आतंकवाद पर मीडिया का कवरेज़ | 19 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
महत्त्वपूर्ण नहीं
मेन्स के लिये:
आतंकवाद को नियंत्रित करने में मीडिया तथा सोशल मीडिया की भूमिका
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एंटी टेररिस्ट स्क्वाड के प्रमुखों की एक बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने आतंकवाद पर मीडिया कवरेज को लेकर पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्ग्रेट थैचर (Margret Thatcher) के बयान का उल्लेख किया।
मार्ग्रेट थैचर के कथन का तत्कालीन संदर्भ
जून 1985 में हिज़बुल्लाह के आतंकवादियों ने ट्रांस वर्ल्ड एयरलाइन्स के एक हवाईजहाज को अगवा कर लिया था जिसमे 150 यात्री सवार थे। इस प्रकरण में अगवा किये गए यात्रियों को इजराइल की जेलों में बंद आतंकवादियों के बदले में छोड़ा गया। इस घटना को पूरी दुनिया की मीडिया ने कवर किया था।
क्या कहा था मार्ग्रेट थैचर ने ?
मार्ग्रेट थैचर ने कहा था, “आतंकवाद से लड़ने में मीडिया की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है, यदि आतंकवादी किसी घटना को अंजाम देते हैं और मीडिया शांत है तो आतंकवाद समाप्त हो जायेगा। आतंकवादी लोगों में दहशत पैदा करते हैं। यदि मीडिया इसे नहीं लिखेगा तो किसी को पता नहीं चलेगा।”
मार्ग्रेट थैचर के अनुसार, आतंकवाद से निपटने में मीडिया की भूमिका
- हमारा समाज मीडिया की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने में यकीन नहीं रखता लेकिन मीडिया को स्वयं एक ऐसे आचार सहिंता पर सहमत होना चाहिये जहाँ वो कुछ भी ऐसा ना दिखाए जिससे किसी आतंकवादी के हितों या लक्ष्यों की प्राप्ति हो।
- आतंकवादी अपनी लोकप्रियता चाहते हैं; इसके बिना उनका महत्त्व कम हो जाता है। वे देखते हैं कि किस तरह हिंसा व आतंक, अखबारों तथा टीवी चैनलों की स्क्रीन पर पूरी दुनिया को दिखाया जाता है। इस प्रकार की खबरें घटना के शिकार लोगों के पक्ष में सहानुभूति तथा सरकार पर दबाव बनाती हैं कि हिंसा के शिकार लोगों की दुर्दशा को समाप्त किया जाये भले ही उसका परिणाम जो भी हो। आतंकवादी इसका दुरुपयोग करते हैं क्योंकि हिंसा व अत्याचार से उन्हें लोकप्रियता मिलती है।
- आतंकवादी बल प्रयोग करते रहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि लोकतांत्रिक तरीके से उन्हें न्याय नहीं मिल सकता। इसलिये उनका उद्देश्य लोगों में भय पैदा करना तथा उनके खिलाफ होने वाले प्रतिरोध को शिथिल करना होता है।
वर्तमान स्थिति
- वर्तमान में हो रहीं आतंकवादी गतिविधियों के प्रसार के संदर्भ में देखें तो दृष्टिगोचर होता है कि मीडिया तथा सोशल मीडिया का एक बड़ा भाग आतंकवादी गतिविधियों को परोक्ष रूप से लाभान्वित कर रहा है।
- मीडिया आज भी आतंकी गतिविधियों को प्रसारित कर रहा है। प्रौद्योगिकी के उन्नयन से उनकी पहुँच और भी व्यापक हुई है। फलतः लोगों में बढ़ती हिंसा तथा आतंक के कारण असुरक्षा का भाव बना रहता है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि फेसबुक व यूटयूब ने आतंकियों को अपना प्रभाव बढ़ाने के लिये एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में कार्य किया है। इन प्लेटफॉर्म की सहायता से वे समाज में कट्टरता तथा धार्मिक हठधर्मिता का प्रसार करते हैं।
निष्कर्ष
आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिये मीडिया तथा सरकार दोनों को ही मिलकर व्यापक नीति निर्माण करने की आवश्यकता है। इस प्रकार की नीतियों के निर्माण से मीडिया आतंकवादी गतिविधियों के नियंत्रण के लिये सरकार के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाएगा। साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों को भी सरकार के साथ ताल-मेल बिठाते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिये कि हिंसा तथा कट्टरता को बढ़ावा देने वाली सामग्रियों को नियंत्रित किया जाए।