्सेदारी के वर्ग के योग के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • किसी उद्योग की आदर्श प्रतिस्पर्द्धात्म्कता के लिये HHI का मान शून्य के करीब होता है और HHI का मान 1 होना एकाधिकार को दर्शाता है।
  • HHI का विपरीत मान एक उद्योग में "फर्मों की प्रभावी संख्या" का अनुमान प्रस्तुत करता है। इस संदर्भ में मान 1 एकाधिकार और मान अनंत (∞) पूरी तरह प्रतिस्पर्द्धी उद्योग की स्थिति को दर्शाता है।
  • इस अवधारणा को अर्थशास्त्र के अन्य क्षेत्रों में भी प्रयुक्त किया गया है। उदाहरण के लिये HHI के सूत्र को उलटकर प्रयोग करने से किसी चुनाव में दलों (मतों) की प्रभावी संख्या को मापा जा सकता है। इसी तरह इसका प्रयोग किसी राज्य में भाषाओं की प्रभावी संख्या ज्ञात करने में कर सकते हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow