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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मिलीमीटर स्पेक्ट्रम

  • 06 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘मिलीमीटर’ स्पेक्ट्रम, 5G स्पेक्ट्रम

मेन्स के लिये :

दूरसंचार क्षेत्र में नई तकनीकी: चुनौतियाँ और लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दूरसंचार विभाग (भारत सरकार) ने 5G बैंड के 24.75 – 27.25 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) स्पेक्ट्रम की इस वर्ष नीलामी की इच्छा ज़ाहिर की है।

मुख्य बिंदु:

  • दूरसंचार विभाग जल्दी ही इस संबंध में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) की अनुमति मांग सकता है।
  • 5G बैंड के अंतर्गत इस नए स्पेक्ट्रम को ‘मिलीमीटर-वेव-बैंड्स (Millimeter-Wave Bands) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह स्पेक्ट्रम सरकार द्वारा मार्च-अप्रैल 2020 में बिक्री के लिये चयनित 8,300 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) वाले स्पेक्ट्रम से अलग है।
  • दूरसंचार विभाग इस नए स्पेक्ट्रम को भी 8,300 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) स्पेक्ट्रम के साथ बाज़ार के लिये खोलना चाहता था परंतु TRAI की अनुमति में देरी के कारण अब इसे वर्ष 2020 में ही कुछ देरी से बिक्री के लिये रखने की तैयारी है।
  • दूरसंचार आयोग (Digital Communications Commission-DCC) ने 20 दिसंबर, 2019 को 8,300 मेगाहर्ट्ज़ (MHz) स्पेक्ट्रम की 22 लाइसेंस्ड स्पेक्ट्रम एक्सेस (Licensed Spectrum Access-LSA) या दूर-संचार क्षेत्रों (Telecom Circles) में बिक्री की अनुमति दी थी।

क्यों है खास नया स्पेक्ट्रम?

  • इस मिलीमीटर-वेव-बैंड या अत्यंत उच्च आवृत्ति (Extremely High-Frequency) स्पेक्ट्रम का उपयोग प्रमुखतः हवाई-अड्डों पर सुरक्षा स्कैनरों, सीसीटीवी, वैज्ञानिक शोध, मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन और सैन्य अग्निशमन (Military Fire Control) में होता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, जैसे-जैसे तरंग दैर्ध्य छोटी होती है सेल (Cell) का आकर भी छोटा होता जाता है, जो कि प्रसारण केंद्र से संपर्क की इकाई है।
  • वर्तमान में इस तकनीक का उपयोग उद्योगों और ऑप्टिकल फाइबर तक पहुँच वाले घरों में होने की उम्मीदें अधिक हैं।

स्पेक्ट्रम की ऊँची कीमत को लेकर शंकाएँ:

  • दूरसंचार आयोग ने TRAI की सलाह पर नए स्पेक्ट्रम का मूल्य लगभग 5.22 लाख करोड़ रूपए रखा है।
  • भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की कुछ कंपनियों ने स्पेक्ट्रम की ऊँची कीमतों पर निराशा ज़ाहिर की है, सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की औद्योगिक शाखा (Industry Body Cellular Operators Association of India) के अनुसार, नियामकों द्वारा प्रस्तावित वर्तमान मूल्य वैश्विक कीमतों की तुलना में भी बहुत अधिक है तथा इन पर पुनः विचार किये जाने की ज़रूरत है।

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cellular Operators Association of India-COAI): यह दूरसंचार क्षेत्र में सक्रिय कंपनियों का एक गैर-सरकारी संघ है, इसकी स्थापना वर्ष 1905 में की गयी थी। COAI दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों और सरकार के बीच मध्यस्थता का काम करती है तथा दोनों के सहयोग से दूरसंचार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों जैसे- इंडिया मोबाइल काॅन्ग्रेस (India Mobile Congress-IMC) का आयोजन करती है।

बढ़ी कीमतों पर सरकार का पक्ष:

  • दूरसंचार विभाग के अनुसार, स्पेक्ट्रम का मूल्य चुकाने पर वर्तमान में दो वर्षों का अधिस्थगन है, जिसके बाद स्पेक्ट्रम की शेष राशि को अगली 16 किस्तों में चुकाने की व्यवस्था है, ऐसे में यदि कंपनियाँ 5G को लेकर दूर-दृष्टि रखती हैं तो उन्हें इसके भविष्य में निवेश करना होगा।

इंडिया मोबाइल काॅन्ग्रेस (India Mobile Congress-IMC): IMC दक्षिणी एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा मंच है। वर्ष 2017 में इसकी स्थापना के बाद से प्रतिवर्ष यह मंच दूर-संचार क्षेत्र की कंपनियों, नीति निर्धारकों, नियामकों और अकादमिक क्षेत्र के प्रतिनिधि इत्यादि को एक साथ लाकर इस क्षेत्र के भविष्य की रूपरेखा निर्धारित करने में सहयोग करता है। इसके साथ ही हर वर्ष इस आयोजन में भविष्य की नयी तकनीकों का प्रदर्शन भी किया जाता है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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