भारतीय अर्थव्यवस्था
म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी
- 15 Feb 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, म्युनिसिपल बॉण्ड्स मेन्स के लिये:म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी के गठन का उद्देश्य तथा कार्य |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बाज़ार नियामक ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ [Securities and Exchange Board of India-(SEBI-सेबी)] ने म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी (Municipal Bonds Development Committee) का गठन किया है।
मुख्य बिंदु:
- म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी का गठन सेबी के कार्यकारी निदेशक सुजीत प्रसाद की अध्यक्षता में किया गया है।
- सितंबर 2019 में सेबी ने स्मार्ट शहरों के साथ-साथ नगर नियोजन और शहरी क्षेत्रों के विकास के कार्यों को करने वाली संस्थाओं तथा नगरपालिकाओं को ऋण प्रतिभूतियों के माध्यम से धन जुटाने में मदद देने के लिये 'मुनी बॉण्ड' (Municipal Bond) जारी करने के नियमों में ढील प्रदान की थी।
क्या है मुनी बॉण्ड/म्युनिसिपल बॉण्ड?
- भारत में विभिन्न स्तरों पर सरकारें कार्य करती हैं।
- केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों को अपने व्यय के वित्तपोषण के लिये धन की आवश्यकता होती है।
- इन तीनों में केंद्र के पास अपने बजटीय वित्तपोषण के लिये राजस्व और उधार के विभिन्न स्रोत होते हैं।
- इसी तरह राज्य सरकारों के लिये राज्य विकास ऋण होता है, जो बॉण्ड का ही एक रूप है जिसे बाज़ार में बेचा जाता है।
- स्थानीय निकायों जैसे-नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिये केवल सीमित राजस्व स्रोत और बाज़ार से उधार लेने के लिये बहुत सीमित विकल्प होते हैं।
- ऐसे समय जब स्थानीय निकायों को अपने मुख्य विकास कार्यों को वित्त प्रदान करने हेतु अधिक धन की आवश्यकता होती है तो ऐसी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये ही सेबी ने वर्ष 2015 में शहरी स्थानीय निकायों को मुनी बॉण्ड के माध्यम से पैसा जुटाने हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये थे।
- मुनी बॉण्ड शहरी स्थानीय निकायों द्वारा जारी किये गए बॉण्ड हैं, इनके माध्यम से विशेष रूप से नगरपालिका और नगर निगम (नगर निकाय के स्वामित्व वाली संस्थाएं) संरचनात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु धन जुटाती हैं।
म्युनिसिपल बॉण्ड्स डेवलपमेंट कमेटी का कार्य:
- नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों के प्राथमिक और द्वितीयक बाज़ार के विनियमन और विकास से संबंधित मुद्दों पर सेबी को सलाह देना।
- प्राथमिक और द्वितीयक बाज़ार की प्रणालियों और प्रक्रियाओं में सरलीकरण तथा पारदर्शिता लाने के लिये कानूनी ढाँचे में परिवर्तन हेतु आवश्यक मामलों पर सेबी को सलाह देना।
- नगरपालिकाओं को नगरपालिका ऋण प्रतिभूति जारी करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के उपायों पर सेबी को सिफारिश करना।
- प्राथमिक और द्वितीयक बाज़ार में निवेशक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मध्यस्थों के विनियमन से संबंधित मामलों पर सेबी को सलाह देना।
- नगरपालिका ऋण प्रतिभूति बाज़ार के विकास से संबंधित नीतिगत मामलों पर सिफारिश करना।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड:
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
- इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
- इसकी प्रस्तावना (Preamble) के अनुसार इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
- प्रतिभूतियों (Securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
- प्रतिभूति बाज़ार (Securities Market) के विकास का उन्नयन तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।