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भारतीय अर्थव्यवस्था

संरचित वित्त और आंशिक गारंटी कार्यक्रम

  • 26 Aug 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संरचित वित्त और आंशिक गारंटी कार्यक्रम, सूक्ष्म वित्त संस्थान

मेन्स के लिये:

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु सरकार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक’ (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD) द्वारा ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी -सूक्ष्म वित्त संस्थानों’ के लिये एक ‘संरचित वित्त और आंशिक गारंटी कार्यक्रम’ (Structured Finance and Partial Guarantee Programme) की शुरुआत की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य COVID-19 से प्रभावित देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की निर्बाध आपूर्ति को सुनिश्चित करना है।
  • इस कार्यक्रम के तहत नाबार्ड द्वारा छोटे और मध्यम आकार के ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-सूक्ष्म वित्त संस्थानों’ (Non-Banking Financial Company - Micro Finance Institutions or NBFC-MFIs) को सामूहिक/संयोजित ऋण (Pooled Loans) पर आंशिक गारंटी प्रदान की जाएगी।
  • इसके तहत नाबार्ड द्वारा प्राथमिक चरण के तहत 2500 करोड़ रुपए के वित्त पोषण की सुविधा प्रदान की जाएगी तथा इसे आगे चलकर और भी बढ़ाया जा सकता है।
  • इस कार्यक्रम के तहत देश के 28 राज्यों और 650 ज़िलों में 10 लाख से अधिक परिवारों को लाभ प्राप्त होने का अनुमान है।

क्रियान्वयन:

  • नाबार्ड द्वारा इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु विवृत्ति कैपिटल (Vivriti Capital) और उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक (Ujjivan Small Finance Bank) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया है।

प्रभाव:

  • वर्तमान में COVID-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बीच इस आंशिक गारंटी युक्त ऋण सुविधा के माध्यम से बड़ी संख्या में परिवारों, किसानों और व्यवसायों को इस चुनौती से निपटने के लिये आवश्यक वित्तीय सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
  • गौरतलब है कि COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से बाज़ार में तरलता की कमी को दूर करने के लिये नाबार्ड द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFIs) और ‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों’ (NBFCs) को लगभग 2,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं।


सामूहिक ऋण निर्गमन (Pooled Loan Issuance- PLI):

  • इस व्यवस्था के तहत कई ऋणग्राहियों के जोखिम को एक साथ जोड़ दिया जाता है और ऋण पर समूह के किसी उच्च मानक प्राप्त गारंटर (Highly Rated Guarantor) के माध्यम से एक सामान्य आंशिक गारंटी प्रदान की जाती है।
  • PLI की इस व्यवस्था में नाबार्ड द्वारा आंशिक ऋण संरक्षण के प्रावधान से ऋण दाता बैंकों के लिये ऋण वितरण की प्रक्रिया बहुत ही सुविधाजनक हो जाएगी।
  • इसके तहत नाबार्ड की गारंटी से ऋणों की रेटिंग बढ़ने से पूंजी की लागत कम हो जाएगी, जो ऋणदाताओं को प्राथमिक क्षेत्र के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करता है।
  • इस कार्यक्रम में एक गारंटर के रूप में नाबार्ड की भूमिका से बड़ी संख्या में मुख्यधारा के बैंकों और छोटे वित्त बैंकों को इससे जुड़ने हेतु आकर्षित करने में सहायता प्राप्त हुई है।

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - सूक्ष्म वित्त संस्थान:

  • NBFC-MFIs एक प्रकार की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, जिसमें धन जमा करने की सुविधा नहीं होती।
  • NBFC-MFIs के निर्धारण के कुछ मानदंड निम्नलखित हैं-
    • NBFC-MFIs की कुल संपत्ति में से 85% क्वालीफाइंग संपत्ति (Qualifying Assets) के रूप में होनी चाहिये।
    • NBFC-MFI द्वारा ऋण प्राप्त करने के लिये ग्रामीण क्षेत्र के परिवार की वार्षिक आय 1,00,000 रुपए और अर्द्ध-शहरी क्षेत्र में परिवार की वार्षिक आय 1,60,000 रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिये।
    • एक NBFC तथा NBFC-MFI में मुख्य अंतर यह होता है कि जहाँ NBFC बड़ी परियोजनाओं, उद्यमों के लिये वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराती है वहीं NBFC-MFI समाज के निचले स्तर पर बहुत छोटे ऋण उपलब्ध कराती हैं।

निष्कर्ष:

  • सूक्ष्म वित्त संस्थान ग्रामीण अर्थव्यवस्था और समाज के निचले स्तर पर पूंजी उपलब्ध कराने तथा बाज़ार में मांग को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वर्तमान में COVID-19 महामारी के बीच नाबार्ड द्वारा प्रस्तावित आंशिक ऋण गारंटी से कृषि, छोटे व्यवसायों और विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय तरलता को कुछ सीमा तक कम करने में सहायता प्राप्त होगी।

स्त्रोत: द हिंदू

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