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शासन व्यवस्था

मेघालय का जल नीति मसौदा

  • 16 Jul 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मेघालय मंत्रिमंडल ने जल के प्रयोग और राज्य में जल स्रोतों के संरक्षण एवं जल बचाव के मुद्दे का समाधान करने हेतु जल नीति के मसौदे को मंज़ूरी दी है। इस प्रकार मेघालय जल नीति को मंज़ूरी देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस नीति में जल के प्रयोग एवं आजीविका संबंधी तथा जल निकायों के संरक्षण जैसे सभी मुद्दों को रेखांकित किया गया है।
  • साथ ही ग्रामीण स्तर पर जल स्वच्छता ग्राम परिषद का गठन करके इस नीति के कार्यान्वयन में सामुदायिक भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है। इस नीति के माध्यम से भूजल के मुद्दे को भी संबोधित किया गया है। इसके अलावा जल में आयरन की उच्च मात्रा अथवा जल की अम्लीय गुणवत्ता की भी जाँच की जाएगी।
  • यह नीति मेघालय सरकार के राज्य जल संसाधन विभाग (State Water Resources Department) ने जल निकायों के संरक्षण और रक्षा विशेषज्ञों से परामर्श करके तैयार की है।
  • मेघालय एक पर्वतीय राज्य है जहाँ वर्षा तो अधिक होती है लेकिन जल संरक्षण नहीं हो पाता है।
  • हाल ही में मेघालय सरकार ने जल संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु जल शक्ति मिशन भी लॉन्च किया है।

राज्य जल नीति मसौदा (Draft State Water Policy)

मेघालय में स्थित जल निकाय, जल संरक्षण के अभाव और खनन की अवैध गतिविधियों से प्रभावित है। ऐसे में यह जल नीति इस समस्या का प्रभावी समाधान साबित हो सकती है।

लक्ष्य

  • एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन द्वारा वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिये सुशासन का आश्वासन देते हुए, स्वास्थ्य और आजीविका में सुधार लाना तथा इसके लिये सामुदायिक भागीदारी के साथ-साथ मेघालय के जल संसाधनों के सतत् विकास, प्रबंधन एवं उपयोग को बढ़ावा देना है।

इस नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है:

A. संसाधन आधारित उद्देश्य

  • जल के समान, सतत्, किफायती और कुशल आवंटन के लिये जल से जुड़े प्रावधानों को लागू करना।
  • झरनों एवं जल संग्रहण निकायों को संरक्षित करना।
  • आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने का प्रयास करना।
  • सभी जल स्रोतों की मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखने हेतु 3R- रिड्यूस, रीसाइकल और रीयूज़ (पुन: उपयोग) के सिद्धांत को बढ़ावा देना जिससे इनका बचाव एवं संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

B. प्रबंधन व क्रियांवयन आधारित उद्देश्य

  • राज्य के सभी निवासियों हेतु पीने, घरेलू और स्वच्छता एवं आजीविका चलाने के लिये सुरक्षित तथा स्वच्छ जल की पहुँच सुनिश्चित करना; जल संसाधनों को एक सामान्य पूल संसाधन के रूप में पहचान दिलाना।
  • जल क्षेत्र हेतु पानी के आर्थिक मूल्य को ध्यान में रखते हुए एक कुशल और प्रभावी नियामक ढाँचे की स्थापना करना।
  • जल संसाधनों के विकास और प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना और समर्थन करना।
  • नवीनतम उपकरणों, प्रौद्योगिकियों, गतिशील और सुलभ डेटा और जानकारियों का समुदाय और अन्य हितधारकों द्वारा उपयोग हेतु बढ़ावा देना।
  • जल संबंधी हस्तक्षेप और गतिविधियों का अभिसरण सुनिश्चित करना।

मसौदा नीति के तहत अन्य प्रावधान

  • जल आवंटन प्राथमिकता (Water Allocation Priority)
  • परियोजना की प्लानिंग और क्रियान्वयन (Project Planning and Implementation)
  • भागीदारी जल संसाधन प्रबंधन (Participatory Water Resource Management)
  • जल संसाधनों के संरक्षण, दोहन और कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करना (Conserving, Harnessing and Promoting Efficient Use Of Water Resources)
  • जलवायु परिवर्तन के लिये अनुकूलन (Adaptation To Climate Change)
  • जल आपूर्ति और स्वच्छता (Water Supply & Sanitation)
  • बाढ़ और सूखे का प्रबंधन (Management of Flood & Drought)
  • पानी की गुणवत्ता (Water Quality)
  • जल शुल्क (Water Tariffs)
  • अनुसंधान और क्षमता निर्माण (Research and Capacity Building)
  • डाटा प्रबंधन और सूचना प्रणाली (Data Management and Information System)
  • ट्रांस-बाउंड्री नदियाँ (Trans-Boundary Rivers)
  • संस्थागत व्यवस्था (Institutional Arrangements)
  • राज्य जल नीति हेतु कार्यान्वयन रणनीति (Implementation Strategy for The State Water Policy)

स्रोत: द हिंदू

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