जल से सीसा (Lead) अवशोषित करने में सक्षम मॉस की पहचान | 24 Jan 2018

चर्चा में क्यों?

जापान के वैज्ञानिकों ने काई (Moss) की एक ऐसी प्रजाति की पहचान की है जो बड़ी मात्रा में सीसे (Lead) का अवशोषण करने में सक्षम है। इसका प्रयोग प्रदूषित जल और मृदा के शुद्धिकरण के लिये एक हरित विकल्प के रूप में किया जा सकता है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • सीसा जनित जल प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता है। यदि उचित तरीके से इसका उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा सिद्ध हो सकता है। 
  • पानी से सीसा या अन्य भारी धातुओं को हटाने के परंपरागत तरीकों में जीवाश्म ईंधन और बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • इसके स्थान पर मिट्टी या पानी से प्रदूषकों को साफ करने के लिये प्रकाश संश्लेषक जीवों का उपयोग करने वाली फाइटोरेमेडिएशन (Phytoremediation) विधि का प्रयोग किया जा सकता है।
  • तांबा, जिंक और सीसा जैसी धातुओं से संदूषित स्थानों पर अच्छी तरह से विकसित होने वाली काई की फ्यूनेरिया हाइग्रोमेट्रिका (Funaria Hygrometrica) प्रजाति को देखकर जापान के शोधकर्त्ताओं ने फाइटो आधारित प्रदूषक निराकरण विधि के लिये खोज प्रारंभ की थी।
  • धातुओं के विभिन्न सांद्रता स्तरों में इस काई को रखने के 22 घंटे के बाद मास-स्पेक्ट्रोमीटर विश्लेषण से यह ज्ञात हुआ कि काई की कोशिकाओं ने अपने शुष्क वज़न के 74% के बराबर की मात्रा तक के सीसे का अवशोषण कर लिया था जो कि अन्य धातुओं की तुलना में काफी अधिक था।
  • अन्य पौधों के लिये घातक पर्यावरण में भी अपनी उत्तरजीविता बनाए रखने की इस काई प्रजाति की विशिष्टता इसे अन्य पौधों से अलग करती है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार कोशिका भित्ति में उपस्थित पॉलीगैलक्टूरोनिक एसिड (Polygalacturonic Acid) इस विशिष्टता का कारण है।
  • यह बहुमूल्य गुणधर्म इसे खनन और रासायनिक उद्योगों में एक उपयोगी अपशिष्ट जल क्लीनर बना सकता है। 
  • काई जब विकास के प्रोटोनेमा (Protonema) चरण में होता है तो यह एक उत्कृष्ट सीसा अवशोषक के रूप में कार्य कर सकती है। प्रोटोनेमा काई के प्रथमतया अंकुरित होने पर विकसित होने वाली कोशिकाओं की धागेनुमा श्रंखला है। विश्लेषण से पता चला है कि काई की प्रोटोनेमा (Protonema) कोशिकाओं के अंतर्गत कोशिका भित्ति में 85% से अधिक सीसा जमा हो गया था और थोड़ी सी मात्रा में यह क्लोरोप्लास्ट में भी पाया गया, जहाँ प्रकाश संश्लेषण होता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने यह भी निर्धारित किया कि प्रोटोनेमा कोशिकाओं ने 3 से 9 के pH मानों के लिये सीसे को अच्छी तरह से अवशोषित किया, जो कि महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारी धातुओं से प्रदूषित जल की अम्लता भी बदलती रहती है। 

काई (Moss)

  • काई ब्रायोफाइटा (Bryophyta) प्रकार की वनस्पति है। 
  • ब्रायोफाइटा वनस्पति गैर-संवहनी (Non-Vascular) पौधों का एक समूह है। इनमे ज़ाइलम और फ्लोएम नाम के संवहन ऊतक अनुपस्थित होते है, जिनका मुख्य कार्य जड़ों और पत्तियों के बीच जल का परिवहन करना है।
  • इनमे राईजोइड्स (Rhizoids) होते हैं जो इनकी की जलग्रहण में सहायता करते हैं। इस कारण इनमें   जल अवशोषण करने की उच्च क्षमता होती है।
  • मॉस भूमि पर सपाट और संलग्न होकर विकसित होते है क्योंकि उनके ऊपर की ओर बढ़ने के लिये आवश्यक सपोर्ट सिस्टम नहीं होता है। 
  • काई प्राय: ऐसे क्षेत्रों में भी विकसित हो सकती है जहाँ अन्य पौधे विकसित नहीं हो सकते जैसे कि चट्टान, खराब गुणवत्ता वाली मृदा और यहाँ तक कि मृदा की अनुपस्थिति में भी।
  • इस कारण यह किसी नवीन क्षेत्र में प्राथमिक अनुक्रमण के दौरान सबसे पहले विकसित होती है और मृदा निर्माणकारी प्रक्रम में भी सहायक होती है।

फाइटोरेमेडिएशन

  • फाइटोरेमेडिएशन हरे पौधों के प्रत्यक्ष उपयोग द्वारा मृदा, गाद या तलछट, सतही और भूजल इत्यादि से प्रदूषकों के उपचार अथवा रोकथाम की एक स्वच्छता तकनीक है। 
  • यह स्व-स्थाने (In-Situ) रूप से प्रयुक्त की जाने वाली तकनीक है, अर्थात पानी को साफ करने के लिये पानी में मौजूद पौधों का ही उपयोग किया जाता है।
  • इस तकनीक के लाभ- 
    ► कम लागत और सौर ऊर्जा संचालित स्वच्छता तकनीक।
    ► उथले और प्रदूषण के निम्न स्तर वाले स्थलों के लिये सर्वाधिक उपयोगी।
    ► विभिन्न प्रकार के पर्यावरण प्रदूषकों के उपचार में सक्षम।
    ► कई मामलों में यांत्रिक विधियों की तुलना में अधिक प्रभावी।