नाबार्ड की जलवायु रणनीति 2030 | 29 Apr 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, हरित वित्तपोषण, ग्रीनवॉशिंग, सौर ऊर्जा संचालित सिंचाई, जलवायु-स्मार्ट कृषि

मेन्स के लिये:

नाबार्ड की जलवायु रणनीति, हरित वित्तपोषण से संबंधित चुनौतियाँ

स्रोत: नाबार्ड

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने अपने जलवायु रणनीति 2030 दस्तावेज़ का अनावरण किया, जिसका उद्देश्य भारत की हरित वित्तपोषण की आवश्यकता को संबोधित करना है।

नाबार्ड की जलवायु रणनीति क्या है? 

  • परिचय: नाबार्ड की जलवायु रणनीति 2030 चार प्रमुख स्तंभों के आसपास संरचित है:
    • हरित ऋण में तेज़ी लाना: विभिन्न क्षेत्रों में हरित वित्तपोषण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • बाज़ार-निर्माण की भूमिका: हरित वित्त के लिये अनुकूल बाज़ार वातावरण बनाने में व्यापक भूमिका निभाना।
    • आंतरिक हरित परिवर्तन: नाबार्ड के संचालन के भीतर स्थायी प्रथाओं को लागू करना।
    • रणनीतिक संसाधन संघटन: हरित पहलों का समर्थन करने के लिये प्रभावी ढंग से संसाधनों का संघटन करना।
  • उद्देश्य: यह रणनीति स्थायी पहल के लिये आवश्यक निवेश और हरित वित्त के वर्तमान प्रवाह के बीच वित्तीय अंतर से निपटने के लिये डिज़ाइन की गई है।
    • भारत को वर्ष 2030 तक सालाना लगभग 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है, जिसका कुल संचयी लक्ष्य 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
    • हालाँकि, वर्तमान हरित वित्त प्रवाह अपर्याप्त है, वर्ष 2019-20 तक केवल लगभग 49 बिलियन अमेरिकी डॉलर ही जुटाए गए थे।
    • इसके अतिरिक्त, भारत में अधिकांश वित्त शमन प्रयासों के लिये निर्धारित किया गया है, अनुकूलन और लचीलेपन के लिये केवल 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किये गए हैं।
      • यह बैंक योग्यता और वाणिज्यिक व्यवहार्यता में चुनौतियों के कारण इन क्षेत्रों में न्यूनतम निजी क्षेत्र की भागीदारी को दर्शाता है।

नोट: 

  • नाबार्ड भारत में ग्रामीण क्षेत्र के वित्त पर ध्यान केंद्रित करने वाला शीर्ष विकास बैंक है।
  • वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम के तहत स्थापित, यह संसद द्वारा अनिवार्य कृषि, लघु उद्योगों, कुटीर उद्योगों एवं  ग्रामीण परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • इसका मुख्यालय मुंबई में है।  

हरित वित्तपोषण क्या है?

  • परिचय: हरित वित्तपोषण से तात्पर्य सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव वाले निवेशों का समर्थन करने के लिये वित्तीय संसाधनों के संघटन से है।
  • महत्त्व: पारंपरिक वित्तीय प्रणाली अक्सर दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता पर अल्पकालिक लाभ को प्राथमिकता देती है। हरित वित्तपोषण का लक्ष्य इस अंतर को समाप्त करना है:
    • निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को सुविधाजनक बनाना: नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिये वित्त में वृद्धि करके और साथ ही हरित वित्तपोषण, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में सहायता करता है।
    • जलवायु अनुकूलन और लचीलेपन को बढ़ावा देना: बाढ़ सुरक्षा और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों जैसे हरित बुनियादी ढाँचे में निवेश समुदायों को बदलती जलवायु के अनुकूल होने तथा प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने में सहायता कर सकता है।
    • नए आर्थिक अवसरों को ढूँढना: हरित अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और स्थायी प्रथाओं के लिये नए बाज़ार बनाता है, नवाचार व रोज़गार सृजन को प्रोत्साहित करता है।
  • हरित वित्तपोषण से संबंधित चुनौतियाँ:
    • उच्च प्रारंभिक लागतः दीर्घकालिक लागत बचत और पर्यावरणीय लाभों के बावजूद, निवेशक हरित परियोजनाओं में भाग लेने से हतोत्साहित हो सकते हैं क्योंकि उन्हें आमतौर पर पारंपरिक परियोजनाओं की तुलना में बड़े प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है।
    • असंगत समयसीमा: हरित पहल में अक्सर भुगतान की लंबी अवधि होती है और यह निवेशकों और वित्तीय संस्थानों के अल्पकालिक निवेश क्षितिज या वित्तीय लक्ष्यों में समायोजित नहीं हो पाती है।
    • मानकीकरण और ग्रीनवॉशिंग का अभाव: हरित निवेश के लिये विश्व स्तर पर स्वीकृत मानकों की अनुपस्थिति उनके पर्यावरणीय प्रभाव एवं वित्तीय प्रदर्शन के मूल्यांकन में अस्पष्टता और असंगतता का कारण बनती है।
      • इसके अलावा इसमें, स्पष्ट और मानकीकृत मानदंडों के बिना, ग्रीनवॉशिंग का जोखिम है, जहाँ निवेश को पर्याप्त स्थिरता लाभ प्रदान किये बिना पर्यावरण के अनुकूल के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।

हरित वित्तपोषण में कैसे सुधार किया जा सकता है? 

  • हरित परियोजनाओं के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-संचालित जोखिम मूल्यांकनः AI एल्गोरिदम विकसित करना जो अधिक सटीकता और दक्षता के साथ हरित परियोजनाओं से जुड़े पर्यावरणीय एवं वित्तीय जोखिमों का आकलन कर सकता है।
    • यह पारंपरिक वित्तीय संस्थानों को हरित वित्तपोषण में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है। 
  • उपग्रह डेटा-संचालित सतत निवेश निर्णयः उपग्रह इमेजरी और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके टिकाऊ कृषि या वनों की कटाई जैसे क्षेत्रों में संभावित निवेश के पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन कर निवेशकों को डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि प्रदान करके।
  • सरकारी गारंटी के साथ हरित अवसंरचना बॉण्ड: निजी निवेशकों के लिये जोखिम को कम करने और बड़े पैमाने पर टिकाऊ बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये आंशिक सरकारी गारंटी के साथ हरित बुनियादी ढाँचा बॉण्ड तैयार करना।
  • ज़मीनी स्तर पर हरित पहलों के लिये सूक्ष्म अनुदानः वर्षा जल संचयन, सौर-संचालित सिंचाई, अथवा सामुदायिक रूप से खाद तैयार करने जैसी पहल जैसी लघु-स्तरीय हरित परियोजनाओं को विकसित और लागू करने में स्थानीय समुदायों का समर्थन करने हेतु सूक्ष्म-अनुदान कार्यक्रमों की स्थापना करना। 
  • वित्तीय उत्पादों के लिये हरित प्रभाव स्कोर: एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना जहाँ वित्तीय वस्तुओं का मूल्यांकन उनके पर्यावरणीय प्रभाव, या "हरित प्रभाव स्कोर" के अनुसार किया जाता है। यह ग्राहकों को हरित विकल्पों को प्राथमिकता देने और सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को सरल बनाने के लिये हम सतत् विकास के ढाँचे के भीतर हरित वित्तपोषण को किन रचनात्मक तरीकों द्वारा बढ़ावा दे सकते हैं?

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

मेन्स:

प्रश्न. नवंबर 2021 में ग्लासगो में विश्व के नेताओं के शिखर सम्मेलन में COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में आरंभ की गई हरित ग्रिड पहल का प्रयोजन स्पष्ट कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में यह विचार पहली बार कब दिया गया था? (2021)