गृह मंत्रालय ने की सुरक्षा क्लियरेंस में तेज़ी | 05 May 2018
चर्चा में क्यों ?
गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में विदेशों से आए निवेश प्रस्तावों के सुरक्षा क्लियरेंस में तेज़ी देखने को मिली है। टेलीकॉम और डिफेंस जैसे क्षेत्रों में आए अधिकांश निवेश प्रस्तावों को तीव्रता से सुरक्षा क्लियरेंस प्रदान किये गए। इन क्षेत्रों से संबंधित अधिकांश प्रस्ताव चीन, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और मॉरीशस से आए थे।
प्रमुख बिंदु
- गृह मंत्रालय ने कहा है कि उसने पिछले चार वर्षों में 5000 से ज़्यादा निवेश प्रस्तावों को सुरक्षा क्लियरेंस प्रदान किया है, जिनमें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश संबंधी प्रस्ताव भी शामिल हैं।
- पूर्व में किसी प्रोजेक्ट के सुरक्षा क्लियरेंस में औसतन 8-9 महीने का समय लगता था, जिसे पिछले वर्ष से 40 दिन पर लाया जा चुका है।
- सरकार ने आसूचना ब्यूरो (Intelligence Bureau),अन्य एजेंसियों और राज्यों की पुलिस द्वारा समुचित मंजूरी प्राप्त न कर पाने के कारण अटकी हुई परियोजनाओं को तीव्रता प्रदान करने हेतु 2015 में एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा क्लियरेंस नीति तैयार की।
- इस नई नीति में 15 पैरामीटर हैं, जिन पर सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट की मांग की जाती है।
- निवेशक से आवेदन मिलने के पश्चात् मंत्रालय 4-6 सप्ताह के भीतर इसके सुरक्षा क्लियरेंस की स्थिति पर निर्णय लेता है।
- मंत्रालय ने वर्ष 2014 में 815 निवेश प्रस्तावों को सुरक्षा क्लियरेंस प्रदान किया, जबकि वर्ष 2015 में यह संख्या 1,201 थी, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 1,260 हो गई।
- वर्ष 2017 में लगभग 1,071 प्रस्तावों को सुरक्षा क्लियरेंस प्रदान किये गए थे।
- इसके अतिरिक्त, वर्ष 2015 में संशोधित नीतिगत दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन के कारण 543 प्रस्ताव स्वतः ही पास हो गए।
- विदेशी प्रस्तावों में से अमेरिका, चीन (हॉन्गकॉन्ग सहित), मॉरीशस और यूनाइटेड किंगडम के सबसे अधिक प्रस्तावों को क्लियरेंस प्रदान किया गया।
- ध्यातव्य है कि सरकार ने अर्थव्यवस्था के कुछ प्रमुख संवेदनशील क्षेत्रों हेतु एक राष्ट्रीय सुरक्षा क्लियरेंस नीति तैयार की थी।
- इस नीति ने पूर्व में मौजूद कुछ निवेश प्रतिबंधों को भी उदार बनाया है।
- इस नई नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा की अनिवार्यताओं को पूरा करने और देश में निवेश को बढ़ावा देने के बीच स्वस्थ संतुलन स्थापित करना है।