अधिकांश शिशु जन्म के बाद पहले घंटे में स्तनपान नहीं कर पाते | 08 Aug 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी एक नई रिपोर्ट के मुताबिक देश में पैदा हुए 10 में से 6 शिशु जन्म एक घंटे की अवधि तक माँ का दूध अथवा स्तनपान नहीं कर पाते हैं।
प्रमुख बिंदु
- जन्म के एक घंटे के भीतर माँ द्वारा कराया गया स्तनपान या कोलोस्ट्रम (colostrum) शिशु के सुरक्षात्मक कारकों में वृद्धि करता है।
- रिपोर्ट के मुताबिक संस्थागत प्रसव प्रक्रिया में सुधार के बावजूद सहयोगी कार्य वातावरण की कमी, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के अपर्याप्त कौशल के साथ-साथ सीज़ेरियन डिलीवरी आदि कई कारणों से माताएँ अपने शिशुओं को स्तनपान नहीं करा पाती हैं।
- यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य समूहों और सरकारी विभागों, एम्स एवं यूनिसेफ सहित राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा विश्व स्तनपान रुझान पहल (WBTI) के तहत तैयार की गई है।
- वर्ष 2018 में स्तनपान, शिशु और युवा बाल आहार पर भारत की नीति और कार्यक्रमों के आकलन की 5वीं रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 100 में से 45 अंक प्राप्त किये हैं।
- यह रिपोर्ट 10 मानकों पर आधारित है।
- हालाँकि, शिशु और युवा शिशु आहार प्रथाओं के मामले में पाँच पैरामीटर पर भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है और 50 में से 34 अंक प्राप्त किये हैं।
- भारत में पिछले कुछ वर्षों में स्तनपान के मामलों में प्रगति हुई है।
- डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ भी छह महीने की उम्र तक शिशुओं को स्तनपान कराने और उसके बाद पूरक खाद्य पदार्थों के साथ लगातार 2 वर्ष या उससे अधिक आयु तक स्तनपान कराने की अनुशंसा करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund)-यूनिसेफ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
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- स्तनपान हेतु की गई पहल के चलते जन्म के एक घंटे की अवधि के दौरान स्तनपान प्राप्त करने वाले शिशुओं की संख्या 23.4% से बढ़कर 41.5% हो गई है।
- हालाँकि, संस्थागत प्रसव को बढ़ाकर इसी अवधि के दौरान स्तनपान प्राप्त करने वाले शिशुओं की संख्या को दोगुने से अधिक यानी 38.7% से बढ़ाकर 78.9% तक किया जा सकता है।