भारतीय अर्थव्यवस्था
12 सर्वश्रेष्ठ वैश्विक प्रथाओं में से एक मिशन इंद्रधनुष
- 08 Dec 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिये सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम, मिशन इंद्रधनुष को एक स्वतंत्र चिकित्सा ज़ूरी द्वारा स्वास्थ्य देखभाल के स्तर को बढ़ाने वाली बारह सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं में से एक के रूप में चुना गया है।
प्रमुख बिंदु
- भारत द्वारा आयोजित किये जाने वाले सम्मेलन ‘पार्टनर्स फोरम’ का आयोजन नई दिल्ली में होगा।
- इस शिखर सम्मेलन में माँ, बच्चे और किशोरावस्था के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक मंच पर 85 देशों के स्वास्थ्य अधिकारियों को एक साथ एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा।
- इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से प्राप्त 300 आवेदनों में से सर्वश्रेष्ठ बारह प्रथाओं को प्रदर्शित किया जाएगा।
- इन 12 शोधों को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) के एक विशेष अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2020 तक सभी गर्भवती महिलाओं और बच्चों का 90 प्रतिशत टीकाकरण करना है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 में यह संख्या 62 प्रतिशत थी।
सफलता के आँकड़े
- 1990 के दशक में भारत में मातृ मृत्यु दर 77 प्रतिशत से घटकर अब 44 प्रतिशत और पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 126 प्रति हजार जीवित जन्म से घटकर 39 हो गई है।
- प्रारंभिक बचपन के विकास के लिये चिली और जर्मनी की सामाजिक सुरक्षा नीतियों की सराहना की गई है।
- इसके अत्तिरिक्त कंबोडिया में गरीबों के लिये विकास कार्यक्रम और भारत में मिशन इंद्रधनुष को गुणवत्ता, समानता और गरिमा की कहानियों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, जबकि किशोरावस्था के स्वास्थ्य और कल्याण में सर्वोत्तम प्रथाओं के लिये इंडोनेशिया और अमेरिका को एक अच्छा प्रदर्शक माना गया है।
- साथ ही मलावी की टोल फ्री हेल्पलाइन और मलेशिया के सार्वभौमिक एंटी-एचपीवी (anti-HPV) टीकाकरण कवरेज को यौन और प्रजनन अधिकारों के लिये सबसे अच्छी पहल के रूप में उद्धृत किया जा रहा है।
- दशकों के युद्ध और अस्थिरता के बाद अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की भी स्केलिंग की गई है और साथ ही साथ सिएरा लियोन के रेडियो कार्यक्रम, जो इबोला प्रभावित बच्चों और उनके समुदायों का समर्थन करता है, को मानवतावादी और सबसे उदार मामलों में से माना गया हैं।
मिशन इंद्रधनुष के बारे में
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 25 दिसंबर 2014 को ‘मिशन इन्द्रधनुष’ की शुरुआत की।
- इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2020 तक ऐसे सभी बच्चों का टीकाकरण करना है, जिन्हें सात बीमारियों से लड़ने के टीके नहीं लगाए गए हैं या आंशिक रूप से लगाए गये हैं।
तीव्र मिशन इंद्रधनुष
- 1 अगस्त, 2017 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा पूर्ण टीकाकरण कवरेज में तेजी लाने और निम्न टीकाकरण कवरेज वाले शहरी क्षेत्रों एवं अन्य इलाकों पर अपेक्षाकृत ज्यादा ध्यान देने हेतु मंत्रालय द्वारा ‘तीव्र मिशन इंद्रधनुष’ लॉन्च किया गया था।
- इसके अनुसार वर्ष 2018 तक पूर्ण टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य है।
- तीव्र मिशन इंद्रधनुष के तहत उन शहरी क्षेत्रों पर अपेक्षाकृत ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है, जिन पर मिशन इंद्रधनुष के तहत ध्यान केंद्रित नहीं किया जा सका था।
- तीव्र मिशन इंद्रधनुष की एक विशिष्ट खूबी यह है कि इसके तहत अन्य मंत्रालयों/विभागों विशेषकर महिला एवं बाल विकास, पंचायती राज, शहरी विकास, युवा मामले, एनसीसी इत्यादि से जुड़े मंत्रालयों एवं विभागों के साथ सामंजस्य बैठाने पर अपेक्षाकृत ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
- विभिन्न विभागों के जमीनी स्तर वाले कामगारों जैसे कि आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी कर्मचारियों, एनयूएलएम के तहत जिला प्रेरकों, स्वयं सहायता समूहों के बीच समुचित सामंजस्य तीव्र मिशन इंद्रधनुष के सफल क्रियान्वयन के लिहाज से अत्यंत आवश्यक है।
- भारत के 'सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम' की शुरुआत वर्ष 1985 में चरणबद्ध तरीके से की गई थी, जो कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रम में से एक था, जिसका उद्देश्य देश के सभी ज़िलों को 90% तक पूर्ण प्रतिरक्षण प्रदान करना था।
- हालाँकि कई वर्षों से परिचालन में होने के बावजूद UIP केवल 65% बच्चों को उनके जीवन के प्रथम वर्ष में होने वाले रोगों से पूरी तरह से प्रतिरक्षित कर पाया था। अतः मिशन इंद्रधनुष को प्रारंभ किया गया।