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भारतीय अर्थव्यवस्था

‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ को शून्‍य जोखिम-भार युक्त ऋण

  • 29 May 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड

मेन्स के लिये:

COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों से निपटने हेतु सरकार के प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) से सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत घोषित आर्थिक राहत पैकेज के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिये जाने वाले ऋण पर ‘जोखिम-भार’ (Risk Weight) लागू करने की अनिवार्यता से छूट देने का अनुरोध किया है।

प्रमुख बिंदु: 

  • COVID-19 और देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण औद्योगिक क्षेत्र को हुई क्षति को देखते हुए सरकार द्वारा MSME क्षेत्र के लिये 3 लाख करोड़ रुपए के ऋण की घोषणा की गई थी।  
  • MSME क्षेत्र को दिये जाने वाले इस ऋण पर ‘गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन’ (Guaranteed Emergency Credit Line- GECL)  के रूप में ‘राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (National Credit Guarantee Trustee Company Limited-NCGTC) द्वारा 100% गारंटी दी जाएगी।
  • NCGTC द्वारा इस गारंटी के लिये कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा।
  • केंद्र सरकार के अनुसार, इस योजना के लिये 41,600 करोड़ रुपए के कोष का प्रबंध किया गया है।
  • यह योजना 31 अक्तूबर, 2020 तक या योजना के तहत प्रस्तावित राशि के खत्म होने (जो भी पहले हो) तक लागू रहेगी।
  • इस योजना के तहत दिये गए ऋण की अवधि 4 वर्ष की होगी साथ ही मूलधन पर एक वर्ष के अधिस्थगन प्रदान किया जाएगा।
  • इस योजना के तहत बैंकों द्वारा जारी किये गए ऋण पर 9.25% ब्याज और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies- NBFCs) द्वारा जारी ऋण पर 14% ब्याज लागू होगा।

राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड

(National Credit Guarantee Trustee Company Limited-NCGTC):

  • राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड की स्थापना 28 मार्च, 2014 को ‘कंपनी अधिनियम, 1956’ के तहत केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा की गई थी।
  •  वर्तमान में NCGTC के तहत 5 क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट का संचालन किया जाता है।
    • शिक्षा ऋण हेतु क्रेडिट गारंटी फंड योजना (Credit Guarantee Fund Scheme for Education Loans- CGFSEL)
    • कौशल विकास हेतु क्रेडिट गारंटी फंड योजना (Credit Guarantee Fund Scheme for Skill Development- CGFSD)
    •  क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फॉर फैक्टरिंग (Credit Guarantee Fund Scheme for Factoring-CGFF)
    • सूक्ष्म इकाइयों के लिये क्रेडिट गारंटी फंड (Credit Guarantee Fund for Micro Units-CGFMU) 
    • स्टैंड अप इंडिया हेतु क्रेडिट गारंटी फंड (Credit Guarantee Fund for Stand Up India- CGFSI)

योजना का लाभ: 

  • यह योजना मूलरूप से MSME श्रेणी के उद्यमों के लिये शुरू किया गया है, परंतु अन्य छोटे कारोबारी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ भी इस योजना का लाभ उठा सकेंगी। अतः इस योजना के माध्यम से COVID-19 के कारण बाज़ार में उत्पन्न हुई तरलता को तात्कालिक रूप से  कुछ सीमा तक दूर किया जा सकेगा।  
  • शून्‍य’ जोखिम-भार का अर्थ है कि बैंकों को इस योजना के तहत दिये गए ऋण पर अतिरिक्त पूंजी अलग नहीं रखनी होगी। इससे बैंकों पर गैर-निष्पादित संपत्तियों (Non-Performing Assets- NPA) का दबाव कम होगा और बैंकों को अधिक-से-अधिक ऋण उपलब्ध करने के लिये प्रेरित किया जा सकेगा।
  • पिछले सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुख अधिकारियों की एक बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री ने बैंकों को बिना तीन ‘C’ {केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI), केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission- CVC) और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India- CAG) के भय के पात्र लोगों को योजना के तहत ऋण उपलब्ध कराने को कहा है। 

चुनौतियाँ:  

  • इस प्रकार के ऋण पर न्यूनतम 20% जोखिम भार लागू होगा क्योंकि यह ऋण प्रत्यक्ष रूप से सरकार की गारंटी के तहत नहीं जारी किये गए हैं। 

आगे की राह:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, इस बात की अधिक संभावना है कि RBI द्वारा जोखिम भार की अनिवार्यताओं को हटा दिया जाएगा, जिससे यह योजना आसानी से लागू की जा सकेगी।
  • COVID-19 के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभाव MSME श्रेणी के उद्यमों पर देखने को मिला है, अतः इस योजना के माध्यम से आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध करा कर औद्योगिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी। 

स्रोत: द हिंदू

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