सामाजिक न्याय
भारतीयों का न्यूनतम बॉडी मास इंडेक्स
- 06 Nov 2020
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प्रिलिम्स के लिये:बॉडी मास इंडेक्स मेन्स के लिये:बॉडी मास इंडेक्स |
चर्चा में क्यों?
द लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 200 देशों में 19 वर्षीय लड़कियों और लड़कों के ‘बॉडी मास इंडेक्स’ में भारत क्रमशः नीचे से तीसरे और पाँचवें स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु:
- द लांसेट’ एक साप्ताहिक विशिष्ट-समीक्षा करने वाली सामान्य चिकित्सा पत्रिका है। यह दुनिया के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध सामान्य चिकित्सा पत्रिकाओं में से एक है।
- अध्ययन में 200 देशों के 19 वर्षीय किशोरों के बीएमआई का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है।
बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
- बीएमआई या 'बॉडी मास इंडेक्स' की गणना किसी व्यक्ति की ऊँचाई और वज़न के आधार पर की जाती है। इसके लिये व्यक्ति के वज़न को (किग्रा. में), ऊँचाई (मीटर में) के वर्ग से विभाजित किया जाता है।
फार्मूला: वज़न (किग्रा.) / [ऊँचाई (मीटर)]2
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सामान्य बीएमआई 18.5 से 24.9 के बीच रहता है।
- यदि बीएमआई 25 या अधिक हो तो उसे अधिक वज़न (Overweight) के रूप में और यह 30 या उससे अधिक हो तो मोटापे (Obesity) के रूप में जाना जाता है।
भारत में बीएमआई की स्थिति:
- भारत में 19 वर्षीय लड़कों का बीएमआई 20.1 है। भारतीय लड़कियों के लिये भी औसत बीएमआई लड़कों के समान 20.1 है।
- भारत में 19 वर्षीय लड़कों की औसत ऊँचाई 166.5 सेमी. है, वहीं यह लड़कियों के लिये 155.2 सेमी. है।
- भारत में औसत बीएमआई जहाँ 'कुक आइलैंड्स' (29.6 ) की तुलना में बहुत कम है, वहीं यह इथियोपिया (19.2) से कुछ ही अधिक है।
भारत में कम बीएमआई के कारण:
- भारत जैसे विकासशील देशों में पोषण संबंधी दोहरा बोझ देखने को मिलता है, अर्थात् जहाँ एक तरफ अतिपोषण की स्थिति पाई जाती है, वहीं दूसरी ओर कुपोषण की समस्या भी देखने को मिलती है।
- भारत में विकसित देशों की तुलना में मोटापे तथा अधिक वज़न की समस्या कम देखने को मिलती है।
- इसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे- एपीजेनेटिक (बिना गुणसूत्रों में परिवर्तन के आनुवंशिकी में बदलाव), डाइटरी इनटेक में बदलाव, पारिवारिक पृष्ठभूमि, मानसिकता, पैतृक व्यवस्था, शिक्षा प्रणाली, व्यवसाय, आय का स्तर आदि।
आगे की राह:
- बच्चों और किशोरों में अधिक वज़न और मोटापे की वृद्धि को रोकने के लिये भारत में नियमित आहार प्रदान करने और पोषण आधारित सर्वेक्षण किये जाने की आवश्यकता है।
- अधिक वज़न और मोटापा आगे जाकर इंसुलिन प्रतिरोध, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, सीवीडी (Cardiovascular Disease) स्ट्रोक और कुछ कैंसर जैसे कई चयापचय विकारों में वृद्धि का कारण बनता है। इन जोखिमयुक्त कारकों में बढ़ोतरी होने पर स्वास्थ्य स्थिति के संदर्भ में गंभीरता से विचार किये जाने की आवश्यकता है, ताकि समय रहते समस्या का समाधान किया जा सके।