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मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र की तीव्र प्रगति : विकास का एक नया अध्याय

  • 07 Mar 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?
भारत के मीडिया एवं मनोरंजन (Indian media and entertainment -M&E) क्षेत्र का कारोबार वर्ष 2016 के मुकाबले 13 फीसदी बढ़कर वर्ष 2017 में 1.5 लाख करोड़ रुपए पहुँच गया है। फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry – Ficci) की सलाहकार फर्म अर्न्‍स्‍ट एंड यंग इंडिया द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 11.6 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी के साथ वर्ष 2020 तक इस कारोबार के 2 लाख करोड़ रुपए होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • इस तेज़ी का एक प्रमुख कारण डिजिटल क्षेत्र है, जहाँ बढ़ते कंटेंट उपयोग के कारण कंपनियों को विज्ञापन बजट में आवश्यक बदलाव करने पड़े।
  • अध्ययन के अनुसार, एमएंडई क्षेत्र की वृद्धि दर भारत की जीडीपी वृद्धि दर से अधिक रहने का अनुमान है।
  • इसके अनुसार, 2017 में सबस्क्रिप्शन में बढ़ोतरी के कारण विज्ञापन क्षेत्र पीछे छूट गया है। हालाँकि 2020 तक डिजिटल क्षेत्र की सहायता से विज्ञापन क्षेत्र में लगातार वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • डिजिटल क्षेत्र के बल पर 2017 में भारत का एमएंडई क्षेत्र 1.5 लाख करोड़ रुपए पर पहुँच गया। 
  • ऐसे में विचारणीय प्रश्न यह है कि 2020 तक 2 लाख करोड़ रुपए पर पहुँचने के बाद क्या डिजिटल क्षेत्र का एमएंडई अपने उच्च स्तर पर होगा अथवा नहीं? इस संदर्भ में एमएंडई क्षेत्र के प्रारूप पर एक बार फिर से विचार करने की ज़रूरत है।

डिजिटल क्षेत्र की स्थिति

  • वर्ष 2017 की वृद्धि में सबसे अधिक योगदान डिजिटल, फिल्म, एनिमेशन एवं दृश्य प्रभाव क्षेत्र का रहा है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में न केवल डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, बल्कि यह विज्ञापन के बढ़ते चार्ट में सबसे ऊपर बना हुआ है। 
  • इतना ही नहीं सबस्क्रिप्शन से मिलने वाले राजस्व में भी तीव्र गति से वृद्धि हुई है, इसी वृद्धि दर को मद्देनज़र रखते हुए वर्ष 2020 तक इसके और अधिक सशक्त रूप में उपस्थित होने की आशा व्यक्त की जा रही है।
  • जहाँ एक ओर वर्ष 2017 में डिजिटल मीडिया में 29.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो वस्तु एवं सेवा कर के बाद 27.8 फीसदी रही। वहीं, दूसरी ओर विज्ञापन के क्षेत्र में 28.8 फीसदी तथा सबस्क्रिप्शन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
  • ज्ञात हो कि वर्ष 2016 में डिजिटल क्षेत्र से मिले कुल राजस्व का केवल 3.3 फीसदी हिस्सा सबस्क्रिप्शन से प्राप्त हुआ था। जबकि, वर्ष 2020 तक इसके 9 फीसदी की दर से बढऩे की संभावना व्यक्त की जा रही है।
  • वर्ष 2017 में लगभग 250 अरब वीडियो ऑनलाइन देखे गए और 2020 तक इसके दोगुना यानी 500 अरब होने की संभावना है। इसी प्रकार वर्ष 2015 में कुल मोबाइल ट्रैफिक में 40 फीसदी हिस्सा वीडियो सेवाओं का था, इसके वर्ष 2020 तक बढ़कर 72 फीसदी होने का अनुमान है।

टेलीविज़न

  • टेलीविज़न उद्योग के संदर्भ में बात की जाए तो ज्ञात होता है कि वर्ष 2016 के 59.4 हज़ार करोड़ रुपए की तुलना में 11.2 फीसदी की वृद्धि के साथ वर्ष 2017 में 66 हज़ार करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
  • हालाँकि यह और बात है कि इतनी वृद्धि के बावजूद भी सभी करों से सकल वृद्धि केवल 9.8 फीसदी ही रही।
  • यदि इस संदर्भ में प्राप्त हुए राजस्व की बात की जाए तो ज्ञात होता है कि पिछले सालों की तुलना में इसमें विज्ञापन से प्राप्त राजस्व बढ़कर 26.7 हज़ार करोड़ रुपए हो गया, जबकि वितरण क्षेत्र से मिला राजस्व 39.3 हज़ार करोड़ रुपए ही रहा।
  • हालाँकि, प्रसारण के स्तर पर सबस्क्रिप्शन से प्राप्त हुआ राजस्व (अंतरराष्ट्रीय सबस्क्रिप्शन सहित) कुल राजस्व का 28 फीसदी रहा, जबकि विज्ञापन कुल राजस्व का 41 फीसदी रहा। 
  • रिपोर्ट द्वारा प्रदत्त अनुमान के अनुसार, टेलीविज़न उद्योग में विज्ञापन से प्राप्त राजस्व की हिस्सेदारी में वर्ष 2020 तक 43 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

प्रिंट मीडिया

  • वहीं, यदि बात की जाए प्रिंट मीडिया के संदर्भ में तो वर्ष 2017 में केवल 3 फीसदी की वृद्धि के चलते प्रिंट मीडिया दूसरे पायदान पर रहा। इसका कुल राजस्व 30.3 हज़ार करोड़ रुपए रहा।
  • रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 तक इसमें तकरीबन 7 फीसदी वार्षिक वृद्धि होने की संभावना है।
  • ऐसा अनुमान व्यक्त किया गया है कि इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की वर्तमान 26 फीसदी की सीमा में कोई बदलाव नहीं होने से विदेशी निवेश प्रभावित हुआ है।

फिल्म क्षेत्र

  • वर्ष 2017 में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फिल्म बाज़ार में 27 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। आपको बता दें कि इसमें सैटेलाइट और डिजिटल अधिकारों की बिक्री को भी शामिल किया गया है।
  • होम वीडियो क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी सहयोगी क्षेत्रों में वृद्धि दर्ज की गई है।
  • जहाँ तक बात है 2017 में फिल्म क्षेत्र से प्राप्त हुए राजस्व की तो यह 15.6 हज़ार करोड़ रुपए रहा है। इसे हॉलीवुड और अन्य अंतरराष्ट्रीय फिल्मों से काफी सहायता प्राप्त हुई है।
  • यदि बात करें कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की तो इसमें शीर्ष 50 फिल्मों का योगदान 97.75 फीसदी रहा। वर्ष 2017 में शीर्ष 50 फिल्मों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 11.60 फीसदी की दर से बढ़ा।
  • यहाँ अच्छी बात यह है कि वर्ष 2017 में क्षेत्रीय फिल्मों के रिलीज़ होने की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

निष्कर्ष
एक जानकारी के अनुसार, अगले पाँच साल की समयावधि में लगभग हर साल केवल मीडिया एवं मनोरंजन उद्योग में 1.4 लाख से 1.6 लाख रोज़गार के अवसरों के लिये प्रशिक्षित लोगों की ज़रूरत होगी। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस उद्योग में प्रतिभा एवं कौशल की मांग उसकी आपूर्ति से कहीं अधिक है, इसलिये ज़रुरी है कि इस उद्योग क्षेत्र में वर्ष 2020 तक पूरी तरह से एक पृथक श्रमबल को तैयार किया जाए। इसके लिये ज़रुरी है कि मीडिया एवं मनोरंजन से संबंधित संगठनों द्वारा तीव्र गति से विकास करने के लिये न केवल इस दिशा में अपने प्रयासों को और तेज़ करना होगा, बल्कि इस संदर्भ अपनी रणनीतियों को भी नए सिरे से तैयार   करना होगा ताकि अपेक्षित सुधार किया जा सके।

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