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भारतीय अर्थव्यवस्था

बाज़ार आधारित आर्थिक प्रेषण (MBED) चरण 1

  • 11 Oct 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डे-फॉरवर्ड मार्केट, बाज़ार आधारित आर्थिक प्रेषण

मेन्स के लिये:

विद्युत क्षेत्र के लिये साइबर सुरक्षा दिशा-निर्देश, एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक आवृत्ति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने उपभोक्ताओं की बिजली खरीद लागत को 5% तक कम करने के लिये बाज़ार आधारित आर्थिक प्रेषण (Market Based Economic Despatch- MBED) चरण 1 के कार्यान्वयन के लिये फ्रेमवर्क जारी किया।

  • यह बिजली बाज़ार के संचालन में सुधार और "एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक आवृत्ति, एक मूल्य" ढाँचे की ओर बढ़ने में महत्त्वपूर्ण कदम है। इसका कार्यान्वयन 1 अप्रैल, 2022 से शुरू करने की योजना है।
  • इससे पहले सरकार ने विद्युत क्षेत्र के लिये साइबर सुरक्षा दिशा-निर्देश जारी किये थे।

प्रमुख बिंदु 

  • परिचय:
    • सभी राज्यों की बिजली की मांग को इष्टतम मूल्य पर बिजली आवंटित करने वाले केंद्रीय पूल के माध्यम से पूरा करने का प्रस्ताव है।
      • वर्तमान में विद्युत वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) राज्यों के भीतर उपलब्ध स्रोतों से बिजली का वितरण  कर रही हैं, जो हमेशा उच्च ऊर्जा लागत के साथ समाप्त होती है।
    • MBED यह सुनिश्चित करेगा कि देश भर में सबसे सस्ते उत्पादन के संसाधनों को समग्र प्रणाली की मांग को पूरा करने के लिये उपयोग किया जाए।
    • इस प्रकार यह व्यवस्था वितरण कंपनियों और बिजली उत्पादकों दोनों के लिये ही एक सफल प्रयास होगा और अंततः इससे बिजली उपभोक्ताओं को महत्त्वपूर्ण वार्षिक बचत भी होगी।
    • MBED का लक्ष्य एक समान मूल्य निर्धारण ढाँचा स्थापित करना है जो अधिक खर्चीले उपकरणों को कम करते हुए सस्ते लागत और सबसे कुशल जनरेटर को प्राथमिकता देता है, जो राष्ट्रीय क्षमता में क्रमबद्ध रूप से सुधार सुनिश्चित करेगा। 
    • यह राष्ट्रीय विद्युत नीति (NEP) 2021 के मसौदे के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य 2023-2024 तक अल्पकालिक बिजली बाज़ारों की पहुँच को दोगुने से अधिक करना है। 
  • एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक आवृत्ति:
    • भारत के पास अपने जटिल इंटरकनेक्टेड पावर ग्रिड के माध्यम से एक महत्त्वपूर्ण अंतर-क्षेत्रीय विद्युत पारेषण क्षमता है जिसके लिये केंद्र, राज्यों और निजी क्षेत्र द्वारा संचालित कोयला, गैस, हाइड्रो, परमाणु व हरित ऊर्जा स्रोतों में ग्रिड ऑपरेटरों एवं बिजली परियोजना जनरेटर के बीच घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता होती है।
    • पिछले दशक में महत्त्वपूर्ण निवेश के साथ भारतीय बिजली प्रणाली ने बिजली क्षेत्र में बड़े अंतर-क्षेत्रीय हस्तांतरण किये हैं और "एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक आवृत्ति (One Nation, One Grid, One Frequency)" के रूप में अपनी स्थिति का आकलन कर अधिकांश बाधाओं को समाप्त कर दिया है।
    • यह राज्य के स्वामित्व वाली पावर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (Power System Operation Corporation Limited- POSOCO) है, जो इन जटिल कार्यों का प्रबंधन राष्ट्रीय भार प्रेषण केंद्र (National Load Despatch Centre- NLDC), क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र (Regional Load Despatch Centres- RLDC) और राज्य भार प्रेषण केंद्र (State Load Despatch Centres- SLDC) के माध्यम से करती है।
      • देश में 33 SLDC, पाँच RLDC (राष्ट्रीय ग्रिड बनाने वाले पाँच क्षेत्रीय ग्रिड के लिये) और एक NLDC है।
    • इस सक्षमता के बावजूद देश में मौजूदा बिजली निर्धारण और प्रेषण तंत्र की स्थिति निष्क्रिय बनी हुई है तथा दिन-प्रतिदिन की प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप देश के उत्पादन संसाधनों का उपानुकूलतम उपयोग होता है।
      • डे-फॉरवर्ड मार्केट (Day-Ahead Market) एक वित्तीय बाज़ार है जहाँ बाज़ार सहभागियों ने अगले दिन के लिये वित्तीय रूप से बाध्यकारी डे-फॉरवर्ड कीमतों पर विद्युत ऊर्जा की खरीद और बिक्री की है।

स्रोत: पीआईबी

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