लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मीथेन-संचालित रॉकेट इंजन

  • 24 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) मीथेन संचालित रॉकेट इंजन विकसित करने की योजना बना रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • इसरो दो एलओएक्स मीथेन (LOX Methane- Liquid Oxygen Oxidizer And Methane Fuel) इंजन आधारित परियोजनाओं को विकसित करने का प्रयास कर रहा है।
  • इनमें से एक परियोजना मौजूदा क्रायोजेनिक इंजन स्थानांतरित करने से संबंधित है। इसके तहत LOX मीथेन इंजन का प्रयोग किया जायेगा, जिसमें ईंधन के रूप में तरल हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।
  • दूसरी परियोजना में 3 टन वज़न वाले छोटे इंजन का प्रयोग किया जायेगा, जो इलेक्ट्रिक मोटर युक्त होगा।

मीथेन आधारित ईंधन:

मीथेन को अंतरिक्ष में पानी और कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) के साथ संश्लेषित किया जा सकता है। इसे ‘भविष्य के ईंधन’ की संज्ञा भी दी जाती है। यह तकनीक वर्तमान क्रायोजेनिक इंजन को स्थानांतरित करने में सक्षम है।

हाइपरगोलिक प्रणोदक (Hypergolic Propellant):

ये ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर स्वयं जलने लगते हैं और इन्हें किसी प्रज्जवलन स्रोत की आवश्यकता नहीं होती है।

तरल ऑक्सीजन (Liquid Oxygen- LOx):

यह संक्षिप्त रूप से मौलिक ऑक्सीजन का तरल रूप है। इसका प्रयोग वर्तमान में तरल-ईंधन वाले रॉकेट में ऑक्सीडाइज़र के रूप में किया जाता है।

लाभ:

  • हाइड्राजीन आधारित ईंधन अत्यधिक विषाक्त एवं कैंसर जैसे रोगों के कारक होते हैं। इसके विपरीत मीथेन गैर-विषैला होता है, साथ ही इसमें उच्च विशिष्ट आवेग होता है।
  • ये कम भारी होते हैं, अतः इन्हें स्टोर करना आसान होता है।
  • हाइड्राजीन आधारित ईंधनों के विपरीत ये जलने पर अवशेष नहीं छोड़ते हैं।
  • इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसे अंतरिक्ष में संश्लेषित किया जा सकता है।
  • बेहतर ईंधनों का प्रयोग अंतरिक्ष में अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
  • यह उपग्रहों (Satellite) को कम खर्चीला बनाएगा।

पृष्ठभूमि

  • वर्तमान में इसरो तरल ईंधन आधारित इंजनों जैसे विकास इंजन में ऑक्सीडाइजर नाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड के साथ अत्यधिक विषैले अनसिमेट्रिकल डाई-मिथाइल हाइड्राजीन (Unsymmetrical Di-Methyl Hydrazine-UDMH) ईंधन का उपयोग करता है।
  • इसे ‘डर्टी कॉम्बिनेशन’ (Dirty Combination) कहा जाता है। इस ईंधन का प्रयोग रॉकेट, पीएसएलवी (PSLV), जीएसएलवी (GSLV) के निचले चरणों में किया जाता है।
  • हाइड्राजीन आधारित ईंधन हाइपरगोलिक (Hypergolic) होते हैं।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2