शासन व्यवस्था
छावनियों का राज्य नगर पालिकाओं के साथ विलय
- 18 Mar 2024
- 12 min read
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र ने देश की 10 छावनियों (58 में से) के नागरिक क्षेत्रों को गैर-अधिसूचित करने की अधिसूचना जारी की है। इन क्षेत्रों को संबंधित राज्य नगर पालिकाओं (स्थानीय निकायों) में विलय कर दिया जाएगा।
- सरकार की योजना उक्त छावनियों के कुछ क्षेत्रों को बाहर करने और ऐसे क्षेत्रों को राज्य के स्थानीय निकायों में विलय करने की है।
छावनियाँ क्या हैं?
- छावनियाँ मुख्य रूप से सैन्य कर्मियों के आवास और सहायक बुनियादी ढाँचे के लिये नामित क्षेत्र हैं।
- फ्राँसीसी शब्द "कैंटन" से उत्पन्न, जिसका अर्थ है "कोना" या "ज़िला", छावनियों को ऐतिहासिक रूप से अस्थायी सैन्य छावनियों के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- हालाँकि समय के साथ, वे अर्ध-स्थायी बस्तियों में विकसित हो गए हैं जो सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों के लिये आवास, कार्यालय, स्कूल तथा अन्य सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
- भारत में छावनियों का इतिहास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के काल से मिलता है। पहली छावनी वर्ष 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद वर्ष 1765 में कलकत्ता के पास बैरकपुर में स्थापित की गई थी।
- इन क्षेत्रों को शुरू में सैन्य टुकड़ियों को तैनात करने के लिये बनाया गया था, लेकिन नागरिक आबादी को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया है जो सेना को सहायता और रसद सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- भारत के छावनी अधिनियम,1924 ने छावनियों के शासन और प्रशासन को औपचारिक रूप दिया, उनके प्रबंधन, विकास तथा विनियमन के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान किया।
भारत में छावनी प्रशासन के लिये तंत्र क्या है?
- छावनियाँ और उनकी संरचना:
- क्षेत्र और जनसंख्या के आकार के आधार पर छावनियों को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है- वर्ग I से वर्ग IV तक।
- जबकि प्रथम श्रेणी छावनी में आठ निर्वाचित नागरिक और बोर्ड में आठ सरकारी अथवा सैन्य सदस्य होते हैं, वहीं चतुर्थ श्रेणी छावनी में दो निर्वाचित नागरिक एवं दो सरकारी अथवा सैन्य सदस्य होते हैं।
- यह बोर्ड छावनी प्रशासन के विभिन्न पहलुओं के लिये ज़िम्मेदार है।
- छावनी का स्टेशन कमांडर बोर्ड का पदेन अध्यक्ष होता है तथा रक्षा संपदा संगठन का एक अधिकारी मुख्य कार्यकारी एवं सदस्य-सचिव होता है।
- आधिकारिक प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिये बोर्ड में निर्वाचित एवं नामांकित अथवा पदेन सदस्यों का समान प्रतिनिधित्व होता है।
- प्रशासकीय नियंत्रण
- रक्षा मंत्रालय का एक अंतर-सेवा संगठन प्रत्यक्ष रूप से छावनी प्रशासन को नियंत्रित करता है।
- भारत के संविधान की संघ सूची (अनुसूची VII) की प्रविष्टि 3 के अनुसार, छावनियों का शहरी स्वशासन तथा उनमें आवास भारत की संघ सूची का विषय है।
- देश में लगभग 62 छावनियाँ हैं जिन्हें छावनी अधिनियम, 1924 (छावनी अधिनियम, 2006 द्वारा सफल) के तहत अधिसूचित किया गया है।
- नगर पालिकाओं द्वारा शहरी शासन की प्रशासनिक संरचना एवं विनियमन:
- केंद्रीय स्तर पर: 'शहरी स्थानीय सरकार' का विषय निम्नलिखित तीन मंत्रालयों द्वारा देखा जाता है:
- आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय।
- छावनी बोर्डों के मामले में रक्षा मंत्रालय।
- केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में गृह मंत्रालय।
- राज्य स्तर पर:
- संविधान के तहत शहरी प्रशासन राज्य सूची का हिस्सा है। इस प्रकार ULB का प्रशासनिक ढाँचा और विनियमन राज्यों में भिन्न-भिन्न है।
- संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992 स्थानीय स्वशासन के संस्थानों के रूप में शहरी स्थानीय निकायों (ULB,नगर निगमों सहित) की स्थापना का प्रावधान करता है।
- इसने राज्य सरकारों को इन निकायों से राजस्व एकत्र करने के लिये कुछ कार्य, अधिकार एवं शक्ति सौंपने का अधिकार दिया और साथ ही उनके लिये समय-समय पर चुनाव अनिवार्य कर दिया।
- केंद्रीय स्तर पर: 'शहरी स्थानीय सरकार' का विषय निम्नलिखित तीन मंत्रालयों द्वारा देखा जाता है:
छावनियों के नगर पालिकाओं में विलय की क्या आवश्यकता है?
- विभिन्न प्रतिबंध:
- छावनी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों ने लंबे समय से विभिन्न प्रतिबंधों से संबंधित मुद्दों की शिकायत की है और कहा है कि छावनी बोर्ड उन्हें हल करने में विफल रहे हैं।
- उदाहरण के लिये, गृह ऋण तक पहुँच और परिसर के भीतर मुक्त आवागमन।
- स्थानीय शासन और नागरिक सुविधाएँ:
- नागरिक क्षेत्रों को नगरपालिका प्रशासन में शामिल करने से बेहतर नागरिक सुविधाएँ और ढाँचागत विकास हो सकता है।
- स्थानीय शासन के मामलों में निवासियों की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप शहरी नियोजन और सार्वजनिक सेवाएँ बेहतर होंगी।
छावनियों को नगर पालिकाओं में विलय करने में क्या मुद्दे हैं?
- कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियाँ:
- एक छावनी शहर से एक विलय किये गए नगर पालिका में परिवर्तन से छावनी और नागरिक क्षेत्रों के बीच सड़क, जल आपूर्ति, सीवेज तथा विद्युत जैसी बुनियादी ढाँचा प्रणालियों को एकीकृत करने जैसी विभिन्न कानूनी एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ आ सकती हैं।
- मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों का विरोध:
- नगर पार्षद और राजनीतिक प्रतिनिधि नए विलय वाले क्षेत्रों के समर्थन के लिये अपने निर्वाचन क्षेत्रों से धन आवंटित करने का विरोध कर सकते हैं।
- यह प्रतिरोध शहर के भीतर असमानताओं को और बढ़ा सकता है तथा विलय वाले क्षेत्रों में सेवाओं एवं बुनियादी ढाँचे में सुधार-प्रयासों में बाधा डाल सकता है।
- बुनियादी ढाँचे की मांग:
- ULB में छावनी क्षेत्रों को अचानक शामिल करने से जल की आपूर्ति, सीवेज सिस्टम, परिवहन नेटवर्क और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं जैसे मौजूदा बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ सकता है।
- ULB को विलय किये गए क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में बुनियादी ढाँचे के उन्नयन और विस्तार के लिये संघर्ष करना पड़ सकता है, जिससे सेवा में व्यवधान तथा जीवन यापन की स्थिति खराब हो सकती है।
- पर्यावरणीय चिंता:
- विलय वाले क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण और व्यावसायीकरण, विशेष रूप से हिल स्टेशनों जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में, पर्यावरण एवं स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
- खराब विनियमित विकास से निर्वनीकरण, मृदा अपरदन, भू-स्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सुभेद्यता बढ़ सकती है।
- सुरक्षा संबंधी विचार:
- नागरिक क्षेत्रों की सैन्य प्रतिष्ठानों से निकटता, विशेष रूप से रक्षा सुविधाओं के समीप अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण के संबंध में, सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाती है।
- सैन्य कर्मियों और परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ULB को सेना द्वारा निर्धारित सुरक्षा दिशा-निर्देशों तथा नियमों का पालन करना चाहिये।
निष्कर्ष:
- छावनियों का ULB के साथ विलय करने का निर्णय वर्तमान की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और यह सुविचारित है।
- भारत के चारों ओर शत्रु देशों की उपस्थिति को देखते हुए, सेना को सीमाओं की रक्षा के प्रमुख कार्य के लिये स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित करने की आवश्यकता है और उस पर सैनिकों तथा युद्ध से असंबंधित कार्यों का बोझ नहीं डालना चाहिये।
- चूँकि सभी 62 छावनियों के विलय के बाद नागरिक क्षेत्रों की देखरेख का उत्तरदायित्व ULB का होगा इसलिये रक्षा बजट इन क्षेत्रों पर विक्रय किये जाने वाले धन को सेना की मुख्य आवश्यकताओं और जहाँ भी आवश्यक हो, सामाजिक बुनियादी ढाँचे हेतु उपयोग कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. स्थानीय स्वशासन की सर्वोत्तम व्याख्या यह की जा सकती है कि यह एक प्रयोग है। (2017) (a) संघवाद का उत्तर: (b) प्रश्न. पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) |