प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

'काई' की सस्ते प्रदूषण सूचक के रुप में उपयोगिता

  • 25 Aug 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

जापानी वैज्ञानिकों के अनुसार, दुनिया भर के शहरों में चट्टानों एवं पेड़ों पर पाए जाने वाली नाजुक काई अथवा शैवाल (mosses) का उपयोग वायुमंडलीय परिवर्तन के प्रभाव को मापने के लिये किया जा सकता है। संभवतः यह शहरी प्रदूषण की निगरानी (monitor urban pollution) के लिये एक बेहद कम लागत वाला तरीका साबित हो सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, जैव इंडिकेटर (bioindicator) प्रदूषण या सूखे जैसी स्थितियों में अपने आकार या घनत्व में परिवर्तन करके अथवा पूर्ण रूप से उस क्षेत्र से गायब होकर, वैज्ञानिकों को वायुमंडलीय परिवर्तनों की गणना करने के संबंध में सहायता प्रदान करते हैं।
  • वायुमंडलीय स्थितियों के विषय में जानकारी प्राप्त करने के संदर्भ में यह विधि एक बहुत ही प्रभावी एवं कम खर्च वाली विधि है।

नाइट्रोजन प्रदूषण का प्रभाव 

  • लैंडस्केप एंड अर्बन प्लानिंग' (Landscape and Urban Planning) नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोधपत्र में इस बात को उल्लेखित किया गया है कि किस प्रकार काई अथवा मोस नाइट्रोजन प्रदूषण के प्रभाव, वायु की गुणवत्ता तथा सूखे के प्रभाव का अध्ययन करने में सहायक साबित होते हैं।उक्त अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि सूखे की स्थिति अधिकतर उन्हीं क्षेत्रों में उत्पन्न होती है जो उच्च स्तर के नाइट्रोजन प्रदूषण से प्रभावित होते हैं।
  • ध्यातव्य है कि किसी क्षेत्र विशेष में उच्च स्तर पर नाइट्रोजन प्रदूषण की स्थिति बनने से सबसे अधिक असर उस क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के स्वास्थ्य और जैव विविधता पर होता है जो कि पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत हानिकारक है।

प्रदूषण की जाँच हेतु काई का प्रयोग

  • यदि किसी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर है, तो काई के प्रयोग द्वारा उस क्षेत्र के वातावरण की शुद्धता का कई प्रकार से मूल्यांकन किया जा सकता है। 
  • मोस अथवा काई तकरीबन सभी शहरों में पाया जाने वाला एक आम पौधा है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि पर्यावरण सूचक के रूप में इस पद्धति का उपयोग कई देशों में किया जा सकता है।     
  • आर्द्र जलवायु वाले ऐसे शहरों में जहाँ काई पैदा होती है, काई/शैवाल (mosses), हॉर्नवार्ट्स (hornworts) तथा लिवरवार्ट्स (liverworts) का जैव-सूचक (bioindicators) के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • ये जैव-सूचक आमतौर पर अपने तत्काल वातावरण से पानी और पोषक तत्त्वों को अवशोषित करने की प्रवृत्ति रखते हैं, जिसके माध्यम से ये पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले परिवर्तनों को आसानी से प्रतिबिंबित कर पाते हैं।

काई अथवा मोस क्या है?

  • मोस अथवा काई छोटे-छोटे फूल वाले पौधे होते हैं जो आमतौर पर घने हरे रंग के झुंड या मैट के रूप में नम या छायादार स्थानों में उत्पन्न होते हैं।
  • एकल पौधे के रूप में मोस आमतौर पर साधारण पत्तियों के रूप में उपस्थित होते हैं केवल एक मोटी कोशिका के जितने होते हैं तथा एक स्टेम से जुड़े होते है जो कि शाखाओं के रूप में भी हो सकते हैं' और नहीं भी। 
  • इनकी पानी और पोषक तत्त्वों के संचालन में बहुत ही सीमित भूमिका होती है। साथ ही इनमें बीज भी नहीं होते हैं।
  • हालाँकि, मोस की कुछ प्रजातियों में ऊतकों (tissues) का भी संचालन होता है, ये आमतौर पर बहुत कम विकसित होते हैं तथा संवहनी पौधों (vascular plants) में पाए जाने वाले समान ऊतक संरचनात्मक रूप से काफी अलग भी होते हैं।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2