शासन व्यवस्था
भारत में मातृ मृत्यु दर में 28 प्रतिशत की कमी
- 07 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
मातृ मृत्यु दर (MMR) को इंगित करने वाले नवीनतम सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) डेटा के मुताबिक देश में एमएमआर (प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या) 167 (2011-2013 में, अंतिम एसआरएस अवधि) से गिरकर 130 हो गई है। यह 28% की गिरावट एक उपलब्धि है| मातृ और शिशु मृत्यु दर तथा रुग्णता को प्रमुख स्वास्थ्य संकेतक माना जाता है क्योंकि ये महिला स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति को दर्शाते हैं|
महत्त्वपूर्ण बिंदु
एसआरएस, राज्यों को तीन समूहों में विभाजित करता है-
- सशक्त कार्य समूह (Empowered Action Group-EAG) - बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम|
- दक्षिणी राज्य- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु|
- अन्य- शेष राज्य और केंद्रशासित प्रदेश।
- अंतिम एसआरएस से सबसे ज़्यादा कमी EAG राज्यों में हुई है जो 23% है अर्थात् यह 246 (2011-2013) से गिरकर 188 हो गया है, जबकि अन्य राज्यों में 19% की कमी आई है, 2011-2013 में एमएमआर 115 से घटकर 93 हो गया है।
- दक्षिणी राज्यों के संदर्भ में जिनका बेहतर औसत 77 है गिरकर 17% हो गया है।
- उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड में 29% की भारी गिरावट आई है जहाँ एमएमआर 285 से 201 हो गया है।
- केरल 46 के एमएमआर (61 से नीचे) के साथ शीर्ष पर है।
- महाराष्ट्र ने 61 के साथ अपनी दूसरी स्थिति बरकरार रखी है, लेकिन गिरावट की गति सुस्त है जहाँ 2011-13 के दौरान एमएमआर 68 था।
- 66 (पूर्व में 79) के साथ तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के मुताबिक, भारत ने 2014-2016 के लिये 139 के एमडीजी लक्ष्य को बेहतर बनाया है। यह गौरवान्वित करने वाला क्षण है|
- यह एनएचएम के तहत केंद्र और राज्यों द्वारा व्यवस्थित ढंग से किये गए कार्यों का नतीजा है जिसके परिणामस्वरूप 2015 में 12,000 और जान बचाई गई।
- 2013 की तुलना में 2016 में प्रसव के समय माँ की मुत्यु के मामलों में करीब 12 हज़ार की कमी आई है और ऐसी स्थिति में माताओं की मृत्यु का कुल आँकड़ा पहली बार घटकर 32 हज़ार पर आ गया है।
- इसका मतलब यह हुआ कि भारत में 2013 की तुलना में अब हर दिन 30 से अधिक गर्भवती महिलाओं को बचाया जा रहा है।
- तीन राज्यों ने एमएमआर 70 के संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य को पहले से ही हासिल कर लिया है।
- कुल मिलाकर, यह विशेष रूप से EAG राज्यों में प्रभावशाली प्रगति का संकेत देता है।
- केरल और तमिलनाडु को और बेहतर प्रदर्शन करना चाहिये लेकिन कर्नाटक, गुजरात, पंजाब और हरियाणा ने निराश किया है।
मातृ मृत्यु दर (MMR) क्या होती है?
- मातृ मृत्यु दर दुनिया के सभी देशों में प्रसव के पूर्व या उसके दौरान या बाद में माताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार के प्रयासों के लिये एक प्रमुख प्रदर्शन संकेतक है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एमएमआर गर्भावस्था या उसके प्रबंधन से संबंधित किसी भी कारण से (आकस्मिक या अप्रत्याशित कारणों को छोड़कर) प्रति 100,000 जीवित जन्मों में मातृ मृत्यु की वार्षिक संख्या है।