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जैव विविधता और पर्यावरण

जगुआर (Jaguar) को यूएन समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण

  • 13 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस (International Jaguar Day)

मेन्स के लिये:

प्रवासी प्रजातियों का संरक्षण, प्रवासी प्रजातियों से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गुजरात के गांधीनगर में संपन्न हुए ‘प्रवासी प्रजातियों पर संयुक्त राष्ट्र के काॅप-13 सम्मेलन (United Nations 13th Conference of the Parties to the Convention on Migratory Species of Wild Animals) में जगुआर (Jaguar) को ‘वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय’ के तहत अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्रदान करने की घोषणा की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • काॅप-13 सम्मेलन में जारी घोषणा पत्र के अनुसार, जगुआर को वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (Convention on the Conservation of Migratory Species of Wild Animals-CMS) के परिशिष्ट-I व II में शामिल किया गया है।
  • CMS के कार्यकारी निदेशक के अनुसार, अभिसमय में जगुआर के शामिल होने से इस जीव के संरक्षण के लिये सीमा पार सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही यह अभिसमय जगुआर के प्रवास क्षेत्र के देशों को उनके संरक्षण हेतु प्रवास गलियारों (Migration Cooridors) के रखरखाव जैसे प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करेगा।
  • जगुआर को CMS के तहत संरक्षित सूची में जोड़ने का प्रस्ताव मध्य अमेरिका के देश कोस्टा रिका (Costa Rica) की तरफ से आया और साथ ही अर्जेंटीना, बोलीविया, पेरू, पराग्वे और उरुग्वे जैसे देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

जगुआर (Jaguar):

Jaguar

  • वंश (Genus): पैंथेरा (Panthera)
  • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा ओंका (Panthera onca)
  • जगुआर प्रायः अमेरिकी महाद्वीपों (उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका) में पाया जाता हैं।
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में विश्व में बचे कुल जगुआरों की संख्या लगभग 64,000 है, जो अमेरिकी महाद्वीप के 19 देशों के जंगलों में पाए जाते हैं।
  • जगुआर के बच्चे दो वर्ष की आयु के बाद परिवार से अलग अपने आधिपत्य क्षेत्र की तलाश में निकल जाते हैं, इस दौरान वे 70 किमी. तक की यात्रा कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण की आवश्यकता क्यों?

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) के अनुमान के अनुसार, पिछले 21 वर्षों में जगुआर की आबादी में 20-25% तक गिरावट देखी गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से लेकर अर्जेंटीना तक जगुआर के प्रवास क्षेत्र में 50% की कमी आई है और मध्य अमेरिका में इसके प्रवास स्थान का क्षेत्रफल घटकर 23% ही रह गए हैं। वहीं अल सल्वाडोर (El Salvador) और उरुग्वे जैसे देशों में यह जीव अब विलुप्त हो चुका है।
  • अपने प्रवास के दौरान जगुआर कई बार अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हैं।
  • वर्तमान में 90% जगुआर अमेज़न क्षेत्र के 9 देशों में पाए जाते हैं और इनके वास स्थान के क्षरण के कारण शेष 10% जगुआर 33 अन्य छोटे समूहों में रहते हैं।
  • IUCN की रेडलिस्ट में जगुआर को ‘निकट संकटग्रस्त (Almost Threatened)’ की श्रेणी में रखा गया है।

अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण के लाभ:

  • CMS के परिशिष्ट-I में संकटग्रस्त प्रवासी प्रजातियों को रखा जाता है, जबकि परिशिष्ट-II में उन प्रवासी प्रजातियों को रखा जाता है जिनके संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होती है।
  • CMS के परिशिष्ट-I व परिशिष्ट-II में शामिल होने से जगुआर और उनके प्रवास स्थान के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
  • इस समझौते से जगुआर व इसके अंगों से बने उत्पादों के अवैध व्यापार के नियंत्रण में सहायता प्राप्त होगी।

जगुआर संरक्षण के अन्य प्रयास:

  • वर्ष 2018 में 14 देशों ने जगुआर के संरक्षण के लिये ‘जगुआर 2030 रोडमैप (Jaguar 2030 Roadmap)’ नामक कार्यक्रम की शुरुआत की और 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस (International Jaguar Day) के रूप में घोषित किया।
  • क्षेत्र के कई देशों ने CITES के माध्यम से जगुआर और इसके अंगों से बने उत्पादों के अवैध व्यापार तथा व्यापार मार्गों की पहचान करने में शोध को बढ़ावा देने में सफलता प्राप्त की।

स्रोत: इकोनॉमिक्स टाइम्स

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