लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना (Maternity Leave Incentive Scheme)

  • 17 Nov 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

विशेष रूप से निजी क्षेत्र के नियोक्ताओं को, विस्तारित किये गए 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश नियम को लागू करने के संबंध में प्रोत्साहित करने हेतु श्रम मंत्रालय उन नियोक्ताओं को 7 हफ्तों का पारिश्रमिक वापस करने के लिये प्रोत्साहन योजना पर कार्य कर रहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एक ऐसी प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत 15,000/- रुपए तक की वेतन सीमा वाली महिला कर्मचारियों को अपने यहाँ नौकरी पर रखने वाले और 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देने वाले नियोक्ताओं को 7 हफ्तों का पारिश्रमिक वापस कर दिया जाएगा।
  • इसके लिये कुछ शर्तें भी तय की गई हैं और यह अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना पर अमल करने से भारत सरकार, श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय को लगभग 400 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ वहन करना पड़ेगा।

प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य

  • 26 सप्ताह के विस्तारित मातृत्व अवकाश नियम पर अमल करना, सार्वजनिक क्षेत्र के संदर्भ में अच्छा साबित हो रहा है लेकिन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि यह निजी क्षेत्र के साथ-साथ अनुबंध या ठेके (Contract) पर काम करने वाली महिलाओं के लिये सही साबित नहीं हो रहा।
  • आमतौर पर यह धारणा है कि निजी क्षेत्र के निकाय महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित नहीं करते हैं, क्योंकि यदि महिलाओं को रोज़गार पर रखा जाता है तो उन्हें विशेषकर 26 हफ्तों के वेतन के साथ मातृत्व अवकाश देना पड़ता है।
  • साथ ही श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय को इस आशय की भी शिकायतें मिल रही हैं कि जब नियोक्ता को यह जानकारी मिलती है कि उनकी कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है अथवा वह जब मातृत्व अवकाश के लिये आवेदन करती है तो बिना किसी ठोस आधार के ही उसके साथ किये गए अनुबंध को निरस्त कर दिया जाता है।
  • श्रम मंत्रालय को इस संबंध में कई ज्ञापन मिले हैं जिनमें बताया गया है कि किस तरह से मातृत्व अवकाश की बढ़ी हुई अवधि महिला कर्मचारियों के लिये नुकसानदेह साबित हो रही है, क्योंकि मातृत्व अवकाश पर जाने से पहले ही किसी ठोस आधार के बिना ही उन्हें या तो इस्तीफा देने को कहा जाता है अथवा उनकी छँटनी कर दी जाती है।
  • इसलिये श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय को इस प्रकार के प्रोत्साहन योजना को लाने की आवश्यकता पड़ी।

प्रोत्साहन योजना का प्रभाव

  • प्रस्तावित योजना यदि स्वीकृत और कार्यान्वित कर दी जाती है तो वह इस देश की महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित कराने के साथ-साथ रोज़गार एवं अन्य स्वीकृत लाभों तक उनकी समान पहुँच भी सुनिश्चित करेगी।
  • इसके अलावा महिलाएँ शिशु की देखभाल के साथ-साथ घरेलू कार्य भी अच्छे ढंग से निपटा सकेंगी।
  • श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय फिलहाल आवश्यक बजटीय अनुदान प्राप्त करने और सक्षम प्राधिकरणों से मंज़ूरियाँ प्राप्त करने की प्रव्रिया में है, परंतु फिलहाल मंत्रालय में श्रम कल्याण उपकर (Less) जैसा कोई भी उपकर उपलब्ध नहीं है।

अधिनियम की पृष्ठभूमि

  • मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के दायरे में वे कारखाने, खदानें, बागान, दुकानें एवं प्रतिष्ठान और अन्य निकाय आते हैं, जहाँ 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
  • इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कुछ विशेष प्रतिष्ठानों में शिशु के जन्म से पहले और उसके बाद की कुछ विशेष अवधि के लिये वहाँ कार्यरत महिलाओं के रोज़गार का नियमन करना और उन्हें मातृत्व लाभ के साथ-साथ कुछ अन्य फायदे भी मुहैया कराना है।
  • मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के ज़रिये इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत अन्य बातों के अलावा महिला कर्मचारियों के लिये वेतन सहित मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2