भारत और मोरक्को के बीच समझौता (Morocco & India agree to assist) | 14 Nov 2018
संदर्भ
हाल ही में भारत और मोरक्को ने दीवानी एवं वाणिज्यिक अदालतों में पारस्परिक कानूनी सहायता और ज्यादा बढ़ाने से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किये।
समझौते के प्रमुख बिंदु
- सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों या प्रक्रियाओं पर अमल करना
- दीवानी मामलों में साक्ष्य लेना
- दस्तावेजों, रिकॉर्डिंग को प्रस्तुत, पहचान और जांच करना
- दीवानी मामलों में साक्ष्य लेने के लिये अनुरोध पत्र पर तामील
- पंच निर्णायकों के पंचाट को स्वीकार एवं कार्यान्वित करना
समझौते का उद्देश्य
- भारत सरकार के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और मोरक्को साम्राज्य के न्याय मंत्रालय के बीच आधुनिकीकरण के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के क्षेत्र में हुए समझौते का उद्देश्य एक साधन के रूप में आईटी का उपयोग कर अदालतों के आधुनिकीकरण सहित ई-गवर्नेंस को सुदृढ़ करना है, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों के आदान-प्रदान, पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञों के क्षेत्रीय दौरों और दोनों ही पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से निर्धारित अन्य साधनों के जरिए दोनों देश पारस्परिक रूप से लाभान्वित हो सकें।
समझौते का महत्त्व
- यह समझौता भारत और मोरक्को दोनों ही देशों के नागरिकों के लिये लाभप्रद साबित होगा।
- इस समझौते से दीवानी एवं वाणिज्यिक मामलों में मैत्रीपूर्ण एवं सार्थक सहयोग को मज़बूत करने से संबंधित दोनों देशों की प्रबल इच्छा की भी पूर्ति होगी जो इस समझौते की मूल शैली, भावना एवं सार है।
भारत-मोरक्को संबंध पृष्ठभूमि
- भारत मोरक्को के स्वतंत्रता आंदोलन को अपनी ओर से संयुक्त राष्ट्र में समर्थन प्रदान करने में अत्यंत सक्रिय रहा था और इसके साथ ही भारत ने 20 जून, 1956 को उस समय मोरक्को को मान्यता प्रदान की थी जब वह फ्रांस के साथ की गई संरक्षित व्यवस्था से आजाद हो गया था। इसके साथ ही वर्ष 1957 में राजनयिक मिशन स्थापित किये गए थे।
- आपसी संबंधों के आगाज के समय से ही भारत और मोरक्को के बीच सौहार्दपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम हैं। समय-समय पर भारत और मोरक्को के गणमान्य व्यक्ति एक-दूसरे के यहाँ दौरे पर जाते रहे हैं।
- मोरक्को का दौरा करने वाले भारत के गणमान्य व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन (1967) और विधि एवं न्याय मंत्री (2016) शामिल हैं।