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कृषि

चीनी के लिये न्यूनतम विक्रय मूल्य

  • 20 Jun 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

न्यूनतम विक्रय मूल्य, कृषि लागत और मूल्य आयोग

मेन्स के लिये:

न्यूनतम विक्रय मूल्य के निर्धारण में ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ की भूमिका 

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार किसानों के लगभग 22 हजार करोड़ रुपए के गन्ने की बकाया राशि का भुगतान करने में मदद करने के लिये चीनी के ‘न्यूनतम विक्रय मूल्य’ (Minimum Selling Price- MSP) को 31 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्र सरकार द्वारा चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य को बढ़ाने के संबंध में राज्य सरकारों से भी अनुसंशा प्राप्त हुई है तथा नीति आयोग (Niti Aayog) द्वारा भी चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य में बढ़ोतरी की सिफारिश प्रस्तुत की गई है।
  • न्यूनतम विक्रय मूल्य में बढ़ोत्तरी के संदर्भ में गन्ना एवं  चीनी उद्योग पर नीति आयोग द्वारा एक  टास्क फोर्स का गठन किया गया है जिसने चीनी मूल्य में दो रूपए प्रति किलोग्राम की वृद्धि की सिफारिश की गई है।

न्यूनतम विक्रय मूल्य:

  • न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) वह दर है जिसके नीचे मिलें खुले बाज़ार में चीनी को थोक व्यापारी एवं थोक उपभोक्ता जैसे पेय और बिस्किट निर्माताओं को नहीं बेच सकती हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य:

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा क्रय करने के लिये तैयार रहती है।
  • जब बाज़ार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा हो, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों को क्रय कर उनके हितों की रक्षा करती है।
  • सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले करती है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की संस्तुति पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में की जाती है। 
  • चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य में वृद्धि की संभावना इसलिये भी है क्योंकि ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ (Commission for Agricultural Costs and Prices-CACP) द्वारा वर्ष 2020-21 के लिये गन्ने के ‘उचित एवं पारिश्रमिक मूल्य’(Fair and Remunerative Price-FRP) को 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 285 रूपए करने की सिफारिश प्रस्तुत की गई है।

उचित और पारिश्रमिक मूल्य:

  • उचित और पारिश्रमिक मूल्य वह न्यूनतम मूल्य वह है जो मिलों द्वारा किसानों को गन्ने की पेराई के 14 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है।
  • सामान्यत इसका निर्धारण उत्पादन की वास्तविक लागत, चीनी की माँग-आपूर्ति, घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय कीमतों, चीनी के प्राथमिक उप-उत्पादों की कीमतों तथा संभावित प्रभाव को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों द्वारा वर्ष 2019-20 के सीज़न में अब तक 27 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया गया है, जो पिछले वर्ष प्राप्त 33.1 मिलियन टन चीनी से कम रहा है।
  • पिछले वर्ष, सरकार ने चीनी मीलों द्वारा थोक खरीदारों को बिक्री की जाने वाली चीनी के मूल्य में 2रूपए/किलोग्राम की वृद्धि करके इसे 31 रुपये/किलोग्राम कर दिया गया था।

गन्ने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण:

  • गन्ने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की जगह उचित एवं लाभकारी मूल्य की घोषणा की जाती है। 
  • गन्ने का मूल्य निर्धारण आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य का निर्धारण: 

  • चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य का निर्धारण ‘उचित और पारिश्रमिक मूल्य’ (FRP) के घटकों और सबसे कुशल मिलों की न्यूनतम रूपांतरण लागत को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
  • चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य का निर्धारण गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य अर्थात न्यूनतम बिक्री मूल्य के अनुसार तय किया जाता है।
  •  यदि कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा गन्ने के ‘उचित और पारिश्रमिक मूल्य’ में वृद्धि को मंज़ूरी दी जाती है तो चीनी के ‘न्यूनतम बिक्री मूल्य’ में भी वृद्धि हो जाती है

भुगतान की वर्तमान स्थिति: 

  • आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों द्वारा वर्ष 2019-20 (अक्तूबर-सितंबर) के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने के लिये कुल 72,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा। 
  • अधिकतम धनराशि का भुगतान किया जा चुका है तथा बची हुई कुल बकाया राशि लगभग 22,000 करोड़ रूपए है।
  • बकाया राशि में केंद्र द्वारा निर्धारित FRP तथा राज्यों द्वारा निर्धारित राज्य सलाहकार मूल्य (State Advisory Price- SAP) के आधार पर की जाने वाली भुगतान राशि शामिल है।
  • 22,000 करोड़ रुपये के बकाया में से, लगभग 17,683 करोड़ रूपए FRP दर पर आधारित है जबकि शेष SAP दरों पर आधारित हैं।

निष्कर्ष: 

सरकार द्वारा किये जा रहे इन उपायों के माध्यम से किसानों को पर्याप्त गन्ने की बकाया राशि का जल्द ही भुगतान हो जाएगा। इसके अलावा लॉकडाउन के बाद अब होटल, रेस्त्रां और कैंटीन खोलने की इजाज़त मिल चुकी है जिससे चीनी की माँग में थोड़ी वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है, जिससे कीमतों में भी हल्की तेज़ी देखी जा सकती है। अतः कहा जा सकता है कि आगामी दिनों में चीनी की कीमतों में सुधार होने का अनुमान है।

स्रोत: द इकोनॉमिक टाइम्स

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