भारत-विश्व
एन. रघुराम अंतर्राष्ट्रीय नाइट्रोजन पहल के पहले भारतीय-एशियाई अध्यक्ष
- 18 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वैज्ञानिक-शिक्षाविद नंदुला रघुराम को अंतर्राष्ट्रीय नाइट्रोजन पहल (INI) का अध्यक्ष चुना गया है।
नंदुला रघुराम के बारे में
- उल्लेखनीय है कि रघुराम ऐसे पहले भारतीय और एशियाई हैं जिन्हें आईएनआई का अध्यक्ष चुना गया है।
- ये भारतीय नाइट्रोजन समूह के अध्यक्ष और पोषक प्रबंधन पर यूएनईपी वैश्विक साझेदारी की संचालन समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
- औपचारिक रूप से रघुराम 1 जनवरी, 2019 को आईएनआई के अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय नाइट्रोजन पहल (आईएनआई)
The International Nitrogen Initiative
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसे वर्ष 2003 में पर्यावरण की समस्याओं पर वैज्ञानिक समिति (SCOPE) और इंटरनेशनल जियोस्फीयर-बायोस्फीयर प्रोग्राम (IGBP) द्वारा प्रायोजित किया गया था।
- आईएनआई एक संचालन समिति द्वारा समन्वयित की जाती है, जिसका नेतृत्व इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है और छह क्षेत्रीय केंद्र निदेशक अफ्रीका, यूरोप, लैटिन अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- आईएनआई प्रत्येक तीन साल में एक सम्मेलन आयोजित करता है।
- दिसंबर 2016 में मेलबर्न में अंतिम आईएनआई सम्मेलन आयोजित किया गया था।
- अगला आईएनआई सम्मेलन वर्ष 2020 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित किया जाएगा।
आईएनआई के मुख्य उद्देश्य:
- टिकाऊ खाद्य उत्पादन में नाइट्रोजन की फायदेमंद भूमिका को अनुकूलित करना।
- खाद्य और ऊर्जा उत्पादन के दौरान मानव स्वास्थ्य पर नाइट्रोजन के नकारात्मक प्रभाव को कम करना।
- वर्तमान में इस कार्यक्रम का का एक सतत भागीदार ‘फ्यूचर अर्थ’ (Future Earth) है।
- उल्लेखनीय है कि फ्यूचर अर्थ एक वैश्विक संस्थान है जो अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से वैश्विक परिवर्तनों में तेज़ी से स्थिरता लाने हेतु समर्पित है।
प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन क्या है ?
- नाइट्रोजन जीवन के लिये ज़रूरी पाँच प्रमुख रासायनिक तत्त्वों में से एक है।
- जबकि नाइट्रोजन सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है किंतु यह 99% से अधिक आण्विक नाइट्रोजन या N2 के रूप में होता है, जिसका उपयोग ज्यादातर जीवों द्वारा नहीं किया जा सकता है।
- अधिकांश जीवित जीव केवल प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन का उपयोग कर सकते हैं।
- प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन में अमोनिया, अमोनियम, नाइट्रोजन ऑक्साइड, नाइट्रिक एसिड, नाइट्रस ऑक्साइड, और नाइट्रेट एवं यूरिया, अमाइन, प्रोटीन तथा न्यूक्लिक एसिड जैसे जैविक यौगिक शामिल हैं।
- दरअसल, प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन में अभूतपूर्व वृद्धि ने दुनिया भर में लोगों और पारिस्थितिक तंत्र पर बुरा असर डाला है।
- प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन के कारण निचले वायुमंडल में ओज़ोन की उच्च सांद्रता से तटीय पारिस्थितिक तंत्र का यूट्रोफिकेशन, वनों, मिट्टी और ताज़े पानी की धाराओं तथा झीलों का अम्लीकरण और जैव विविधता को नुकसान होता है।
- इसके अलावा यह नाइट्रस ऑक्साइड के रूप में एक ग्रीनहाउस गैस, नाइट्रोजन ग्लोबल वार्मिंग और स्ट्रेटोस्फेरिक ओज़ोन रिक्तीकरण में भी योगदान देता है।