लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

दवा वितरण हेतु ‘माइक्रोस्विमर’

  • 12 Apr 2022
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

माइक्रोस्विमर्स, फोटोकैटलिटिक, PHI कार्बन नाइट्राइड।

मेन्स के लिये:

ड्रग डिलीवरी, रोबोटिक्स।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोध से पता चला है कि मानव शरीर में बेहतर दवा-वितरण हेतु माइक्रोबॉट्स को स्थानांतरित करने के लिये ईंधन के रूप में प्रकाश का उपयोग करना संभव है। गौरतलब है कि यह दवा-वितरण प्रक्रिया कैंसर कोशिकाओं के प्रति चुनिंदा रूप से संवेदनशील होती है।

  • इन माइक्रोबॉट्स को माइक्रोस्विमर्स कहा जाता है।
  • अनुसंधान का नेतृत्व मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंट सिस्टम्स (MPI-IS) और मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर सॉलिड स्टेट रिसर्च (MPI-FKF), स्टटगार्ट, जर्मनी द्वारा किया गया।

Micro-Swimmers

शोध के प्रमुख बिंदु:

  • परिचय: 
  • ये माइक्रोबॉट्स द्वि-आयामी यौगिक पॉली (हेप्टाज़िन इमाइड) कार्बन नाइट्राइड (यानी PHI कार्बन नाइट्राइड) से बने हैं।
    • ये माइक्रोबॉट्स छोटे इंसानों की तरह ही हैं।
    • वे आकार में 1-10 माइक्रोमीटर (एक माइक्रोमीटर एक मीटर का दस लाखवाँ हिस्सा) तक होते हैं और चमकदार रोशनी के कारण सक्रिय होने पर स्वयं को आगे बढ़ा सकते हैं।
  • माइक्रोबॉट्स कैसे तैरते हैं?
  •  PHI कार्बन नाइट्राइड माइक्रोपार्टिकल्स फोटोकैटलिटिक होते हैं।
    • ये कण लगभग गोलाकार होते हैं और प्रायः प्रकाश के कारण गोले का आधा हिस्सा रोशन हो जाता है, जबकि दूसरे हिस्से में अंधेरा रहता है।
    • चूँकि फोटोकैटलिटिक प्रकाश-चालित होता है, यह केवल प्रकाश वाले हिस्से में ही होता है।
    • जैसे ही आयन (Ions) प्रकाश वाले पक्ष से अंधेरे पक्ष की ओर बढ़ते हैं, माइक्रोस्विमर्स प्रकाश स्रोत की दिशा की ओर बढ़ते हैं।
  • कण के विद्युत क्षेत्र के साथ संयुक्त यह प्रतिक्रिया माइक्रोबॉट्स यानी माइक्रोस्विमर्स को आगे बढ़ने अथवा तैरने में मदद करती है।
  • बाधाएँ: शरीर के तरल पदार्थ और रक्त में घुले हुए लवण।
    • लवण की उपस्थिति के कारण नमक आयन प्रतिक्रिया आयन को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने से रोकते हैं, क्योंकि वे उन्हें बाँध देते हैं और उनके आगे बढ़ने का क्रम रुक जाता है।
    • इसलिये सभी तैराक लवण/नमक युक्त घोल में तैर नहीं सकते।
    • उदाहरण के लिये पानी में घुलने पर साधारण नमक (NaCl) सोडियम (Na +) और क्लोराइड (Cl -) आयन में टूट जाते हैं।
    • ये आयन फोटोकैटलिटिक (Photocatalytic) प्रतिक्रिया द्वारा निर्मित आयन्स को बेअसर कर देंगे, जिससे उनके स्वयं का संचालन बाधित हो जाएगा।
  • अनुसंधान का योगदान: शोधकर्त्ताओं ने पाया कि नमक युक्त घोल में आयन PHI कार्बन नाइट्राइड के छिद्रों से होकर गुज़रते हैं। इस प्रकार नमक आयन्स से बहुत कम या कोई प्रतिरोध नहीं होती।
    • तरल पदार्थ से नमक आयन्स के अलग होने के अलावा माइक्रोपार्टिकल्स पर रिक्तियाँ और छिद्र कार्गो बे (Cargo Bays) के रूप में कार्य करते थे तथा बड़ी मात्रा में दवा को अवशोषित कर सकते थे।
    • अतीत में शुरू की गई दवा वितरण के लिये सूक्ष्म तैराक (माइक्रोस्विमर्स) 'कृत्रिम कैप्सूल' पर निर्भर रहते थे, जिन्हें दवाओं से भर दिया जाता था तथा शरीर के विशिष्ट भागों में पहुँचाया जाता था।
      • हालाँकि इन कैप्सूल्स को बनाना जटिल और महँगा हो सकता है। इसके विपरीत शोधकर्त्ताओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले कण सस्ते, कार्बनिक और स्पंजी होते हैं, जो सीधे दवाओं या अन्य पदार्थों से जुड़े होते हैं।
      • इसका मतलब है कि उन्हें बड़े पैमाने पर लागू करना आसान हो सकता है। उल्लेखनीय रूप से उन्हें अतीत में उपयोग की जाने वाली अन्य सामग्रियों की तुलना में अधिक दवाओं (यानी अपने स्वयं के द्रव्यमान का 185%) से भी भरा जा सकता है।
  • महत्त्व: माइक्रोस्विमर्स डॉक्टरों को मानव शरीर के अंदर लक्षित क्षेत्रों में दवाएँ पहुँचाने की अनुमति दे सकते हैं।
    • माइक्रोस्विमर्स झीलों या समुद्र में विशिष्ट पदार्थों को पेश करने में भी मदद कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये माइक्रोस्विमर को विशिष्ट जानवरों की प्रजातियों को ठीक करने या हानिकारक जीवों को खत्म करने हेतु लुप्तप्राय प्राकृतिक वातावरण में तैनात किया जा सकता है।

Biomedical-Applications

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनो तकनीक के प्रयोग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (2015)

  1. नैनो तकनीक द्वारा लक्षित दवा वितरण को संभव बनाया गया है।
  2. नैनो तकनीक काफी हद तक जीन थेरेपी में योगदान कर सकती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b)  केवल 2
(c) 1 और  2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

  • नैनो तकनीक में 1 एनएम (यानी, नैनोमीटर) और 100 एनएम आकार के बीच की संरचनाओं का अध्ययन और उपयोग किया जाता है।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनो तकनीक का उपयोग लक्षित दवा वितरण हेतु किया जा सकता है और साथ ही यह जीन थेरेपी में भी मदद कर सकती है।
  • जीन थेरेपी में किसी बीमारी के इलाज या रोकथाम हेतु जीन का उपयोग किया जाता है। यह डॉक्टरों को दवाओं या सर्जरी का उपयोग करने के बजाय रोगी की कोशिकाओं में जीन को प्रविष्ट कर विकार का इलाज करने की अनुमति देती है।

स्रोत: द हिंदू  

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2