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जैव विविधता और पर्यावरण

संकट में भूमध्यसागरीय शार्क

  • 15 Jul 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

14 जुलाई शार्क जागरूकता दिवस (Shark Awareness Day) के अवसर पर विश्व वन्यजीव कोष ((World Wildlife Fund- WWF) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें भूमध्यसागरीय क्षेत्र में शार्क के जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है।

Mediterranean Sea

  • शार्क जागरूकता दिवस 2019 की थीम ‘The sharks in crisis: a call to action for the Mediterranean’ है।
  • पर्यावरण संरक्षणविदों ने शार्क के विलुप्त होने के लिये भूमध्यसागर में प्लास्टिक प्रदूषण की अधिकता तथा अधिक मात्रा में इनके शिकार को ज़िम्मेदार ठहराया है।
  • विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund- WWF) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भूमध्यसागर में आधे से अधिक शार्क (Sharks) एवं ‘रे’ (Ray) प्रजातियाँ खतरे में हैं, जिनमें से लगभग एक-तिहाई विलुप्त होने की कगार पर पहुँच गई हैं।
  • यह रिपोर्ट शार्क जागरूकता दिवस से पहले जारी की गई।
  • लीबिया और ट्यूनीशिया में एक वर्ष में लगभग 4,200 टन शार्क का शिकार किया जाता है जो समस्त विश्व में सबसे अधिक है। इसके बाद इटली में भी भारी मात्रा में शार्क का शिकार किया जाता है।
  • वर्तमान में शिकार के अलावा प्लास्टिक प्रदूषण के कारण शार्क की आबादी खतरे में पड़ गई है। WWF के अनुसार, भूमध्यसागर में मछली पकड़ने के जाल में उलझी हुई 60 से अधिक शार्क प्रजातियाँ पाई गईं।
  • लुप्तप्राय प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में 79 लुप्तप्राय शार्क और 120 लुप्तप्राय ‘रे’ (Ray) प्रजातियाँ शामिल हैं।

प्रकृति संरक्षण हेतु विश्वव्यापी कोष

Worldwide Fund for Nature-WWF

  • WWF का गठन वर्ष 1961 में हुआ तथा यह पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान एवं रख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करता है।
  • इससे पूर्व, इसका नाम विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) था।
  • इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • इसका उद्देश्य पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण के क्षरण को रोकना और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकें।
  • WWF द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में प्रकाशित लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट (Living Planet Report) एक लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (Living Planet Index) तथा इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन (Ecological Footprint Calculation) पर आधारित है।

स्रोत: द हिंदू

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