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भारतीय अर्थव्यवस्था

मौद्रिक नीति समिति

  • 05 Apr 2019
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वित्त वर्ष 2019-20 के लिये मौद्रिक नीति समिति की पहली द्विमासिक (Bi-monthly) बैठक संपन्न हुई।

प्रमुख बिंदु

  • इस बैठक में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिपॉजिट और अल्पकालिक ऋणों पर ब्याज दरों को बाहरी मानदंड (External Benchmark) से जोड़ने के लिये अपने प्रस्ताव को फ़िलहाल रोकने का फैसला किया है।
  • गौरतलब है कि ब्याज दरों को बाहरी मानदंड से जोड़ने का उद्देश्य ऋण की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है।
  • वर्तमान में बैंक ऋण देने के लिये सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (Marginal Cost-based Lending Rate-MCLR) का पालन करते हैं।

बाहरी मानदंड

  • बाहरी मानदंड में रेपो दर, भारत सरकार द्वारा 91 या 182 दिन के लिये जारी ट्रेज़री बिल या FBIL द्वारा जारी ब्याज दर के अन्य मानदंड शामिल हैं।

FBIL (Financial Benchmark India Private Ltd)

  • फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) को संयुक्त रूप से फिक्स्ड इन्कम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FIMMDA), फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FEDAI) और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) द्वारा संयुक्त रूप से प्रमोट किया गया था।
  • इसे कंपनी अधिनियम 2013 के तहत 9 दिसंबर, 2014 को बनाया गया था।
  • इसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2 मार्च, 2015 को एक स्वतंत्र बेंचमार्क व्यवस्थापक के रूप में मान्यता दी गई है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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