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वाहनों में होगा माइक्रोडॉट्स का अनिवार्य उपयोग

  • 29 Jul 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सड़क परिवहन मंत्रालय ने अपने मसौदा नियमों के तहत वाहन निर्माताओं को माइक्रोडॉट्स तकनीक अपनाने के लिये कहा है। अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में इस तकनीकी का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु 

  • यह मसौदा नियम, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 (Central Motor Vehicles Rules, 1989) में संशोधन करता है और माइक्रोडॉट्स तकनीक के प्रयोग की बात करता है। 
  • माइक्रोडॉट्स तकनीक में मोटर वाहनों और उसके विभिन्न पुर्जों  पर स्थायी और लगभग अदृश्य डॉट्स को चिपका दिया जाता है। ]
  • इन माइक्रोडॉट्स को सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से ही पढ़ा जा सकता है और पराबैंगनी प्रकाश में ही पहचाना जा सकता है।
  • माइक्रोडॉट्स, मोटरवाहन उद्योग मानक-155 (Automotive Industry Standard- 155) की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
  • ये मानक ऑटोमोटिव उद्योग मानक समिति के द्वारा बनाए जाते हैं। इस समिति की स्थापना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा केंद्रीय मोटर वाहन नियम- तकनीकी स्थायी समिति (Central Motor Vehicles Rules - Technical Standing Committee: CMVR-TSC) के तहत की गई है। 

माइक्रोडॉट्स (Microdots) क्या होते हैं? 

  • माइक्रोडॉट तकनीक में वाहनों में एक विशिष्ट पहचान बनाने के लिये उन पर हजारों सूक्ष्म डॉट्स का छिड़काव कर दिया जाता है।
  • माइक्रोडॉट वाहन के पंजीकृत मालिक की पहचान को निर्धारित करता है, लेकिन इन्हें  नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता।
  • ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बनने वाली मशीनों और कलपुर्जों में मौलिकता (Originality) सुनिश्चित करने के लिये माइक्रोडॉट्स एक लोकप्रिय तकनीक है।
  • दक्षिण अफ्रीका ने सितंबर 2012 से ही बेचे जाने वाले सभी नए वाहनों में इस तकनीक के प्रयोग को अनिवार्य कर दिया है।

माइक्रोडॉट्स (Microdots) की आवश्यकता क्यों? 

  • इसका उद्देश्य भारत में वाहन चोरी और कल-पुर्जों की चोरी को रोकना है।
  • वर्ष 2016 में देशभर में लगभग 2.14 लाख वाहन चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थीं।  दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र वाहन चोरी की मामलों में शीर्ष तीन राज्य हैं, जहाँ क्रमशः 38,644, 34,480 तथा  22,435 वाहन चोरी के मामले दर्ज किये गए। 
  • माइक्रोडॉट्स के माध्यम से चोरी किये गए वाहन की पहचान कर पाना आसान होगा क्योंकि इन्हें  बिना तोड़-फोड़ किये मिटा पाना लगभग असंभव है।      

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया

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