मूडीज़ ने चीन की रेटिंग को डाउनग्रेड किया | 26 May 2017
सन्दर्भ
मूडीज़ इन्वेस्टर सर्विस ने 1989 के बाद पहली बार चीन के कर्ज़ पर अपनी रेटिंग को घटाया है| अब यह रेटिंग एए3 (AA3) से घटकर ए1(A1) हो गई है| हालाँकि, चीन के वित्तमंत्री ने इसे मूडीज़ द्वारा गलत गणना का नतीज़ा करार दिया है|
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- चीन की क्रेडिट रेटिंग को मूडीज़ द्वारा 30 सालों में पहली बार कम किया गया है|
- इसका परिणाम यह हुआ है कि चीनी शेयर लगभग आठ महीनों में अपने सबसे निम्नतम स्तर पर पहुँच गए हैं तथा विदेशी बाज़ारों में हलचल के कारण युआन भी तटवर्ती और विदेशी बाज़ारों से पीछे हट रहा है| फलस्वरूप डिफॉल्ट जोखिम बढ़ने की संभावना बनी हुई है|
- चीन के संप्रभु ऋणों में अधिकतर घरेलू निवेशकों द्वारा निवेश किये जाते हैं, जो कि रेटिंग परिवर्तन के प्रभाव से कुछ हद तक राष्ट्र को परिरक्षित रखने में सहायक है|
- अब, राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार वित्तीय प्रणाली में अत्यधिक लाभ कमाने में कटौती के साथ-साथ कम-से-कम 6.5% के लक्ष्य से ऊपर आर्थिक वृद्धि को पाने दिशा में कार्य करने के लिये कदम उठा सकती है |
- ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के अनुसार, चीन का कुल बकाया क्रेडिट 2016 के अंत तक जीडीपी का 260% पर पहुँच गया था, जो कि 2008 में 160% था।
- गौरतलब है कि मूडीज़ ने चीन की क्रेडिट-रेटिंग को मार्च 2016 के स्थिर (STABLE) से नकारात्मक किया है| इसके पीछे बढ़ते कर्ज़, गिरते मुद्रा भंडार तथा सुधारों को पूरा करने में अधिकारियों की अक्षमता जैसे कारण उत्तरदायी माने गए हैं|
- एसएंडपी (S & P) ने फिलहाल चीन के विदेशी और स्थानीय मुद्रा के दीर्घकालिक ऋण को AA- नकारात्मक रेटिंग तथा फिच (FITCH) ने A+ रेटिंग प्रदान की हुई है|
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अक्टूबर-2016 में ही चेताया था कि चीन को कॉर्पोरेट ऋण का प्रबंधन करने के लिये एक योजना बनाने की तत्काल आवश्कता है|
- यह दुनिया के लिये अच्छी खबर नहीं है कि चीन एक बड़ी क्रेडिट बूम की समस्या से गुज़र रहा है| अत: चीनी सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है|
ऋण देने की होड़ (CREDIT BOOM)
इसे वित्तीय संस्थानों द्वारा तेज़ी से उधार देने की प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष 2000 में अनुभव किया गया था| यह वित्तीय उदारीकरण और नवाचार का नतीजा है। इसके द्वारा अर्थव्यवस्था में कुछ विसंगतियाँ उत्पन्न हो सकती है, जैसे: आवासीय ऋण संकट।