एनपीए की समस्या से निपटने के लिये परियोजना ‘सशक्त’ | 04 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
देश में सरकारी बैंकों की एनपीए की समस्या को दूर करने के लिये ‘सशक्त’ नामक एक समग्र नीति लागू करने की घोषणा की गई है। यह समग्र नीति सुनील मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। 'सशक्त' योजना के अंतर्गत पाँच सूत्री फ़ॉर्मूले को लागू किया जाएगा जिसकी सिफारिश मेहता समिति द्वारा की गई है। उल्लेखनीय है कि लगभग 200 बैंक खाते ऐसे हैं जिनमें फँसा कर्ज़ 500 करोड़ रुपए से अधिक है।
प्रमुख बिंदु
- 50 करोड़ तक की राशि के लोन को SME रेज़ोल्यूशन अप्रोच के तहत लिया जाएगा और 90 दिनों के भीतर इसका निपटारा किया जाएगा। समिति 90 दिनों के अंदर इन सभी खातों के बारे में फैसला करेगी कि इन्हें और अधिक ऋण देने की आवश्यकता है या बंद करने की।
- 50 करोड़ से 500 करोड़ रुपए तक के NPA खातों में फँसे कर्ज़ के निपटान का फैसला अग्रणी बैंक की अगुवाई में लिया जाएगा।
- 500 करोड़ रूपए से अधिक की राशि वाले अन्य NPA खातों का निपटान यदि AMC के माध्यम से भी संभव न हो तो ऐसे खातों का निपटान दिवालिया कानून के तहत किया जाएगा।
- बैंक, विशेषज्ञों की एक समिति बनाकर प्रस्ताव तैयार करेगा और अगर वह इसे 180 दिनों के भीतर नहीं निपटा पाता है, तो इसका समाधान दिवालियापन कानून के तहत किया जाएगा।
- इस परियोजना को लागू करने के लिये बैंकों की एक स्क्रीनिंग समिति का गठन किया जाएगा जो इस बात की निगरानी करेगी कि तय नियमों का अनुपालन पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है कि नहीं।
AMC का होगा गठन
- 500 करोड़ रुपए से अधिक के फँसे ऋण के लिये एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की स्थापना की जाएगी।
- AMC बैंकों द्वारा NPA घोषित किये हुए ऋण को खरीदेगा जिससे इस कर्ज़ का भार बैंकों पर नहीं पड़ेगा।
- यह कंपनी पूरी तरह से स्वतंत्र होगी। इसमें सरकार का कोई दखल नहीं होगा।
- AMC सरकारी और प्राइवेट क्षेत्रों के निवेशकों से धन जुटाएगी।
सुनील मेहता समिति
- सुनील मेहता समिति का गठन जून 2018 में किया गया था जिसकी अध्यक्षता सुनील मेहता को सौंपी गई।
- इस समिति से ‘बैड बैंक’ की व्यावहारिकता परखने एवं संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी के गठन के लिये सिफारिश दिये जाने हेतु कहा गया था।
- इस समिति में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार, बैंक ऑफ़ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी एस जयकुमार तथा एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक सी वेंकट नागेश्वर शामिल थे।