नियुक्तियों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को वरीयता | 28 Jun 2017
संदर्भ
इस लेख में एक सर्वे के हवाले से यह बताया गया है कि विश्व में लिंग समानता की बात तो की जाती है, परन्तु सभी स्थानों पर पुरुषों एवं महिलाओं के साथ एक समान बर्ताव नहीं किया जाता है, विशेष कर कॉर्पोरेट भर्तियों में।
प्रमुख बिंदु
- पुरुष और महिलाओं की लैंगिक विविधता की बात तो सभी करते हैं, परन्तु जब कॉर्पोरेट भर्ती की बात आती है, तब दोनों में एक समान अर्हता होने के बावजूद भी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक वरीयता दी जाती है।
- यह निष्कर्ष रैनस्ताड वर्कमॉनिटर (Ranstad Workmonitor) के सर्वे से सामने आया है, जिसमें भारत से 55 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस तथ्य को स्वीकार किया है। वैश्विक स्तर पर 70 प्रतिशत लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है। 61 प्रतिशत पुरुषों एवं 47 प्रतिशत महिलाओं की राय यही है।
- परन्तु इसमें एक महत्त्वपूर्ण अंतर देखा गया है कि अनेक रिपोर्टों में वेतन में भी लिंग-भेदभाव बताए जाने के बावजूद, भारत के 91 प्रतिशत लोगों ने माना है कि पुरुष एवं महिलाओं को कार्य-स्थलों पर एक समान कार्य के एक समान वेतन दिया जाता है, जबकि वैश्विक स्तर पर केवल 79 प्रतिशत लोगों की राय ऐसी है।
- इसके अलावा 88 प्रतिशत लोगों की राय है कि पदोन्नति के मामले में पुरुष और महिला दोनों के साथ एक समान बर्ताव किया जाता है।
- भारत के एजेंडे पर लिंग विविधता का विषय ऊपर हो सकता है, लेकिन लिंग-विविधता केवल एक लक्ष्य या एक दिशा-निर्देश भर नहीं है, यह व्यावसायिक अनिवार्यता है।
निष्कर्ष
लिंग-समानता की दिशा में कॉर्पोरेट और सरकारी पहल सिर्फ एक शुरुआत है, असली बदलाव तो तब हो सकता है जब हम कार्य-स्थल पर महिलाओं की भूमिका के बारे में अपनी मानसिकता को बदलने में सफल होंगे।