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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

mRNA-आधारित औषधियाँ

  • 22 Dec 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

mRNA Vaccines, DNA (Deoxyribonucleic acid), Cancer vaccine, mRNA Therapy.

मेन्स के लिये:

mRNA-आधारित औषधियाँ, जैव प्रौद्योगिकी।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हमारे शरीर में कोशिकाएँ mRNA बनाती हैं जो हमारे कार्य करने के लिये आवश्यक विशिष्ट प्रोटीन बनाने के निर्देश के रूप में कार्य करती हैं। जब वे निर्देश काम नहीं कर रहे हों तो शोधकर्त्ता उन निर्देशों को ठीक करने के लिये नए mRNA तैयार कर सकते हैं।

  • जबकि  mRNA का अध्ययन करने वाले अधिकांश वैज्ञानिक नई औषधियाँ नहीं बना रहे हैं, mRNA कैसे काम करता है इसकी बुनियादी समझ ने अन्य वैज्ञानिकों के लिये कोविड-19 टीके जैसी प्रभावी  mRNA औषधियाँ तैयार करने की नींव रखी।

mRNA क्या करता है?

  • mRNA (मैसेंजर RNA) हमारे डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) से महत्त्वपूर्ण संदेश कोशिका की मशीनरी तक पहुँचाता है और उसे बताता है कि विशिष्ट प्रोटीन कैसे निर्मित किया जाए।
    • विभिन्न प्रोटीन बनाने के लिये व्यंजनों (जीन) से भरी कुकबुक्स (cookbooks) की प्रयोगशाला के रूप में डीएनए की कल्पना करें।
  • हमारे शरीर को भोजन को पचाने और महत्त्वपूर्ण रासायनिक प्रतिक्रियाओं को निष्पादित करने जैसे कार्यों में मदद करने के लिये लगभग 100,000 प्रोटीन कोशिकाओं की आवश्यकता होती है।
  • जब किसी कोशिका को एक विशिष्ट प्रोटीन की आवश्यकता होती है, तो वह सीधे DNA से क्रिया नहीं करती बल्कि इसके स्थान पर mRNA की प्रतिलिपि निर्मित करता है।
  • यह mRNA एक संदेशवाहक के रूप में कार्य करता है, जो प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। यह चार बिल्डिंग ब्लॉक्स (A, U, C, G) से बना है, जो मिलकर इनमें केवल तीन अक्षरों के शब्द बनाते हैं।
  • इस mRNA क्रियाविधि को पढ़कर कोशिकाएँ आवश्यक प्रोटीन बनाने का तरीका सीख लेती हैं।
  • कोशिकाएँ, mRNA का उपयोग करने तथा उसका उद्देश्य पूरा हो जाने पर उसका निपटान करने में अत्यधिक कुशल होती हैं।
  • हालाँकि DNA की रेसिपी बुक (म्यूटेशन) में परिवर्तन अथवा त्रुटियाँ mRNA की प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं, जिससे आवश्यक प्रोटीन उत्पादन में त्रुटियाँ हो सकती हैं, जो बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

औषधि उत्पादन में mRNA की क्या भूमिका है?

  • परिशुद्धता और अनुकूलन:
    • वैज्ञानिक mRNA की सहायता से कोशिकाओं द्वारा प्रोटीन निर्माण की प्रक्रिया पर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। यह अंतर्दृष्टि/ज्ञान उन्हें विभिन्न प्रोटीनों के लिये आसानी से कूट तैयार करने में सहायता प्रदान करता है जिसे इन कूटों को व्यक्तिगत रोगी की आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित करने में सहायता मिलती है।
    • यदि mRNA कूट डिज़ाइन करना हो अथवा मौजूदा कूट को समायोजित करना हो, उनका यह लचीलापन उपचार के अनुरूप सहायता प्रदान करता है।
  • मापन योग्य एवं एकरूपता:
    • mRNA उपचारों का विनिर्माण मापन योग्य तथा सुसंगत है। एक mRNA बनाने की प्रक्रिया विभिन्न mRNA प्रकारों में एक समान होती है।
    • पारंपरिक औषधियों के उत्पादन में प्रत्येक औषधि में अद्वितीय रसायन विज्ञान तथा विनिर्माण विधियाँ होती हैं, जबकि mRNA उत्पादन एक मानकीकृत प्रक्रिया का पालन करता है। यह एकरूपता इसके उत्पादन को सुव्यवस्थित करती है तथा एक मूल विधि जानने मात्र से इसकी अनगिनत विविधताएँ बनाई जा सकती हैं।
  • सरल अनुकूलनशीलता:
    • अपना कार्य पूरा होने पर कोशिकाएँ स्वाभाविक रूप से mRNA को नष्ट कर देती हैं। यह विशेषता बताती है कि mRNA उपचार स्थायी नहीं हैं।
    • अनावश्यक mRNA को नष्ट करने की कोशिकाओं की इस मूल क्षमता के कारण रोगी की बदलती आवश्यकताओं को समायोजित करने के लिये औषधि के सेवन को समायोजित करना सरल हो जाता है।
  • उत्पादन क्षमता:
    • वैज्ञानिक, प्रयोगशाला में पर्याप्त मात्रा में mRNA का उत्पादन कर सकते हैं। बड़ी मात्रा में उत्पादन करने की यह क्षमता व्यापक पैमाने पर mRNA-आधारित दवाओं के विकास तथा वितरण की सुविधा प्रदान करती है।
  • विस्तारित टीका विकास: 
    • mRNA-आधारित टीकों के लिये क्लिनिकल परीक्षण मौसमी फ्लू, हर्पीज़, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस, नोरोवायरस, लाइम रोग, ज़ीका और शिंगल्स जैसी बीमारियों तक विस्तारित हैं, जो निवारक उपचारों की एक विस्तृत शृंखला सुनिश्चित करते हैं।
      • mRNA थेरेपी शरीर की प्रतिरक्षा अनुक्रिया का लाभ उठाकर कैंसर के उपचार नें सहायक है। ट्यूमर में विशिष्ट उत्परिवर्तन को लक्षित करने हेतु तैयार किये गए कैंसर के टीके, कैंसर कोशिकाओं को चिह्नित कर उन्हें निरस्त करने के लिये एंटीबॉडी/प्रतिजैविक उत्पादन को बढ़ाते हैं। यह वैयक्तिकृत दृष्टिकोण स्वस्थ कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को कम करने का प्रयास करता है।

mRNA आधारित दवाओं का भविष्य क्या है?

  • mRNA-आधारित दवा का भविष्य आशाजनक प्रतीत होता है, जो अल्प दुष्प्रभावों के साथ अत्यधिक वैयक्तिकृत, प्रभावी उपचार प्रदान करता है।
  • यह क्रांतिकारी दृष्टिकोण सेलुलर/कोशिकीय प्रक्रियाओं को सटीक रूप से बदलकर और प्रोटीन की कमी को पूरा करके विभिन्न बीमारियों का निदान करने की क्षमता रखता है।
  • अनुकूलन और उत्पादन में आसानी mRNA को आधुनिक चिकित्सा में एक बहुमुखी उपकरण के रूप में स्थापित करती है, जो उपचार रणनीतियों को पुनः परिभाषित करने तथा विभिन्न चिकित्सा स्थितियों में रोगी के परिणामों में सुधार करने के लिये तैयार है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के लिये मलेरिया परजीवियों के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने के लिये एक मलेरिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। एक प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करना कठिन क्यों है? (2010)

(a) मलेरिया प्लास्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है
(b) प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं करता है
(c) टीके केवल बैक्टीरिया के खिलाफ विकसित किये जा सकते हैं
(d) मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेज़बान है और निश्चित मेज़बान नही है 

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • मलेरिया प्लाज़्मोडियम परजीवी के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। यह परजीवी संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है।
  • मलेरिया परजीवी में प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने की असाधारण क्षमता होती है, जो एक प्रभावी मलेरिया वैक्सीन विकसित करने में कठिनाई को संदर्भित करती है। 
  • RTS,S/AS01 (RTS,S) छोटे बच्चों में मलेरिया के खिलाफ आंशिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला और अब तक का एकमात्र टीका है। 

अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। 


प्रश्न. 'रिकॉम्बिनेंट वेक्टर वैक्सीन' के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. इन टीकों के विकास में जेनेटिक इंजीनियरिंग का प्रयोग किया जाता है। 
  2. बैक्टीरिया और वायरस का उपयोग वेक्टर के रूप में किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • रिकॉम्बिनेंट वेक्टर वैक्सीन आनुवंशिक इंजीनियरिंग के माध्यम से निर्मित की जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस के लिये प्रोटीन निर्मित करने वाले जीन को अलग कर दूसरी कोशिका के जीन के अंदर प्रविष्ट कराया जाता है। जब वह कोशिका पुनरुत्पादित (Reproduces) करती है, तो यह वैक्सीन प्रोटीन का उत्पादन करती है जिसका अर्थ है कि प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन को पहचान कर शरीर को इससे सुरक्षा प्रदान करेगी। अत: कथन 1 सही है।
  • जीवित पुनः संयोजक बैक्टीरिया (Live Recombinant Bacteria) या वायरल वैक्टर प्राकृतिक संक्रमणों की तरह प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावी ढंग से उत्तेजित करते हैं तथा इसमें आंतरिक सहायक गुण होते हैं। उन्हें मेज़बान जीव में प्रवेश करने हेतु एक माध्यम की तरह उपयोग किया जाता है।
  • कई जीवाणुओं को वैक्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जैसे- माइकोबैक्टीरियम बोविस बीसीजी (Mycobacterium bovis BCG), लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेन्स (Listeria monocytogenes), साल्मोनेला एसपीपी (Salmonella spp) और शिगेला एसपीपी (Shigella spp)।
  • वैक्सीन के विकास हेतु कई वायरल वैक्टर उपलब्ध हैं, जैसे- वैक्सीनिया, मोडिफाइड वैक्सीनिया वायरस अंकारा, एडेनोवायरस, एडेनो संबंद्ध वायरस, रेट्रोवायरस/लेंटवायरस, अल्फावायरस, हर्पीज़ वायरस आदि। अत: कथन 2 सही है।

अतः विकल्प (c) सही है।

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