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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एचपीसीएल का ओएनजीसी में विलय

  • 21 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ 
केंद्र सरकार द्वारा सैद्धांतिक रूप में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) को हिंदुस्तान पेट्रोलियम निगम लिमिटेड (HPCL) को खरीदने के लिये दी गई मंज़ूरी से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब तेल का एक विशाल बाज़ार होगा।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि सरकार बड़ी कंपनियों का निर्माण करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का विलय करने की योजना बना रही है।
  • यह अपेक्षित है कि यह अधिग्रहण अगले वर्ष तक कर लिया जाएगा, क्योंकि ओएनजीसी एचपीसीएल में सरकार की 51% हिस्सेदारी को खरीद रही है।
  • ध्यातव्य है कि पिछले कुछ वर्षों में ओएनजीसी के लाभों में गिरावट आई है और वर्ष 2015 में इसने सबसे अधिक लाभ कमाने वाली भारतीय कंपनी के अपने दर्जे को भी खो दिया है।
  • विश्लेषक इस विषय को लेकर भी चिंतित हैं कि ओएनजीसी को एचपीसीएल के कुशल कार्य संस्कृति से कुछ लाभ होगा अथवा यह इसे नष्ट करना प्रारंभ कर देगा।
  • व्यावसायिक संयोजन (जिनमें निजी निवेशक होते हैं) हितधारकों की पूंजी के लिये गैर-लाभकारी होते हैं। स्पष्ट है कि वर्ष 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स का विलय इसलिये असफल हो गया था, क्योंकि उस समय वृहद् उद्यम से प्राप्त होने वाले अपेक्षित लाभों का अनुमान नहीं लगाया गया था।

विलय का परिणाम

  • देश की सरकारी तेल कंपनियों के प्रस्तावित विलय से क्षेत्र में अक्षमताएँ घटेंगी। साथ इससे एक ऐसी कंपनी बनेगी जो कि संसाधनों के लिहाज से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकती है और तेल कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का इस पर ज़्यादा असर नहीं होगा।
  • इस विलय से उम्मीद है कि नई कंपनी को आपूर्तिकर्ता (सप्लाइयर) से मोल-भाव करने की अधिक आज़ादी मिलेगी और वह तेल संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिये आर्थिक मदद उपलब्ध करा सकेगा।
  • जिस कंपनी का विलय हुआ है उसके पास अब लागत को कम करने और संचालन क्षमताओं को बढ़ाने के अवसर होंगे।
  • उदाहरण के तौर पर अब एक ही क्षेत्र में कई सारे आउटलेट रखने की ज़रूरत नहीं होगी। वहीं नज़दीकी रिफाइनरी की मदद से परिचालन लागत में भी कमी आ सकेगी।
  • साथ ही यह कंपनी संसाधनों के अधिग्रहण और खनन के लिहाज़ से कौशल (एक्सपर्टीज) को भी साझा कर पाएगी। 
  • इस एकीकरण से रिफाइनिंग और रिटेल कंपनियों को दुनियाभर के हिस्सों में होने वाले तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा मिल सकेगा जो कि नकदी की तरलता को कम करने में मददगार होगा।
  • इसके अतिरिक्त, एचपीसीएल की बिक्री से राजस्व में 30,000 करोड़ की वृद्धि होगी तथा यह एक वर्ष के एक-तिहाई विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिये पार्यप्त होगी।
  • ओएनजीसी-एचपीसीएल समझौता सरकार, तेल क्षेत्र और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिये वरदान के समान है।

निष्कर्ष
वर्तमान में सार्वजानिक क्षेत्र समेकन (public sector consolidation) को आधिकारिक नीति के रूप में अपना लिया गया है। इन संबंधित सभी प्रश्नों को गंभीरतापूर्वक संज्ञान में लिया जाना चाहिये। लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनियों के सृजन के उन्नत लक्ष्य को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता जब तक वे व्यवसाय के मूल नियमों से परिचित न हो जाएँ।

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