एम.एस स्वामीनाथन | 03 Oct 2023
प्रीलिम्स के लिये:एम.एस स्वामीनाथन, हरित क्रांति, खाद्य सुरक्षा, वर्ष1942-43 का बंगाल अकाल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)। मेन्स के लिये:एम.एस स्वामीनाथन और कृषि और भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार देने में उनका योगदान। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
'हरित क्रांति के जनक' कहे जाने वाले मोनकोम्ब संबासिवन (एम.एस) स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
एम.एस स्वामीनाथन:
- परिचय:
- उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु, भारत हुआ था, जो महात्मा गांधी की मान्यताओं और भारत के स्वतंत्रता संग्राम से काफी प्रभावित थे।
- शुरुआत में उनका इरादा चिकित्सा के क्षेत्र में अपना पेशा अपनाने का था लेकिन 1942-1943 के बंगाल अकाल के बारे में जानने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया। इस भयानक घटना का उन पर गंभी प्रभाव पड़ा और भारत के कृषि उद्योग को बढ़ाने की उनकी इच्छा जागृत हुई।
- कॅरियर :
- उन्होंने कृषि अध्ययन व अनुसंधान को आगे बढ़ाया, आनुवंशिकी और प्रजनन में गहनता से कार्य किये, इस विश्वास के साथ कि उन्नत फसल किस्मों का किसानों के जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है एवं खाद्य की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
- उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR) के महानिदेशक के रूप में कार्य किया, जहाँ उन्होंने भारत में कृषि अनुसंधान और शिक्षा को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने खाद्य और कृषि संगठन परिषद के स्वतंत्र अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया तथा अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण एवं कृषि संगठनों में नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभाईं।
- उन्होंने कृषि अध्ययन व अनुसंधान को आगे बढ़ाया, आनुवंशिकी और प्रजनन में गहनता से कार्य किये, इस विश्वास के साथ कि उन्नत फसल किस्मों का किसानों के जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है एवं खाद्य की कमी को दूर करने में मदद मिल सकती है।
- योगदान:
- हरित क्रांति में भूमिका: उन्हें हरित क्रांति में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिये व्यापक रूप से पहचाना गया, जो भारतीय कृषि में एक परिवर्तनकारी चरण था जिसने फसल उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि की और राष्ट्र के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।
- अधिक उपज वाले गेहूँ और चावल: अधिक उपज वाली गेहूँ और चावल की किस्मों, विशेष रूप से अर्ध-वामन(Semi-Dwarf) गेहूँ की किस्मों को विकसित करने में स्वामीनाथन के अभूतपूर्व कार्य ने 1960 एवं 70 के दशक के दौरान भारत में कृषि में क्रांति ला दी।
- इस परिवर्तन से फसल की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया और अकाल का खतरा टल गया।
- कृषक वर्गों का कल्याण: स्वामीनाथन ने किसानों के कल्याण हेतु कृषि उपज के लिये उचित मूल्य और धारणीय कृषि पद्धतियों पर ज़ोर दिया।
- 'स्वामीनाथन रिपोर्ट' कृषि क्षेत्र में संकट के कारणों का आकलन प्रस्तुत करती है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) इस रिपोर्ट की सिफारिशों में से एक है, इसके अनुसार MSP औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिये, यह आज भी पूरे भारत में कृषि संघों की प्राथमिक मांग है। MSP वह कीमत है जिस पर सरकार सीधे किसानों से फसल खरीदती है।
- पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार का संरक्षण अधिनियम 2001: उन्होंने पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार के संरक्षण अधिनियम 2001 को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
- अन्य योगदान:
- उन्हें 'मन्नार की खाड़ी समुद्री जीवमंडल (Go MMB)' और 'समुद्र तल से नीचे धान की पारंपरिक खेती' वाले केरल के कुट्टनाड को विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत स्थल के रूप में मान्यता प्रदान कराने के लिये जाना जाता है।
- उन्होंने इन क्षेत्रों की जैवविविधता और पारिस्थितिकी के संरक्षण एवं संवर्द्धन में भी अहम योगदान दिया।
- उन्होंने सतत् कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1988 में एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की भी स्थापना की।
- MSSRF गरीब समर्थक, महिला समर्थक और प्रकृति समर्थक दृष्टिकोण के साथ विशेष रूप से जनजातीय एवं ग्रामीण समुदायों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- उन्हें 'मन्नार की खाड़ी समुद्री जीवमंडल (Go MMB)' और 'समुद्र तल से नीचे धान की पारंपरिक खेती' वाले केरल के कुट्टनाड को विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत स्थल के रूप में मान्यता प्रदान कराने के लिये जाना जाता है।
- पुरस्कार:
- कृषि में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये उन्हें कई पुरस्कार और सराहनाएँ मिली हैं, जिसमें वर्ष 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता के रूप में उन्हें सम्मानित किया गया।
- उन्हें पद्म श्री (1967), पद्म भूषण (1972) और पद्म विभूषण (1989) से भी सम्मानित किया गया है।
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार (1986) सहित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मान।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नमेन्सप्रश्न. जल इंजीनियरी और कृषि-विज्ञान के क्षेत्रों में क्रमशः सर एम. विश्वेश्वरैया और डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (2019) प्रश्न. भारत में स्वतंत्रता के बाद कृषि में आई विभिन्न प्रकारों की क्रांतियों को स्पष्ट कीजिये। इन क्रांतियों ने भारत में गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में किस प्रकार सहायता प्रदान की है? (2017) |