प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में ‘भारत’ प्रथम स्थान पर | 21 Oct 2017

संदर्भ 

हाल ही में दिवाली के त्यौहार के दौरान पटाखों की बिक्री पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिये उठाया गया एक सराहनीय कदम था। विदित हो कि भारत में ‘प्रदूषण’ से ही सर्वाधिक मौतें होती हैं।

लांसेट आयोग की रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2015 में प्रदूषण से होने वाली 92% मौतें निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में हुईं थीं।
  • देशों के भीतर भी प्रदूषण संबंधी रोगों से अल्पसंख्यक समुदाय अधिक प्रभावित हुए थे।
  • बच्चे प्रदूषण संबंधी रोगों से होने वाली मौतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
  • वर्ष 2015 में भारत में प्रदूषण के कारण 2.51 मिलियन मौतें हुई थीं। अतः इस रिपोर्ट में भारत को प्रदूषण संबंधी मौतों के मामले में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
  • प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में चीन दूसरे स्थान पर है, जहाँ 2015 में प्रदूषण से 1.8 मिलियन मौतें हुई थीं। 
  • वर्ष 2015 में विश्वभर में पूर्वानुमानित 9 मिलियन मौतों में से 28% मौतें भारत में हुई  थीं।
  • वर्ष 2015 में विश्वभर में 6.5 मिलियन मौतें असामयिक (समय से पूर्व) हुई थीं, जिनका एकमात्र कारण ‘वायु प्रदूषण’ था। 
  • इसी वर्ष विश्व के 10 सर्वाधिक आबादी वाले देशों में प्रदूषण संबंधी मौतों में सर्वाधिक वृद्धि ‘भारत’ और ‘बांग्लादेश’ में दर्ज़ की गई थी। हालाँकि, बांग्लादेश में वायु प्रदूषण के कारण मरने वाले लोगों की संख्या मात्र 0.2 % ही थी।
  • ध्यातव्य है कि 1.58 मिलियन मौतों के साथ ही प्रदूषण संबंधी मौतों के मामले में चीन भारत (1.81 मिलियन) के बाद दूसरे स्थान पर था। जहाँ एक ओर चीन में जल प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की संख्या मात्र 34,000 थी वहीं भारत में जल प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों की संख्या 0.64 मिलियन थी।
  • वर्ष 2015 में भारत में हुई तक़रीबन 25% मौतों का कारण प्रदूषण था। दरअसल, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और केन्या में होने वाली 4 में से 1 व्यक्ति की मौत का कारण भी प्रदूषण ही था।
  • यदि वायु प्रदूषण की बात की जाए तो इस मामले में भारत में ‘परिवेशी वायु प्रदूषण’ (ambient air pollution) के कारण होने वाली मौतों की संख्या 1.09 मिलियन थी, जबकि ‘घरेलू वायु प्रदूषण’ (household air pollution) जैसे-घर में जलाए जाने वाले ठोस ईंधनों के कारण होने वाली मौतों की संख्या 0.97 मिलियन थी। 
  • यदि जल प्रदूषण के संदर्भ में देखा जाए तो भारत में 0.5 मिलियन मौतें ‘अस्वच्छ जल स्रोतों’ के कारण हुई थीं, जबकि ‘गंदगी’ के कारण होने वाली मौतों की संख्या 0.32 मिलियन थी।
  • वर्ष 2015 के दौरान भारत और चीन के अनेक शहरों में पी.एम 2.5 का औसत वार्षिक स्तर 100 μ g/m³ से अधिक दर्ज़ किया गया था। 
  • वर्ष 2015 में परिवेशी वायु प्रदूषण के कारण होने वाली कुल मौतों की 50% से अधिक मौतें भारत और चीन में हुई थीं।
  • वायु प्रदूषण के कारण होने वाली हृदय संबंधी बीमारियों, फेफड़ों का कैंसर और ‘क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी रोग’ (chronic obstructive pulmonary disease -COPD) के कारण ही अधिकांश मौते हुईं थीं।
  • प्रदूषण अधिकांश ‘गैर-संचरण रोगों’(non-communicable disease) का भी कारण है।
  • वर्ष 2015 में, प्रदूषण के सभी रुप (जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण इत्यादि) ने संयुक्त रूप से ह्रदय रोगों से होने वाली 21 % मौतों, इस्कीमिक हृदय रोग (ischaemic heart disease) के कारण होने वाली 26% मौतों, आघात के कारण होने वाली 23% मौतों, सी.ओ.पी.डी के कारण होने वाली 51% मौतों, और फेफड़ों के कैंसर के कारण होने वाली 43% मौतों के लिये ज़िम्मेदार थे।
  • इस दौरान नमक (4.1 मिलियन), मोटापा (4.0 मिलियन), एल्कोहॉल (2.3 मिलियन), सडक दुर्घटनाओं (1.4 मिलियन) अथवा बाल और मातृत्व कुपोषण (1.4 मिलियन ) की तुलना में प्रदूषण ही अधिकांश मौतों का कारण था। एड्स, टीबी और मलेरिया से संयुक्त रूप से जितनी मौतें होती हैं, उनसे तीन गुना अधिक मौते प्रदूषण के कारण हुई थी।