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आंतरिक सुरक्षा

मेडिकल डेटा लीक

  • 07 Feb 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ग्रीनबोन सस्टेनेबल रेज़िलिएंस रिपोर्ट में भारत की स्थिति

मेन्स के लिये:

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक जर्मन साइबरसिटी फर्म ग्रीनबोन सस्टेनेबल रेज़िलिएंस (Greenbone Sustainable Resilience) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार 120 मिलियन से अधिक भारतीय रोगियों का चिकित्सा विवरण लीक हुआ है।

मुख्य बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार, लीक हुए चिकित्सीय विवरण को इंटरनेट पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, रोगियों के चिकित्सा विवरण से संबंधित डेटा के लीक होने के मामले में महाराष्ट्र देश में शीर्ष पर है।
  • ग्रीनबोन सस्टेनेबल रेजिलिएंस द्वारा प्रथम रिपोर्ट अक्तूबर, 2019 में प्रकाशित की गई थी जिसमें बड़े पैमाने पर डेटा लीक का खुलासा किया गया था, इनमें सीटी स्कैन (CT scans), एक्स-रे, (X-rays) एमआरआई (MRIs) और यहाँ तक कि रोगियों की तस्वीरें भी शामिल थीं।

रिपोर्ट के आधार पर देशों का वर्गीकरण:

  • नवंबर में प्रकाशित इसकी एक फॉलो रिपोर्ट विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा डेटा लीक की घटनाओं को रोकने के लिये की गई कार्यवाही के आधार पर देशों को अच्छा (Good), बुरा (Bad) और बदसूरत (Ugly) तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करती है।
  • भारत को रिपोर्ट में ‘बदसूरत’ श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है जो कि अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्तूबर में प्रकाशित पहली रिपोर्ट के 60 दिनों बाद ही मरीज़ों के बारे में सूचना देने वाले डेटा ट्रावरों (Data Troves) की संख्या 6,27,000 से बढ़कर 1.01 मिलियन हो गई है तथा मरीज़ों के विवरण का आँकड़ा 105 मिलियन से बढ़कर 121 मिलियन हो गया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मौजूदा सिस्टम जो डेटा संग्रहण के लिये उत्तरदायी हैं डेटा के 100% अभिगमन (Access) की अनुमति देते हैं।

Compromised

  • रिपोर्ट चिकित्सा डेटा लीक से प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र को सबसे ऊपर रखती है। जिसकी उपलब्ध ऑनलाइन डाटा ट्रावरों (Data Troves) की सर्वाधिक संख्या है। महाराष्ट्र में 3,08,451 ट्रॉव्स 6,97,89,685 छवियों (Images) तक पहुँच प्रदान करते हैं।
  • चिकित्सा डेटा लीक के मामले में कर्नाटक दूसरे स्थान पर है, जहाँ 1,82,865 डेटा ट्रावरस 37,31,001 छवियों तक पहुँच प्रदान करते है।

प्रभाव:

  • चिकित्सा डेटा का लीक होना चिंताजनक है क्योंकि इसमें सामान्य कामकाजी आदमी से लेकर राजनेता तथा मशहूर हस्तियाँ सभी शामिल है।
  • डेटा के लीक होने से समाज में उन लोगों की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिनका लोग अनुसरण करते है।
  • किसी की नकली पहचान बनाकर अन्य किसी भी तरीके से चिकित्सा विवरण का गलत उपयोग किया जा सकता है।
  • मरीज़ एवं डॉक्टर के बीच हुई कोई भी बातचीत दोनों का विशेष अधिकार है अतः इस प्रकार डॉक्टर या अस्पताल किसी भी मरीज़ की गोपनीयता बनाए रखने के लिये कानूनी और नैतिक रूप से बाध्य होता है।

पिक्चर आर्काइविंग एंड कम्युनिकेशंस सिस्टम्स सर्वर:

  • ग्रीनबोर्न द्वारा प्रकाशित मूल रिपोर्ट में बताया गया है कि पिक्चर आर्काइविंग एंड कम्युनिकेशंस सिस्टम्स (Picture Archiving and Communications Systems- PACS) सर्वर, जहाँ विवरण संग्रहीत होता हैं, सुरक्षित नहीं है। साथ ही यह बिना किसी सुरक्षा के सभी सार्वजनिक इंटरनेट से जुड़ा है। अतः किसी भी गलत तरीके से डेटा तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
  • अतीत में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर भी यह तथ्य सामने आया है कि PACS सर्वर किसी भी सर्वर आक्रमण के प्रति सुभेद्य है।

स्रोत: द हिंदू

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