मेट्रो-नियो परियोजना | 07 Nov 2020
प्रिलिम्स के लिये:मेट्रो-नियो परियोजना मेन्स के लिये:मेट्रो-नियो परियोजना |
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार टियर-2 और टियर-3 नगरों हेतु कम लागत वाली रेल पारगमन प्रणाली ‘मेट्रो-नियो परियोजना’ के मानक विनिर्देशों को मंज़ूरी देने की योजना बना रही है।
प्रमुख बिंदु:
- मेट्रो-नियो सिस्टम, परिवहन की एक अद्वितीय अवधारणा है जिसे भारत में पहली बार अपनाया जा रहा है।
- यह एक कुशल ‘मास पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम’ (MRTS) है, जो भारत के टियर- 2 और टियर 3 नगरों के साथ-साथ उपनगरीय यातायात की ज़रूरत को पूरा करने के लिये आदर्श रूप से उपयुक्त है।
- यह अत्याधुनिक, आरामदायक, ऊर्जा कुशल, न्यूनतम ध्वनि प्रदूषण और पर्यावरण के अनुकूल मेट्रो प्रणाली है। परंपरागत मेट्रो की तुलना में यह काफी हल्की तथा छोटी होगी। इसकी लागत परंपरागत परिवहन प्रणाली का लगभग 25% है।
- मेट्रो-नियो रेल ट्रैक के स्थान पर सड़क पर चलेगी परंतु ऊर्जा ओवरहेड वायर्स से प्राप्त करेगी। इसे इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह तीव्र ढाल में भी आसानी से चलाई जा सकती है। भविष्य में ट्रैफिक डिमांड के अनुसार सिस्टम को इंक्रीमेंटल कॉस्ट इनपुट के साथ ‘लाइट मेट्रो’ में अपग्रेड किया जा सकता है।
भारत में मेट्रो-नियो के प्रोजेक्ट:
- महाराष्ट्र के नासिक और तेलंगाना के वारंगल ज़िलों के लिये मेट्रो-नियो प्रणाली पर योजना बनाई जा रही है।वारंगल के लिये योजना अभी तक पूरी तरह तैयार नहीं है, जबकि महाराष्ट्र सरकार द्वारा नासिक के लिये 30 स्टेशनों के साथ 33 किलोमीटर की लंबाई के प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
नगरीय गतिशीलता के अन्य नए साधन/मोड:
हाइपरलूप परिवहन प्रणाली:
- यह एक ऐसी परिवहन प्रणाली है जहाँ एक पॉड जैसे वाहन को विमान की गति से शहरों को जोड़ने वाली एक वैक्यूम ट्यूब के माध्यम से चलाया जाता है। इस तकनीक को हाइपरलूप इसलिये कहा गया क्योंकि इसमें परिवहन एक लूप के माध्यम से किया जाता है।
- परिवहन के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले हाइपरलूप का कॉन्सेप्ट ‘एलन मस्क’ ने दिया और इसे ‘परिवहन का पाँचवाँ मोड’ भी बताया।
- इसके अंतर्गत हाइपरलूप वाहन में यात्रियों के पॉड्स को एक कम दबाव वाली ट्यूब के अंदर उत्तरोत्तर विद्युत प्रणोदन (Electric Propulsion) के माध्यम से उच्च गति प्रदान की जाती है।
पोड टैक्सी:
- पॉड टैक्सी सेवा एक आधुनिक और उन्नत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है। इसे ‘पर्सनल रैपिड ट्रांज़िट’ (PRT) भी कहा जाता है।
- इसमें सामान्य टैक्सी सेवाओं की तरह ही यात्रियों के छोटे समूहों को मांग आधारित फीडर एवं शटल सेवाएँ प्रदान कराई जाती हैं, किंतु इसमें स्वचालित इलेक्ट्रिक पॉड का इस्तेमाल किया जाता है। यह परिवहन का एक स्वच्छ एवं हरित विकल्प है
- यह चालक रहित वाहन है, जिसमें दो से लेकर छह लोग तक सफर कर सकते हैं। यह पूर्व निर्धारित मार्ग पर 80-130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकती है।
मेट्रो ट्रेन:
- वर्तमान में विकसित की जा रही मेट्रो रेल प्रणाली उच्च क्षमता की है जो बड़े नगरों की 'पीक आवर पीक डायरेक्शन ट्रैफिक' (PHPDT) की मांग के अनुकूल है।
मेट्रोलाइट (Metrolite):
- देश में मेट्रो रेल की सफलता को देखते हुए कई अन्य शहरों में भी रेल आधारित मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम के लिये 'लाइट अर्बन रेल ट्रांज़िट सिस्टम' पर कार्य किया जा रहा है जिसे 'मेट्रोलाइट' नाम से जाना जाता है।
आगे की राह:
- नगर आर्थिक विकास के इंजन हैं। हमें सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये वाहनों की आवाजाही के बजाय लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। अत: मेट्रो-नियो के समान ईंधन कुशल 'मास रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम' की आवश्यकता है।
- महिलाओं, बच्चों तथा वृद्धजनों तक गतिशील सेवाओं की सार्वजनिक और सुरक्षित पहुँच सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक वैधानिक प्रावधान किये जाने की आवश्यकता है।