कृषि
मेघालय देगा देशी सामुदायिक पशु-फार्म को बढ़ावा
- 09 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
मेघालय, जिसने हाल ही में ‘मेघालय दूध मिशन’ लॉन्च किया है, गाँव के स्तर पर सामुदायिक पशु-फार्मों को विकसित करने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये साहिवाल, गिर, राठी, लाल सिंधी और थापकर जैसे स्वदेशी पशु नस्लों को शामिल करने की योजना बना रहा है।
प्रमुख बिंदु
- मेघालय जो कि दूध की आवश्यकता की पूर्ति के लिये अन्य राज्यों पर निर्भर है, 2022 तक दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना चाहता है।
- राज्य में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 83 ग्राम प्रतिदिन है, जो 355 ग्राम के राष्ट्रीय आँकड़े से काफी कम है।
- 2012 की पशुधन जनगणना के अनुसार, मेघालय में लगभग दस लाख मवेशी हैं। इनमें से केवल 30,000 दूध देने वाली गायें (वर्णसंकर) हैं और वे ज़्यादातर दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के तहत पाली जाती हैं। ये गायें राज्य के कुल दूध उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान देती हैं।
- केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, राज्य के 6,449 गाँवों में से केवल 97 गाँवों में ही दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियाँ थीं।
सामुदायिक पशु-फार्म
- राज्य के सभी ज़िलों में पर्याप्त खुली जगह की उपलब्धता के कारण मेघालय के लिये सामुदायिक पशु-फार्म व्यवहार्य हैं।
- गाय, मुक्त समूह में विचरण करने वाली प्रकृति की एक पशु प्रजाति है, अगर उन्हें स्वतंत्र रूप से विचरण करने की अनुमति दी जाए तो उनके दूध की गुणवत्ता बढ़ जाती है। अगर उन्हें चारों ओर विचरण करने की पर्याप्त सुविधा दी जाए तो उनकी प्रतिरक्षा भी बढ़ जाती है।
- पशुओं के एक ही स्थान पर उपलब्ध होने पर पशु चिकित्सा सेवाओं की व्यवस्था करना आसान और सस्ता हो जाता है। इसके अलावा, सामुदायिक पशु-फार्मों में छोटे और सीमांत किसानों के समक्ष आने वाली भूमि संबंधी समस्याओं के समाधान का भी प्रयास किया जाएगा।
- यह मिशन साहिवाल, गिर, राठी, लाल सिंधी और थापकर जैसे स्वदेशी नस्लों को विकसित करने पर ज़ोर देता है। इस मिशन के तहत राज्य सरकार द्वारा 2,000 किसानों को 10,000 गायें उपलब्ध कराए जाने का विचार है।
दुग्ध संघ
- वर्तमान में मेघालय अपनी डेयरी संबंधी मांग को पूरा करने के लिये पुराबी (असम से) और ताजा (अमूल से) जैसे डेयरी ब्रांडों पर निर्भर है। यह मिशन डेयरी उत्पादों की मांग के एक हिस्से की पूर्ति करेगा।
- यहाँ केवल तीन ज़िला स्तरीय दुग्ध सहकारी संघ जयंतिया हिल्स, वेस्ट गारो हिल्स और पूर्वी खासी हिल्स में हैं। इसका लक्ष्य मिशन की अवधि की समाप्ति तक सभी 11 ज़िलों में अपने स्वयं के दुग्ध संघ स्थापित करना है।
- ‘मेघालय दूध मिशन’ में भी संभावित दुग्ध संग्रह केंद्रों पर 79 कूलर मशीनें (प्रत्येक की क्षमता 500 लीटर) स्थापित करने और 13 दूध टैंकरों (प्रत्येक की क्षमता 3,000 लीटर) की खरीद करने का प्रस्ताव है।
मेघालय दूध मिशन
- दूध की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को कम करने के लिये हाल ही में 215 करोड़ रुपए की इस योजना को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया।
- इस योजना से केंद्र की 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में सहायता मिलेगी। अगले चार वर्षों में लगभग 2000 किसान इस योजना से प्रत्यक्ष रूप से लाभांवित होंगे।
- इस परियोजना में 2000 डेरी फार्म इकाइयाँ शामिल हैं, प्रत्येक इकाई में 4 गायें खरीदने की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त शेड निर्माण, स्टोरेज कक्ष, पशु बीमा, दूध के टैंकर, मिल्क कूलर भी शामिल हैं। साथ ही किसानों के लिये 1 करोड़ रुपए की लागत से प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।