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भारत और अन्य देशों के बीच महत्त्वपूर्ण एमओयू तथा समझौते

  • 28 Jun 2018
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न देशों के साथ कुछ महत्त्वपूर्ण समझौतों को मंज़ूरी प्रदान की। इन समझौतों से होने वाले लाभ, इनकी पृष्ठभूमि आदि के विषय में इस लेख में वर्णन किया गया है। मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 (भारत और विश्व) के अंतर्गत भारत के इसके पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के विषय में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं। यदि उत्तर लेखन में इस प्रकार के समझौतों को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया जाए तो इससे उत्तर अधिक प्रामाणिक हो जाता है।

भारत और जर्मनी

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नागर विमानन के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और जर्मनी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर को स्‍वीकृति दे दी है। इससे भारत और जर्मनी के बीच विमान परिवहन के क्षेत्र में कारगर विकास होगा।
  • इसका मुख्‍य उद्देश्‍य निम्‍नलिखित क्षेत्रों में पारस्‍परिक सहयोग और प्रोत्‍साहन को बढ़ावा देना है।
    ♦ विमानन सुरक्षा तथा एयर ट्रैफिक प्रबंधन
    ♦ हेलीपोर्ट तथा हेलीकॉप्‍टर आपात चिकित्‍सा सेवा (एचईएमएस)
    ♦ नियमन तथा नीति
    ♦ कॉरपोरेट तथा व्‍यवसाय विमानन विकास
    ♦ पर्यावरण
    ♦ प्रशिक्षण और कौशल विकास

भारत और सिंगापुर
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शहरी नियोजन और विकास के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और सिंगापुर के बीच समझौता ज्ञापन को पूर्व प्रभाव से स्‍वीकृति दी है।

उद्देश्‍य

  • इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्‍य शहरी विकास के प्रबंधन, संरक्षण एवं अन्‍य क्षेत्रों में सिंगापुर की एजेंसियों की विशेषज्ञता का लाभ लेने के लिये पालिका निकायों सहित केंद्र और राज्‍यों की सरकारी एजेंसियों की सहायता करना है।
  • जहाँ एक ओर इससे नीति आयोग की क्षमता में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर, इसके कर्मचारी साक्ष्‍य आधारित नीति लेखन, मूल्‍यांकन आदि में कौशल संपन्‍न होंगे। निश्चित रूप से इससे नीति आयोग को और अधिक कारगर ढंग से थिंक टैंक की भूमिका निभाने में मदद मिलेगी।
  • समझौता ज्ञापन के अंतर्गत नियोजन के क्षेत्र में क्षमता सृजन कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसमें शहरी नियोजन, जल एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन, ठोस कचरा प्रबंधन, परिवहन प्रणाली आदि का कार्य किया जाएगा।

भारत और बहरीन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और बहरीन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर को स्‍वीकृति दे दी है। दोनों देशों के बीच सहयोग के विवरणों को व्‍यापक बनाने तथा समझौता ज्ञापन के क्रियान्‍वयन की निगरानी के लिये एक कार्यसमूह का गठन किया जाएगा।

समझौता ज्ञापन में सहयोग के निम्‍नलिखित क्षेत्र शामिल किये गए हैं:

  • प्रकाशनों तथा शोध परिणामों सहित सूचना का आदान-प्रदान।
  • देशों के बीच एक-दूसरे के सरकारी अधिकारियों, अकादमिक स्‍टाफ, विद्वानों, शिक्षकों, विशेषज्ञों तथा विद्यार्थियों का आवागमन।
  • कार्यशालाओं और प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भागीदारी।
  • निजी क्षेत्र तथा अकादमिक स्‍तर पर स्‍वास्‍थ्‍य और चिकित्‍सा शोध गतिविधयों को प्रोत्‍साहन।
  • पारस्‍परिक सहमति से निर्धारित सहयोग का कोई अन्‍य विषय।

भारत और इंडोनेशिया
केंद्रीय मंत्रिमंडल को रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग हेतु भारत और इंडोनेशिया के बीच समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया है। इस समझौता ज्ञापन पर 29 मई, 2018 को हस्‍ताक्षर किये गए थे।

समझौता ज्ञापन में सहयोग के निम्‍नलिखित क्षेत्र शामिल किये गए हैं:

  • ज्ञान, टेक्‍नोलॉजी, क्षमता सृजन सहित संस्‍थागत सहयोग का आदान-प्रदान।
  • रेलवे में रॉलिंग स्‍टॉक के साथ-साथ सिग्‍नल और संचार प्रणालियों का आधुनिकीकरण।
  • रेल संचालन प्रबंधन तथा नियमन का आधुनिकीकरण।
  • अंतर-मॉडल परिवहन, लॉजिस्टिक पार्क तथा माल-भाड़ा टर्मिनलों का विकास।
  • निर्माण तथा ट्रैक, पुल, सुरंग, ओवरहेड विद्युतीकरण तथा बिजली सप्‍लाई प्रणालियों सहित निर्धारित अवसंरचना के लिये रख-रखाव टेक्‍नोलॉ‍जी।
  • दोनों देशों द्वारा संयुक्‍त रूप से सहमत सहयोग के अन्‍य क्षेत्र। 

भारत और डेनमार्क

पशुपालन एवं डेयरी के क्षेत्र में

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल को पशुपालन एवं डेयरी के क्षेत्र में सहयोग के लिये भारत और डेनमार्क के बीच हस्‍ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्‍य डेयरी विकास एवं संस्‍थागत सुदृढीकरण के आधार पर मौजूदा ज्ञान का व्‍यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के लिये पशुपालन एवं डेयरी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • इसके तहत संयुक्‍त कार्यक्रमों को तैयार करने, सहयोग एवं परामर्श मुहैया कराने और संबंधित कार्यक्रम के मूल्‍यांकन के लिये प्रत्येक पक्ष के प्रतिनिधित्‍व के साथ एक संयुक्‍त कार्यसमूह (जेडब्‍ल्‍यूसी) का गठन किया जाएगा।
  • डेनमार्क इस भागीदारी के तहत पशु प्रजनन, पशु स्‍वास्‍थ्‍य एवं डेयरी, चारा प्रबंधन आदि के क्षेत्र में ज्ञान एवं विशेषज्ञता मुहैया कराएगा ताकि पारस्‍परिक हित वाले विषयों (जैसे-मवेशी व्‍यापार सहित भारतीय मवेशियों की उत्‍पादकता एवं उत्‍पादन) पर और अधिक बेहतर ढंग से कार्य किया जा सके।

विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल को विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और डेनमार्क के बीच हुए समझौते से अवगत कराया गया। भारत और डेनमार्क के बीच विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के लिये समझौते पर 22 मई, 2018 को हस्‍ताक्षर किये जाने से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध एक ऐतिहासिक पड़ाव पर पहुँच गए हैं
  • इसके हितधारकों में भारत और डेनमार्क के विज्ञान संस्‍थान, शिक्षाविद, आरएंडडी प्रयोगशालाएँ एवं कंपनियों के अनुसंधानकर्त्ता शामिल होंगे। तात्‍कालिक सहयोग के संभावित क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा, जल, पदार्थ विज्ञान, किफायती स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, कृत्रिम जीव विज्ञान, फंक्‍शनल फूड एवं समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था शामिल हैं।

भारत और फ्राँस
केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत और फ्राँस के बीच 10 मार्च, 2018 को हस्‍ताक्षरित ‘मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस मिशन’ के तैयार होने से पहले के अध्‍ययन के लिये इंप्लीमेंटेशन अरेंजमेंट (Implementation Arrangement-IA) से अवगत कराया गया।

  • इसका उद्देश्‍य समुद्री यातायात की निगरानी करना और अधिकतम संभावित आवृत्ति के साथ संदिग्‍ध जहाजों की पहचान करना है। यह निगरानी प्रणाली भारत और फ्राँस के हितों के संदर्भ में जहाज़ों की निगरानी, पहचान एवं ज़ब्‍ती के लिये आद्योपांत (In practice) समाधान मुहैया कराएगी।   
  • इस इंप्लीमेंटेशन अरेंजमेंट के तहत भारत की ओर से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्राँस की ओर से सेंटर नेशनल डेट्यूड्स स्‍पेशियल्‍स (Centre national d'études spatiales) विभिन्‍न गतिविधियों में संयुक्‍त रूप से भाग लेंगे। इस पर हस्‍ताक्षर होने के एक साल के भीतर इसे समीक्षा के लिये संबद्ध वरिष्‍ठ प्रबंधन के पास भेजा जाएगा।
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