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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में अगला संकट मुद्रा ऋण की वज़ह से

  • 12 Sep 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि भारत के बैंकिंग क्षेत्र में अगला संकट असंगठित सूक्ष्म और लघु व्यवसायों को दिये गए ऋण (जिसे मुद्रा ऋण कहा जाता है) और किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बढ़ाए गए साख के कारण उत्पन्न हो सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • एनडीए सरकार द्वारा 2015 में लॉन्च की गई प्रधानमंत्री मुद्रा योजना या PMMY के तहत मुद्रा ऋण की पेशकश की जाती है। सूक्ष्म इकाइयों के विकास और पुनर्वित्त एजेंसी (MUDRA) वेबसाइट के आँकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा इस योजना के तहत कुल 6.37 लाख करोड़ रुपए वितरित किये गए हैं।
  • संसद की प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी के अनुरोध पर बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA) पर तैयार किये गए एक नोट में डॉ. राजन ने कहा कि सरकार को महत्वाकांक्षी क्रेडिट लक्ष्यों को स्थापित करने या ऋणों में छूट देने से बचना चाहिये।
  • डॉ. राजन ने अपने 17-पेज के नोट में लिखा, " लोकप्रिय होने के बावजूद मुद्रा ऋण के साथ-साथ किसान क्रेडिट कार्ड दोनों की संभावित क्रेडिट जोखिम के चलते अधिक बारीकी से जाँच की जानी चाहिये।"
  • उन्होंने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक द्वारा संचालित MSME के लिये क्रेडिट गारंटी योजना को भी सूचित किया और इसे "एक बढ़ती आकस्मिक देयता" कहा जिसे तत्काल परीक्षण की आवश्यकता है।
  • उन्होंने लिखा, "2006-2008 की उस अवधि में बड़ी संख्या में NPA उत्पन्न हुए थे जब आर्थिक विकास मजबूत था। यह ऐसा समय होता है जब बैंक गलतियाँ करते हैं।"
  • छोटे ऋणों की समस्या पर उन्होंने नोट में कहा, '' मुझे इस मोर्चे पर प्रगति की जानकारी नहीं है। यह एक ऐसा मामला है जिस पर तत्काल ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।"
  • डॉ. राजन ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे कृषि ऋण पर छूट न देने के लिये सहमत हों क्योंकि इस तरह के छूट क्रेडिट संस्कृति को खराब करते हैं और अंततः क्रेडिट के प्रवाह को कम करते हैं।
  • उन्होंने भारतीय रिज़र्व बैंक के खिलाफ लगे आरोपों का बचाव किया कि एनपीए की गड़बड़ी रिज़र्व बैंक की वज़ह से है। उन्होंने कहा, "सच यह है कि बैंकर, प्रमोटर और परिस्थितियाँ NPA की समस्या पैदा करते हैं। वाणिज्यिक ऋण की प्रक्रिया में आरबीआई मुख्य रूप से एक रेफरी की भूमिका निभाता है, न कि एक खिलाड़ी की।"
  • इसी तरह, उन्होंने इस बात का विरोध किया कि जबरन एनपीए की पहचान ने क्रेडिट और अर्थव्यवस्था में मंदी को आमंत्रित किया है। उन्होंने लिखा, “सबूतों को देखने पर पता चलता है कि यह दावा हस्यास्पद है और उन लोगों द्वारा किया गया है जिन्हें इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है।“

गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ (NPA)

  • गैर-निष्पादनकरी परिसंपत्तियाँ (Non-Performing Assets - NPAs) वित्तीय संस्थानों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक ऐसा वर्गीकरण है जिसका सीधा संबंध कर्ज़/ऋण/लोन न चुकाने से होता है|
  • जब ऋण लेने वाला व्यक्ति 90 दिनों तक ब्याज अथवा मूलधन का भुगतान करने में विफल रहता है तो उसको दिया गया ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्ति माना जाता है| दूसरे शब्दों में, एनपीए वैसी परिसंपत्ति होती है जो मूल रूप से वसूली की अनुमानित अवधि तक नकद मौद्रिक प्रवाह का हिस्सा नहीं बनती है|
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