खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि : धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले 4 वर्षों में सबसे अधिक | 05 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने साल 2018-19 के लिये 14 ख़रीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price-MSP) में उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ वृद्धि की घोषणा की है। MSP, कृषि उपज के लिये गारंटीकृत मूल्य है कीमतों में अचानक गिरावट होने पर यह किसानों को सुरक्षा प्रदान करता है। सरकार द्वारा किया गया यह फैसला ऐतिहासिक है जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
किसानों को होगा लाभ लेकिन सरकार के खर्च में होगी अतिरिक्त वृद्धि
- इससे धान, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन, रागी, उड़द, तुअर, कपास, सूरजमुखी, तिल आदि फसलों के उत्पादकों को लाभ मिलेगा।
- हालाँकि केंद्र सरकार को एमएसपी में बढ़ोतरी से 15,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च करना होगा।
सरकार के सामने चुनौती
- न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के किसानों के लिये अच्छी ख़बर है क्योंकि इनका धान सरकारी एजेंसियों द्वारा ख़रीद लिया जाता है।
- इन राज्यों के किसानों को धान की कीमत 11 से 13 प्रतिशत अधिक मिलेगी लेकिन जिन किसानों की फ़सल सरकार नहीं ख़रीदती उनको इसका इंतज़ार रहेगा कि सरकार उन्हें इस बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य का फ़ायदा कैसे पहुँचाएगी। यह सरकार के सामने भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।
कैसे मापा जाता है न्यूनतम समर्थन मूल्य?
- कृषि मंत्रालय सभी राज्यों में कृषि पर लागत का अध्ययन करवाता है। इस अध्ययन से यह पता चलता है कि किसी राज्य में कोई फसल उगाने पर लागत कितनी आती है।
- इस अध्ययन के साथ-साथ शेष अन्य क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार को अपनी संस्तुति देता है कि किसी फ़सल का न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना होना चाहिये।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि का कारण
- न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करते समय पूरे साल की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति, निर्यात क्षेत्र में प्रतियोगिता तथा उत्पाद की मांग आदि तथ्यों को ध्यान में रखा जाता है लेकिन इस बार इन सभी बातों को ध्यान में नहीं रखा गया तथा केवल कृषि पर लागत को देखते हुए उसमें 50% की वृद्धि कर दी गई।
- सामान्यतः महँगाई के प्रभाव को देखकर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की जाती है।
2018-19 के बज़ट में शामिल था किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य
- बजट 2018-19 में 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल किये जाने हेतु कृषि नीति में ज़रूरी बदलाव करने का संकेत दिया गया था।
- बजट में बेहतर आय सृजन के जरिये किसानों की आय बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया था।