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भारतीय अर्थव्यवस्था

खपत मांग एवं पूंजीगत व्यय

  • 14 Oct 2020
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लीव ट्रैवल कंसेशन वाउचर स्कीम, फेस्टिव एडवांस स्कीम, सकल घरेलू उत्पाद, गुड्स एंड सर्विस टैक्स 

मेन्स के लिये:

लीव ट्रैवल कंसेशन वाउचर स्कीम, फेस्टिव एडवांस स्कीम का अर्थव्यवस्था के संदर्भ में महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार द्वारा खपत मांग (Consumption Demand) एवं पूंजीगत व्यय-कैपेक्स (Capital Expenditure-CapEx) को बढ़ावा देने के लिये दो प्रकार के उपायों की घोषणा की गई है, जिसके परिणामस्वरूप मार्च 2021 तक एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का त्वरित व्यय होना अनुमानित है। 

प्रमुख बिंदु: 

  • ये उपाय लीव ट्रैवल कंसेशन वाउचर स्कीम (Leave Travel Concession Voucher Scheme)  एवं फेस्टिव एडवांस स्कीम (Festival Advance Scheme) के तहत किये गए हैं।
    • इसके साथ ही केंद्र और राज्य दोनों के स्तर पर कैपेक्स को आगे बढ़ाने के उपायों की घोषणा की गई है।

लाभ:

  • हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था में आपूर्ति बाधा जैसी कमी देखी गई है, बावजूद इसके उपभोक्ता मांग प्रभावित हुई है, अतः इन उपायों का उद्देश्य उपभोक्ता खर्च एवं कैपेक्स को बढ़ावा देना है। 
    • कैपेक्स प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक उत्पादन में होने वाली वृद्धि से जुड़ा है जिसका उत्पादन वृद्धि में उच्च गुणक प्रभाव देखा जाता है।
  • सरकार द्वारा पहले घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज द्वारा समाज के ज़रूरतमंद वर्गों के लिये आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति को सुनिश्चित किया गया, वहीँ अब इन उपायों को अपनाने का उद्देश्य उन कर्मचारियों द्वारा उच्च मूल्य वाली वस्तुओं की खपत को बढ़ावा देना है, जिनका वेतन एवं रोज़गार COVID-19 महामारी से अप्रभावित रहा है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ ये उपाय अर्थव्यवस्था में अपेक्षाकृत उच्च मूल्य की वस्तुओं एवं सेवाओं की खपत को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित करेंगे।

लीव ट्रैवल कंसेशन वाउचर स्कीम:

लीव ट्रैवल कंसेशन: 

  • केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चार वर्ष के ब्लॉक में एलटीसी अर्थात् लीव ट्रैवल कंसेशन की सुविधा मिलती है। 
    • इसके तहत वेतन या पात्रता के अनुसार, हवाई या रेल टिकिट के किराये का भुगतान किया जाता है। साथ ही कर्मचारी को दस दिनों के अवकाश का नकद भुगतान (वेतन + महँगाई भत्ता) मिलता है।
    • हालाँकि महामारी के कारण कर्मचारी वर्ष 2018-21 के ब्लॉक में लीव ट्रैवल कंसेशन का लाभ प्राप्त नहीं कर पाएंगे जिसके कारण सरकारी कर्मचारी लीव ट्रैवल कंसेशन वाउचर स्कीम से लाभान्वित हो सकेंगे।
  • वर्ष 2018-21 के दौरान लीव ट्रैवल कंसेशन के बदले कर्मचारियों को नकद भुगतान किया जाएगा, साथ ही अवकाश के लिये भी पूर्ण भुगतान प्राप्त होगा।
    • पात्रता की श्रेणी के आधार पर तीन स्लैब्स के अनुसार किराये का भुगतान किया जाना है जिस पर कोई कर नहीं लगेगा।
    • प्राप्त राशि को केवल डिजिटल भुगतान द्वारा 12% या उससे अधिक के गुड्स एंड सर्विस टैक्स (Goods and Services Tax-GST) को आकर्षित करने वाले सामान की खरीद पर खर्च करना होगा। साथ ही कर्मचारियों को जीएसटी चालान (GST Invoice) भी देना होगा।
  • यदि कर्मचारी द्वारा इस राशि को खर्च नहीं किया जाता है तो एलटीसी घटक पर सीमांत कर की दर के अनुसार कर्मचारी को कर का भुगतान करना होगा।
  • निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी इसका समान लाभ प्राप्त कर सकेंगे, यदि नियोक्ता अपने कर्मचारियों के लिये योजना की पेशकश करना चाहते हैं तो वे इसका लाभ उठा सकते हैं।

अर्थव्यवस्था को लाभ:

  • इससे सरकार को अर्थव्यवस्था में 28,000 करोड़ रुपए की मांग बढ़ने की उम्मीद है। (19,000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा एवं शेष राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा)
  • COVID-19 महामारी के कारण वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीएसटी संग्रह गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। खपत में वृद्धि वर्ष की दूसरी छमाही में जीएसटी संग्रह को बढ़ा देगी क्योंकि यह योजना 31 मार्च, 2021 तक किये जाने वाले खर्च पर आधारित है।
  • यदि इस योजना में निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल होते हैं, तो इससे समग्र उपभोग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होने से जीएसटी के संग्रह में भी वृद्धि हो सकती है।
  • चूँकि अधिकांश कर्मचारी महामारी के बाद यात्रा करने में सक्षम नहीं हैं, इस कारण एलटीसी को कहीं और स्थानांतरित करके मांग उत्पन्न होने की उम्मीद की जा सकती है।

 फेस्टिव एडवांस:

  • फेस्टिव एडवांस (Festival Advance) को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर समाप्त कर दिया गया था, जिसे पुनः 31 मार्च, 2021 तक बहाल कर दिया गया है।
  • केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को ब्याज मुक्त 10,000 रुपए अग्रिम प्राप्त होंगे जिन्हें 10 किस्तों में प्राप्त किया जाएगा। इस राशि को अग्रिम मूल्य के प्री-लोडेड रूपे कार्ड (Pre-Loaded RuPay Card) के रूप में दिया जाएगा।
  • यदि सभी राज्य समान अग्रिम प्रदान करते हैं तो सरकार द्वारा इस योजना के तहत 31 मार्च, 2021 तक 4,000 करोड़ रुपए वितरित किये जाने की उम्मीद है ।
  • इससे दीवाली जैसे त्योहारों से पहले उपभोक्ता मांग उत्पन्न होने की उम्मीद है।

पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के अन्य उपाय:

  • सड़कों, रक्षा अवसंरचना, जल आपूर्ति, शहरी विकास और घरेलू तौर पर उत्पादित पूंजीगत उपकरणों पर कैपेक्स के लिये 25,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट निर्धारित है जिसके संसाधनों के पुन: आवंटन/वितरण द्वारा वापस प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • राज्यों को 12,000 करोड़ रुपए के ब्याज मुक्त 50 वर्षीय ऋण की विशेष सहायता प्रदान की जाएगी। इसका उपयोग केवल कैपेक्स प्रयोजनों द्वारा कुछ शर्तों के साथ किया जा सकता है। 

चिंताएँ:

  • अत्यधिक प्रतिबंध: वस्तु एवं सेवाओं को तीन गुना भुगतान कर प्राप्त करना जैसे प्रावधान, केवल 31 मार्च से पहले डिजिटल मोड के माध्यम से 12% या अधिक की जीएसटी को आकर्षित करने वाले सामानों की खरीद इत्यादि उपभोक्ता की स्वतंत्रता को समाप्त करते हैं।
  • छोटा आकार: आर्थिक विकास पर सार्थक प्रभाव लक्षित होने के नज़रिये से कैपेक्स की मात्रा काफी कम है।
    • बजटीय राजकोषीय सहायता सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) की  लगभग 1% है, वर्तमान कुल राजकोषीय सहायता उपाय सकल घरेलू उत्पाद को लगभग 1.2% तक बढ़ा सकते हैं, जो कि वृद्धि की तुलना में काफी कम है, यह भारत की कमज़ोर राजकोषीय स्थिति को दर्शाता है।
  • सीमित प्रभाव: इन उपायों का उद्देश्य निजी/कमज़ोर वर्गों (जहाँ रोज़गार की क्षति/आय में कमी सामान्य समस्या है) के बजाय सरकारी कर्मचारियों के खर्च को प्रोत्साहित करना है जो इसके समग्र प्रभाव को सीमित करेगा।
  • पर्यटन:  उपभोक्ता लीव ट्रैवल कंसेशन वाउचर स्कीम के माध्यम से खर्च करते हैं तो यह योजना यात्रा एवं पर्यटन उद्योग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है क्योंकि COVID-19 के कारण लॉकडाउन के बाद से यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में मांग पहले ही काफी कम हो गई है।

आगे की राह: 

  • सरकार समग्र उपभोग को बढ़ावा देने के लिये त्योहार की समयावधि के साथ योजनाओं का समायोजन करना चाहती है तथा कर और विनिवेश राजस्व पर कम खर्च करके सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ को भी कम करना चाहती है।
  • योजनाओं के पीछे की रणनीतिक मंशा उन वस्तुओं की मांग को निर्देशित करना है, जिनकी मांग में लॉकडाउन की अवधि के दौरान कमी आई, लेकिन यह मांग को पुनर्जीवित करने के सरकार के उद्देश्य को विफल कर सकता है। खपत-आधारित विकास यकीनन भविष्य के विकास में कमी का कारण बन सकता है अगर यह क्षमता निर्माण की सीमाओं के कारण असंतुलन में और अधिक वृद्धि करता है तो इससे विशेष रूप से परिवारों के ऊपर ऋण का भार/बोझ बढ़ेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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