जैव विविधता और पर्यावरण
भारत में मृत्यु दर
- 09 Nov 2019
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:
ग्रीनहाउस प्रभाव, वैश्विक तापन
मेन्स के लिये:
भारत में मृत्यु दर बढ़ने के कारण के रूप में जलवायु परिवर्तन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब द्वारा किये गए जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में औसत तापमान में वृद्धि से इस सदी के अंत तक मृत्यु दर में 10% की वृद्धि हो सकती है।
मुख्य बिंदु:
- अमेरिका स्थित क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब (Climate Impact Lab) ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक अध्ययन में बताया है कि भारत में इस सदी के अंत तक मृत्यु दर में 10% की बढ़ोतरी के साथ मौतों की संख्या में लगभग डेढ़ मिलियन की वृद्धि होगी।
- क्लाइमेट इम्पैक्ट ने भारत से संबंधित यह अध्ययन ‘क्लाइमेट चेंज एंड हीट इन्ड्यूज्ड मोर्टलिटी इन इंडिया’ (Climate Change and Heat Induced Mortality in India) नामक शीर्षक से किया है।
- क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब ने यह अध्ययन विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा संगठनों के सहयोग से किया है।
- यह अध्ययन अधिक-से-अधिक लोगों को भविष्य के प्रति सचेत करके उन्हें वैश्विक तापन से लड़ने के लिये अनुकूल बनाता है।
- अध्ययन के अनुसार, अगले 20 वर्षों में भारत का ऊर्जा उपयोग दोगुने से अधिक हो जाएगा, इस ऊर्जा उपयोग में बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन का प्रयोग किया जाएगा। अगर उत्सर्जन अब भी उतना ही अधिक रहता है तो यह भारत में वर्ष 2100 तक प्रति 100,000 व्यक्तियों पर लगभग 64 व्यक्तियों की मौत का कारण बनेगा ।
अध्ययन संबंधी बिंदु:
- शोधकर्त्ता ओं ने मौत के इन आँकड़ों को भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ, मैक्सिको, ब्राज़ील, जापान, चिली सहित 40 देशों से एकत्रित किया है।
- इस अध्ययन का उद्देश्य कई विभिन्न प्रकार की जलवायु और आर्थिक स्थितियों की गणना करके तापन के कारण मृत्यु दर में होने वाली वृद्धि के बारे में बताना था।
- मृत्यु दर में होने वाली यह वृद्धि ताप बढ़ने की वजह से हीट स्ट्रोक अथवा हृदय संबंधी बीमारियों के कारण हो सकती है।
- शोधकर्त्ताओं के अनुसार, भविष्य में मृत्यु दर में वृद्धि की गणना जलवायु परिवर्तन अनुकूलन लागत के आधार पर की गई है।
- इस अध्ययन के अनुसार, अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इसी प्रकार निरंतर जारी रहता है तो वर्ष 2100 तक भारत का औसत तापमान 24°C से 28°C तक बढ़ने की आशंका है।
- इस अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में 35°C तापमान वाले दिनों के तापमान में वर्ष 2050 तक औसतन तीन गुना (5.1°C-15.8°C) वृद्धि की संभावना है, वहीं वर्ष 2100 तक इसमें 42.8°C की बढ़ोतरी हो सकती है।
भारत से संबंधित तथ्य:
- पंजाब भारत में सर्वाधिक वार्षिक औसत तापमान वाला राज्य है परंतु हाल के विश्लेषण से ज्ञात हुआ है कि भारत में वर्तमान तापमान वृद्धि के मामले में लगभग 16 राज्यों में तापमान पंजाब से भी अधिक है।
- ओडिशा में अत्यधिक गर्म दिनों की संख्या में सर्वाधिक वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
- इस अध्ययन के अनुसार, भविष्य में तापमान के कारण होने वाली कुल मौतों में से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में 64% मौतों के होने की आशंका है।
- इस अध्ययन के अनुसार, अगर भारत ग्रीनहाउस गैस तथा कार्बन उत्सर्जन की दर में कमी करके वर्ष 2040 तक पूर्व औद्योगिक स्तर से 2°C तक की तापमान वृद्धि को रोक लेता है तो ताप के कारण होने वाली 1,00,000 मौतों पर 10 व्यक्तियों की मौत को रोका जा सकता है।